*रेशम माता मंदिर मामला*

*दबंगों द्वारा मंदिर पर कब्जा  हटाने एकत्रित हुआ  बेड़िया समाज*


    *रेशम माता मंदिर हमारा है और रहेगा: उषा कलावत*

 *शिवपुरी* शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील अंतर्गत आने वाले रेशम माता मंदिर पर बीते दिनों जो विवाद हुआ जिसमें रेशम माता मंदिर समिति अध्यक्षा  रूपा  धनावत के साथ  बदसलूकी और मारपीट की घटना  करने के अलावा दबंगों के द्वारा मंदिर पर कब्जा  कर उन्हें वहां से भगा दिया गया उसके बाद आज एक बार फिर बेड़िया समाज की ओर से बैठक रखी गई इस बैठक का उद्देश्य किसी भी तरह  दबंगों द्वारा मंदिर पर किए गए कब्जे से मुक्त कराना था यह बैठक पुलिस की देखरेख में रखी गई थी बैठक में बेड़िया समाज की ओर से नेतृत्व  कर  रहे  बेड़िया समाज के प्रदेश अध्यक्ष  सत्येंद्र कलावत  ने कहा कि रेशम माता का अति प्राचीन मंदिर  बेड़िया समाज का है और रहेगा इस पर दबंगों द्वारा जो कब्जा करने की कोशिश की गई है  उसे  सफल नहीं होने दिया जाएगा हमारे द्वारा दबंगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट की गई है पुलिस द्वारा उन्हें फिर भी गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है  उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो  प्रदेशभर के अलग-अलग जिलों में इस मामले हेतु  आंदोलन और प्रदर्शन होंगे उनका कहना था कि बेड़िया समाज के द्वारा रेशम माता मंदिर जो अपनी दीन अवस्था में पड़ा हुआ था उस पर ईमानदारी से डेवलपमेंट करते हुए भवन निर्माण कार्य कराया गया और जब मंदिर निर्माण अपनी पूर्णता की और है ऐसे में कुछ लोगों के द्वारा उस पर कब्जा करने की जो कोशिश की जा रही है उसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा वहीं बैठक में उपस्थित अखिल भारतीय कलावत महासभा की जिला अध्यक्ष उषा कलावत ने कहा कि रेशम माता मंदिर 200 साल पुराना होकर अति प्राचीन है यहां पर शुरू से ही बेड़िया समाज द्वारा पूजा-अर्चना का कार्य किया जा रहा है रेशम माता  मंदिर हमारा है और रहेगा कई बरसों से  खराब हालत में पड़े  मंदिर में जब हमारे समाज के द्वारा भारी मात्रा में पैसा लगाकर भव्यता प्रदान की गई है तो ऐसे में कुछ गलत नीयत रखने वाले गांव वालों की नजरें मंदिर पर होने बाली चढोत्तरी  पर होने लगी है इन्हें उस समय ख्याल क्यों नहीं आया जब मंदिर  जीर्ण  शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ था यह विचारणीय प्रश्न है आज हमारे समाज के द्वारा मंदिर को भव्यता प्रदान की गई है तो  यह  मारपीट पर उतारू हो गए हैं वहीं बैठक के दौरान कई पुरानी बातें निकल कर सामने आई जिसका बातचीत उपरांत निष्कर्ष निकाला गया बैठक के दौरान बेड़िया समाज के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र कलावत, जिलाध्यक्ष प्रदेश सचिव जसवंत सिंह,  प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह बेड़िया, प्रदेश महामंत्री घनश्याम कलावत,  प्रदेश सचिव  मलखान सिंह कलावत, जिला कोषाध्यक्ष मुन्नालाल, ब्लॉक अध्यक्ष  मुकेश कलावत, अध्यापक भोलू राम  कलावत, नरेंद्र धनावत, रूपा धनावत,मीना धनावत, तनूजा धनावत, निर्मला धनावत,  गुड्डू  धनाबत, अन्नू  धनाबत, सुनील  धनावत, मंगल  धनावत के अलावा बेड़िया समाज के लोग भारी संख्या में मौजूद थे  वहीं आज एक बार फिर बैठक में बिना बुलाए कई गांव वाले पहुंच गए जो वहां से बेड़िया समाज के लोगों से बहस करने लगे पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाकर कहा कि शांति से बात करें अन्यथा की स्थिति में कानूनी कार्रवाई की जाएगी
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 *हमारी कुलदेवी हैं रेशम मैया*
 बेड़िया समाज की ओर से बैठक में आए अशोक सिंह  बेड़िया जिला अध्यक्ष बेड़िया समाज सुधार समिति एवं बेड़िया समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि रेशम माता हमारी कुलदेवी है और इनके बिना हमारे यहां कोई शुभ कार्य  नहीं किया जाता है पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पूर्वजों से लेकर आज तक हमारा इस मंदिर पर आना जाना जारी है मंदिर की व्यवस्था एवं रखरखाव में हमेशा बेड़िया समाज ने सहयोग किया है और आज जब मंदिर पर समाज के द्वारा मेहनत और ईमानदारी के साथ भव्यता प्रदान की गई है तो ऐसे में हम वहां पर किसी भी तरह का अनैतिक कार्य कैसे स्वीकार कर सकते हैं
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 *मंदिर के ठीक सामने दुकानें बनाकर ढकने का प्रयास रहा लड़ाई की मुख्य वजह*
 रेशम माता मंदिर के ठीक सामने कुछ ग्रामीणों द्वारा नीव खोदकर एक साथ कई दुकानें बनाने का कार्य किया जा रहा था नींव खोदने के लिए मना करने  जब रेशम माता समिति की अध्यक्षा रूपा धनावत पहुंची  तो  ग्रामीणों द्वारा उनके साथ बदसलूकी की जिसके बाद श्रीमती रूपा धनावत वहां से भागकर शिवपुरी  आई और इस संबंध में पुलिस मैं जगदीश लोधी  धर्मेंद्र लोधी  हल्के लोधी  सरवन राव के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई श्रीमती धनावत का कहना है कि जिस समय मंदिर  जीर्ण  अवस्था में पड़ा हुआ था उस समय गांव वालों द्वारा किसी भी तरह की कोई प्रगति के प्रयास नहीं किए गए और आज जब मंदिर अपनी पूरी भव्यता की ओर है ऐसे में इन लोगों के द्वारा मंदिर के ठीक सामने दुकानें बनाकर उसकी भव्यता को खत्म करने का प्रयास  कर रहे थे और मना करने पर मुझ दलित महिला के साथ मारपीट की गई पुलिस प्रशासन ने अभी तक इन लोगों की गिरफ्तारी तक नहीं की है जबकि हम कम से कम 10 चक्कर लगा चुके हैं आज भी मंदिर पर उन्हीं लोगों का कब्जा बना हुआ है

भोपाल। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के स्थान पर नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर दिल्ली में सरगर्मी बढ़ गई है। सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की राहुल गांधी से मुलाकात के बाद इस पर फैसला होने की संभावना जताई जा रही है। पीसीसी अध्यक्ष के लिए दो मंत्री उमंग सिंघार व कमलेश्वर पटेल के साथ वरिष्ठ विधायक बिसाहूलाल सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद को लेकर दिल्ली में बढ़ी गतिविधियों का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि रविवार दोपहर में मंत्री उमंग सिंघार भोपाल से वहां पहुंचे। उन्होंने एआईसीसी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की। आदिवासी वर्ग से आने वाले सिंघार मंत्री पद के साथ पीसीसी अध्यक्ष बनने की कोशिश में हैं। हालांकि सिंघार के पास झारखंड के प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी भी है।

सिंघार ने बताया कि झारखंड की रिपोर्ट सौंपने वे दिल्ली पहुंचे हैं। वहीं, सूत्रों का यह भी कहना है कि कमलेश्वर पटेल के लिए एआईसीसी महासचिव दीपक बाबरिया ने सिफारिश की है। बाबरिया ओबीसी के नेताओं को आगे लाने में हमेशा कोशिश करते हैं और इस्तीफा देने के पहले उन्होंने पटेल का नाम आगे बढ़ाया था।

सूत्र बताते हैं कि आदिवासी वर्ग से आने वाले एक अन्य वरिष्ठ विधायक बिसाहूलाल सिंह का नाम भी पीसीसी अध्यक्ष के लिए चल रहा है। कमलनाथ सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था, जिससे वे फिलहाल नाराज भी हैं। हालांकि बिसाहूलाल सिंह के नाम पर मुख्यमंत्री कमलनाथ की सहमति पर संशय है और पीसीसी अध्यक्ष बनाए जाने में उनकी सहमति भी ली जाएगी।

कमलनाथ लोकसभा चुनाव में हार के बाद आने वाले नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव व सहकारिता चुनाव की चुनौती को देखते हुए ऐसे पीसीसी अध्यक्ष पर सहमत नहीं होंगे, जिससे चुनाव से सरकार विपरीत परिस्थितयों में खड़ी हो जाए। ऐसे में वे अपने सबसे नजदीकी और मंत्री बाला बच्चन को पीसीसी अध्यक्ष बनाने के लिए बिसात बिछा सकते हैं।

मुख्यमंत्री कमलनाथ की सोमवार को राहुल गांधी से मुलाकात की संभावना है। उनके साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी राहुल गांधी से मिलने जाएंगे।

बताया जा रहा है कि ये सभी दिग्गज नेता राहुल गांधी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाएंगे। सूत्रों का कहना है कि इस मुलाकात में नाथ मध्यप्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें पीसीसी अध्यक्ष पर जल्द फैसला नहीं होने से आ रही परेशानियों से भी अवगत कराएंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ की गांधी से इस मुलाकात के बाद पीसीसी अध्यक्ष पर फैसला होने की संभावना जताई जा रही है।



महिलाओं को हेलमेट पहनने से दी गई छूट रहेगी जारी, लेकिन नए दोपहिया वाहन के साथ उन्हें भी खरीदना होंगे दो हेलमेट


मंथन न्यूज।

भोपाल .सड़क हादसों में मौत के बढ़ते ग्राफ को कम करने के इरादे से अब सोमवार से दो पहिया वाहन चालक के साथ उसके पीछे बैठने वाले के लिए भी हेलमेट अनिवार्य हो जाएगा। यह इसलिए होगा क्योंकि सोमवार से नया दोपहिया वाहन खरीदने वाले ग्राहक को अब दो हेलमेट भी खरीदना अनिवार्य कर दिया गया है।

अगर उनके पास पहले से हेलमेट है, तो उन्हें हेलमेट खरीदी का बिल देना होगा। बिल नंबर की इंट्री होने के बाद ही अब गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हो पाएगा। ऐसे में यह ग्राहक की भी जिम्मेदारी हो गई कि वे वाहन खरीदते समय या तो नए हेलमेट परिवहन विभाग के तय मानकों वाला बिल के साथ खरीदे या फिर पुराने हेलमेट का बिल साथ में रखे। वाहन खरीदी के दौरान महिलाओं को भी हेलमेट खरीदना जरूरी होगा, हालांकि उन्हें मप्र अधिनियम के तहत हेलमेट लगाने में छूट मिली हुई है।

आंकड़े बताते हैं... मरने वालों में 16 फीसदी से अधिक महिलाएं :जानकारी के मुताबिक इस वर्ष 1 जनवरी से मई के अंत तक करीब डेढ़ हजार सड़क हादसे हुए। इनमें 122 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जान गंवाने वालों में करीब 60 फीसदी कारण हेलमेट नहीं पहनना रहा। अब तक 122 मौतों में 20 महिलाएं रहीं। यह कुल मौतों के 16 फीसदी से अधिक है। ऐसे में अब महिलाओं को भी हेलमेट पहनना अनिवार्य करने की मांग उठने लगी है। शासन के महिलाओं को लाइसेंस फ्री करने के कारण महिलाओं के लाइसेंस बनाने की संख्या बढ़ गई है।

मांग...शासन नियम बदले, महिलाओं के लिए भी हेलमेट पहनना हो जरूरी :पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच कहतीं हैं कि एक्सीडेंट में चोट सभी को समान रूप से लगती है। ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा भी आवश्यक विषय है। इस कारण महिलाओं को भी हेलमेट जरूर पहनना चाहिए। उन्होंने कहा कि शासन को चाहिए कि वे नियम बदले और महिलाओं को हेलमेट पहनना पुरुषों की तरह अनिवार्य करे।

इस साल अब तक 122 मौतें, इनमें 20 महिलाएं भी शामिल :पुलिस के आंकडे बताते है राजधानी में इस साल जून माह के अंत तक 1488 सड़क हादसे हो चुके हैं। इनमें 1212 लोग इनमें घायल हुए हैं। जानलेवा हादसों में 122 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 102 पुरुष और 20 महिलाएं हैं।

यह भी जानना जरूरी

मोटर व्हीकल एक्ट में दो पहिया वाहन चलाते और पीछे बैठने वाले को हेलमेट पहनना जरूरी है।


मध्यप्रदेश में महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य नहीं है।


परिवहन विभाग के आदेश के बाद दो पहिया वाहन खरीदने पर दो हेलमेट खरीदना अनिवार्य हो गया है। ऐसे में वाहन चलाने और पीछे बैठने वाले को हेलमेट पहनना अनिवार्य है।


दो पहिया वाहन के साथ दो हेलमेट खरीदी के बिल लगाना अनिवार्य होगा। इसके बिना वाहन का पंजीयन नहीं होगा।


महिला हो या पुरुष सभी को दोपहिया वाहन के साथ लेने होंगे हेलमेट

शासन के आदेश का होगा पालन :शासन के नए आदेश का पालन किया जाएगा। कानून के अनुसार महिलाओं पर हेलमेट की कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन दो पहिया वाहन चालक और उसके पीछे बैठी सवारी पर हेलमेट नहीं पहनने पर कार्रवाई की जाएगी। - प्रदीप सिंह चौहान, एएसपी ट्रैफिक

बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठाओं को सेवा और शैक्षिणक संस्थानों में आरक्षण देने के कानून को संवैधानिक रूप से वैध तो ठहरा दिया है। लेकिन इससे आरक्षण की सीमा पर लगी 50 फीसदी की पाबंदी टूट गई है। अब प्रदेश में कुल आरक्षण 70 फीसदी हो गया है, जिसमें गरीब सवर्णों को दिया जाने वाला 10 फीसदी आरक्षण शामिल है। इसके बाद आरक्षण की उच्चतम सीमा को लेकर बहस एक बार फिर शुरू हो गई है।


यह आरक्षण तमिलनाडु से भी ज्यादा हो गया है। हालांकि तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई की सीमा से पहले का है। दूसरी तरफ, आरक्षण की अधिकतम 50 फीसदी की सीमा से आगे बढ़कर आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं इस पर संविधान विशेषज्ञ बंटे हुए हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट जरूर पहुंचेगा और राज्य सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दाखिल दी है और आग्रह किया है कि फैसले को चुनौती देने वाला कोई भी आदेश सरकार को सुने बिना न दिया जाए।

हालांकि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला (इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ, 1993 जिसे मंडल फैसला भी कहा जाता है) जिसमें यह सीमा तय की गई थी उसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 50 फीसदी की सीमा से आगे बढ़ा जा सकता है यदि उसके लिए आपात परिस्थितियां, सामाजिक और आथिर्क रूप से पिछड़ेपन का समकालीन सांख्यीकिय डाटा मौजूद हो जिसमें सेवाओं में समुदाय के पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अभाव दिखता हो लेकिन इसके देने से प्रशासन की क्षमता / कार्यकुशलता प्रभावित न होती हो।

सरकार का तर्क रहा है कि मराठाओं को पिछले सात दशकों से आरक्षण से मनमाने रूप से वंचित रखा गया है जबकि वे राज्य की 33 फीसदी आबादी हैं और मुख्यत: कृषि कार्य में लिप्त हैं। आत्महत्या करने की दर उनमें सबसे ज्यादा है। यह उनके लिए एक आपात और असाधारण परिस्थिति है जिसके आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। इससे 50 फीसदी की सीमा भी लंघ जाए तो कोई बात नहीं क्योंिक असाधारण परिस्थितियां मौजूद हैं।

पूर्व अटार्नी जरनल तथा संविधान विशेषज्ञ मुकुल रोहतगी ने कहा कि आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा नियम नही है। जस्टिस जीवन रेड्डी ने स्पष्ट किया है कि इसे तोड़ा जा सकता है यदि राज्यके पास आपात स्थिति और पिछड़ेपन का आंकड़ा मौजूद हो। इस मामले में गायकवाड़ आयोग ने आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा पिछड़ेपन के मुख्य हेडों के तहत 25 मानकों पर विस्तृत सर्वे किया है जबकि मंडल आयोग ने सिर्फ 11 मानकों पर ही अध्ययन किया था। गायकवाड़ आयोग ने 1,92,522 लोगों की सुनवाई की और आंकड़ा एकत्र किया। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि डाटा मौजूद नहीं है।

वहीं, आरक्षण के विरोध में जानकारों ने कहा कि राज्य में यह एक तथ्य है कि महाराष्ट्र में 18 मुख्यमंत्रियों में 11 मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से रहे हैं। ऐसे में इस समुदाय को 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा आरक्षण देकर बाहर नहीं जा सकता। 

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण : 12 फीसदी नौकरियों में और 13 फीसदी शिक्षा में (कुल 70 फीसदी)
तमिलनाडु : 69 फीसदी
हरियाणा : 67
राजस्थान : 54
मध्यप्रदेश : 63
आंध्र प्रदेश : 62
तेलंगना : 55

एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सयम सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ सहित विभिन्न सुरक्षा बलों में 84 हजार से ज्यादा विभिन्न पद खाली है। सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हर साल करीब 10 फीसदी पद सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, ऑन ड्यूटी मृत्यु की वजह से खाली हो जाते हैं।

मंथन न्यूज

केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों में खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके लिए खाली पड़े पदों का ब्योरा ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा नियुक्तियों और खाली पड़े पदों से जुड़ी प्रक्रियाओं का विवरण एक जगह एकट्ठा करके आंतरिक प्रक्रिया में खासी तेजी लाई जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न सुरक्षा बलों में हर साल करीब 80 हजार पद खाली होते हैं। ऐसे में खाली हुए पदों की यूनिटवार जानकारी और नई नियुक्तियों में खासा समय लग जाता है

सरकार चाहती है कि समयसीमा के भीतर खाले पड़े पद भरे जाएं। इसके लिए भर्ती प्रक्रिया से जुड़े विवरण ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएं। भर्तियों से जुड़ी फाइलों पर ई-अप्रूवल के बाद विज्ञापन जारी करने और संबंधित एजेंसी को परीक्षा के लिए पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने की प्रक्रिया का चार्ट बनाकर उसका समयबद्ध अनुपालन कराने की कोशिश होगी।

क्या कहते है हैं आंकड़ें?: एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सयम सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ सहित विभिन्न सुरक्षा बलों में 80 हजार से ज्यादा विभिन्न पद खाली है। सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हर साल करीब 10 फीसदी पद सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, ऑन ड्यूटी मृत्यु की वजह से खाली हो जाते हैं। ऐसे में देशभर में अलग-अलग यूनिटों में तैनात जवानों का विवरण केंद्रीय स्तर पर इकट्ठा करने में खासा समय लग जाता है। गौरतलब है कि कांस्टेबल स्तर पर खाली पड़े पदों के लिए एसएससी के जरिए विभिन्न केंद्रों पर लिखित परीक्षा होती है।



   


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दूसरी पारी का एक महीना पूरा कर चुके हैं। दूसरी पारी के पहले महीने में मोदी सरकार पिछली बार की तुलना में कहीं ज्यादा परिपक्व और आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है। किसानों-गरीबों से जुड़े बड़े फैसले और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाकर सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए है।
एक महीने के कामकाज पर नजर डालें तो प्रधानमंत्री अपने कामकाज के पूर्व के तौर-तरीकों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। जैसे केंद्रीय कक्ष में सांसदों को संबोधित करना, पीएम के रूप में संसद में पहला भाषण राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के रूप में देना, मंत्री परिषद एवं सचिवों की बैठक कर सौ दिन की कार्य योजना का निर्देश देना आदि।


तेवर और अंदाज वही : 
मोदी ने पिछले कार्यकाल में पहला फैसला कालेधन पर एसआईटी बनाने का लिया था। इस बार राजस्व विभाग के अफसरों पर कार्यवाही जैसा कड़ा कदम उठाया गया। यदि पहली फाइल पर हस्ताक्षर की बात करें तो शहीदों के बच्चों की छात्रवृत्ति में इजाफा का किया। इसका दायरा भी बढ़ाया। कहने का तात्पर्य यह है कि काम करने का अंदाज वैसा ही है। तेवर भी वैसे ही हैं। संसद में दोनों सदनों में अभिभाषण पर चर्चा के जवाब के दौरान उन्होंने विफलताओं के लिए कांग्रेस पर भी हमला बोला।

तेजी से काम करने की धमक दिखाई :
मोदी सरकार-2 कामकाज के साथ अपनी धमक जमाने के लिए भी तेजी से काम कर रही है। सरकार ने पहले ही माह में अपने घोषणापत्र पर अमल करने के लिए कैबिनेट फैसलों के साथ संसद पर उनकी मुहर भी लगवानी शुरू कर दी है। सरकार ने शुरुआत से ही प्रधानमंत्री स्कालरशिप योजना, मोटर व्हीकल ऐक्ट में बदलाव, एक देश एक राशन कार्ड, कश्मीर नीति, तीन तलाक बिल को लेकर अपने एजेंडे को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।

विपक्ष के खिलाफ आक्रामक :
विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्ष के खिलाफ उनकी रणनीति पहले जैसी ही आक्रामक रहेगी। उसमें ज्यादा बदलाव आने की संभावना नहीं है। यह दिख भी रहा है जिस प्रकार टीडीपी के राज्यसभा सदस्यों को भाजपा में शामिल किया गया। पश्चिम बंगाल में तृणमूल के खिलाफ आक्रामक अभियान चल रहा है और चार राज्यों में चुनावी तैयारियां भाजपा की तरफ से चल रही है, वह मोदी और शाह की जोड़ी की पुरानी रणनीति है।

कश्मीर मसले और पाकिस्तान पर सख्त रुख दिखा:कश्मीर में शांति बहाली और पाक को अलग-थलग करना मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल की प्राथमिकताओं में शुमार था। इस बार एक माह में उठाए गए कदमों से साफ है कि सरकार का रवैया और सख्त होगा।

मोदी सरकार-1
26 मई 2014 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद और गोपनीयता की शपथ ली
27 मई 2014 : प्रधानमंत्री मोदी ने शपथग्रहण के अगले दिन ही कैबिनेट बैठक बुलाई।

पहली कैबिनेट में बड़ा फैसला
कैबिनेट की पहली बैठक में कालेधन का पता लगाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया। ताकि कर चोरी और गैर-कानूनी गतिविधियों के जरिए विदेश में जमा की गई भारी धन राशि की जांच की जा सके।

मोदी सरकार - 2
30 मई 2019 : नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
31 मई 2919 : 2014 की तरह शपथग्रहण के अगले दिन ही कैबिनेट की बैठक

पहली कैबिनेट में बड़े फैसले

1. प्रधानमंत्री किसान योजना में सभी किसानों को 6000 रुपये मिलेंगे। करीब 12 करोड़ गरीब और सीमांत किसानों को फायदा।
2. शहीदों और पूर्व सैनिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति राशि बढ़ाई। हर महीने लड़कों को 2500 और लड़कियों को 3000 रुपये मिलेंगे। पहले 2000 और 2250 रुपये थी।
3. असंगठित कामगारों के लिए पेंशन योजना को मंजूरी दे दी गई है। 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगी।

ये बड़ी कार्रवाई भी
10 जून 2019 : मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य तौर पर रिटायर कर दिया है।
18 जून 2019 : भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सीमाशुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क के 15 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति।

पाक को बेनकाब किया
जून में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद का प्रायोजन, उसकी मदद और उसका वित्त पोषण करने वाले देशों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। मोदी के इस प्रस्ताव को अमेरिका, रूस समेत कई देशों ने समर्थन किया।

कश्मीर पर ज्यादा फोकस
दूसरे कार्यकाल में सरकार कश्मीर को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी है। शाह को गृहमंत्री बनाकर मोदी ने यह भी संकेत दे दिया है कि वे कश्मीर को लेकर कुछ नया कर रहे हैं। राज्य में परिसीमन को लेकर हालांकि सरकार ने आधिकारिक रूप से पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन इसके जरिये पार्टी वहां के जनसांख्यिकी ढांचे में बदलाव और गैर कश्मीरी मुख्यमंत्री का रास्ता खोल सकती है। साथ ही धारा 370 और अनुच्छेद 35 की समीक्षा भी कर सकती है। ऐसे संकेत आने लगे हैं। 



भोपाल। कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा ने सरकार के कामकाज की गति पर सवाल उठाए हैं। शेरा का कहना है कि अधिकारी सरकार को सही ढंग से काम नहीं करने दे रहे हैं, जिससे काम धीमी रफ्तार से हो रहे हैं। छह महीने में ऐसा लग रहा कि सरकार ढीली चल रही है। उन्होंने  चर्चा में यह बात कही।

उन्होंने कांग्रेस पार्टी के फैसलों को लेकर कहा कि इतनी बड़ी पार्टी होने के बाद भी आश्चर्य है कि उसमें फैसले नहीं हो पा रहे हैं। न राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्णय हो पाया है और न ही प्रदेश अध्यक्ष पर कोई फैसला हो सका है। सुरेंद्र सिंह ने मंत्रिमंडल विस्तार को भी इसी से जोड़ा और कहा कि जब तक विस्तार हो नहीं जाता, तब तक वे मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सकेंगे।



   


मौसम विभाग की चेतावनी, भारी बारिश से यहां के लोग रहे सावधान

Mansoon 2019 alert in madhya pradesh: मौसम विभाग की बड़ी चेतावनी, साथ में जाने कब कहां होगी तेज बारिश...Mansoon 2019 heavy alert in madhya pradesh


भोपाल। देरी से आए मानसून बाद अब मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों को बारिश (Monsoon ALERT ) ने अपनी चपेट में ले लिया है। मानसून की दस्तक राजधानी भाेपाल में होने के बाद यहां रविवार सुबह तक बारिश का क्रम जारी रहा। वहीं इसके साथ ही वर्षा ने मध्य प्रदेश के कई इलाकाें को पानी से सराबोर कर दिया है।

 

चेतावनी (Monsoon ALERT ) : 2 जून 2019 तक के लिए ये है खास...

मौसम विभाग की ओर से बैतूल, होशंगाबाद, हरदा, नीमच, मंदसौर, देवास, धार, खंडवा, खरगौन, अनूपपुर, सिवनी, डिंडोरी, छिंदवाडा, मंडला, बालाघाट में भारी वर्षा की चेतावनी (Monsoon ALERT ) जारी की गई है।



वहीं मौसम विभाग ( Weather ) के अनुसार रविवार से सोमवार सुबह तक होशंगाबाद, बैतूल, हरदा, भोपाल, रायसेन, राजगढ, विदिशा, सीहोर, विदिशा, सीहोर, इंदौर, धार, खंडवा, खरगौन, अलीराजपुर, झाबुआ, बडवानी, बुरहानपुर जिलों में अनेक स्थानों पर...

जबकि जबलपुर, मंडला, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी, कटनी, छिंदवाडा,उज्जैन, नीमच, रतलाम, शाजापुर, देवास, मंदसौर, आगर, उमरिया, अनूपपुर, शहडौल, डिंडोरी, दतिया,गुना, ग्वालियर,शिवपुरी,अशोक नगर जिलों मेंं कुछ स्थानों पर... व मध्यप्रदेश के शेष जिलों में कहीं कहीं पर वर्षा/गरज चमक के साथ बौछारें (Monsoon ALERT ) , तेज हवाएं ( अल्पकालिक हवा की गति 30 से 40 किमी/घंटा) चल सकती हैं।

वहीं माैसम के जानकारों के अनुसार सोमवार यानि 2 जुलाई काे भोपाल में भारी बारिश हाे सकती है। इसके अलावा आगामी तीन से चार दिनों तक इंदाैर,जबलपुर,उज्जैन, हाेशंगाबाद संभागाें के अलावा मंदसाैर, नीमच जिलाें में भी भारी बारिश की संभावना है।



इसका कारण रविवार काे बंगाल की खाड़ी में लो-प्रेशर एरिया का बनना बताया जा रहा है। मौसम के जानकार व विभाग से रिटायर्ड हुए एके शर्मा के अनुसार इसके असर से ही मप्र के इन इलाकाें में बारिश (Monsoon ALERT ) हाेगी साथ ही मानसून आगे बढ़ेगा।

माैसम विभाग से सामने आ रही सूचनाओं के अनुसार मानसून अब उत्तरी अरब सागर, गुजरात, मध्यप्रदेश के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ा है। ऐसे में मानसून की उत्तरी सीमा द्वारिका, अहमदाबाद, भोपाल, जबलपुर, लखीमपुर, मुक्तेश्वर से होकर गुजर रही है।

अब तक ये हुआ...
वहीं इससे पहले शनिवार को राजधानी भोपाल सहित पूरे संभाग में देर रात से रविवार सुबह तक झमाझम बारिश (Monsoon ALERT ) का सिलसिला जारी है। बताया जाता है कि इस दौरान भोपाल में 52 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। जबकि रायसेन जिले में दर्ज बारिश 120 मिलीमीटर रही है।

भोपाल का मौसम...
राजधानी में शनिवार देर रात से रुक-रुक कर शुरू हुई बारिश का सिलसिला शुरू हुआ जो रविवार सुबह तक जारी रहा। इस दौरान पूरे भोपाल में तेज बारिश(Monsoon ALERT ) हुई। वहीं रविवार सुबह करीब नौ बजे के पूरे शहर पर काले घने बादल छा गए और फिर बारिश में तेजी आ गई। जिसके चलते सड़कों सहित कई स्थानों पर पानी भर गया।

रायसेन का हाल
वहीं इससे पहले रायसेन शहर में तेज बारिश के कारण शहर के कई घरों में पानी भर गया। वहीं जिले में भी देर रात से हो रही तेज बारिश (Monsoon ALERT ) से बायपास रोड पर बनाई गई पुलिया धसक गई।

मध्य रात्रि से हो रही मूसलाधार बारिश (Monsoon ALERT ) के कारण रामलीला मैदान, तालाब मोहल्ला के लगभग 100 घरों में बारिश का पानी भराया। जिससे लोगों का आवश्यक सामग्री सहित खाने पीने का सामान खराब हो गया।

monsoon in mp04

मानसून की पहली अच्छी बारिश से हुए नुकसान के चलते कई मोहल्लों में लोगों को मजबूरन रतजगा करना पड़ा। जबकि नालों की सफाई न होने से लोगों के घरों में पानी भर गया।



केंद्र की मोदी सरकार ने घर-घर तक बिजली पहुंचाने के लिए मेगा प्लान तैयार किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस प्लान को जमीन पर उतारने के लिए एक महीने के अंदर घोषणा कर सकती है. इस मेगा प्लान को तीन भागों में बांटा गया है.



दरअसल सरकार ने सबसे पहले बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. खबरों के मुताबिक सरकार बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की हालत सुधारने के लिए बिजली चोरी रोकने को लेकर एक्शन में है.



मोदी सरकार 3 स्तरीय प्लान में ईमानदार बिजली ग्राहकों को 24 घंटे बिजली मुहैया कराई जाएगी. कटिया कनेक्शन पर रोक लगाने के लिए बिजली केबल को अंडर ग्राउंड करने का प्लान है. अगर केबल जमीन के अंदर से होकर गुजरेगा तो बिजली चोरी पर अंकुश लग पाएगा. और बिजली कंपनियों की सेहत में सुधार आएगी.



बिजली कंपनियों की हालत सुधारने पर फोकस और स्मार्ट मीटर लगाने की योजना में रफ्तार लाने पर विचार कर रही है. कई राज्यों ने स्मार्ट मीटर लगाने की रफ्तार सुस्त है. ऐसे राज्यों से केंद्र सरकार संवाद स्थापित करेगी.


सबसे खास बात यह है कि स्मार्ट मीटर लगाने में जो खर्च आएगी, उसे सरकार वहन करेगी. यानी ग्राहकों से स्मार्ट मीटर को लेकर कोई चार्ज नहीं वसूला जाएगा.



इसके अलावा जिन इलाकों में सबसे ज्यादा बिजली चोरी होती है उस इलाके का डाटा तैयार कर राज्य सरकार केंद्र सरकार को देगी. कुल मिलाकर सरकार का फोकस बिजली कंपनियों की हालत सुधारने पर है.

खरगोन।

भाजपा के सदस्यता अभियान के लिए गांव-नगरों में जाने वाले विस्तारकों को आम जनता के यह बताना पड़ेगा कि बिजली जाने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, विद्युत उपकरण व चमगादड़ जिम्मेदार नहीं है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी असफलता का ठीकरा छोटे से चमगादड़ पर कै से फोड़ सकते हैं। हमें लोगों को यह बताना होगा कि 15 साल जब भाजपा की सरकार थी, तब क्या प्रदेश में चमगादड़ नहीं थे।

शनिवार को यह बात भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष रंजना बघेल ने स्थानीय राधाकुंज मांगलिक परिसर में 6 जुलाई से प्रारंभ होने वाले पार्टी के सदस्यता अभियान (संगठन पर्व) को लेकर बृहद बैठक में कही। बघेल ने कमलनाथ सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि न तो बेरोजगारी भत्ता मिल रहा है और न ही छात्रवृत्ति। हर मोर्चे पर विफल कमलनाथ सरकार नाकामियों को दूसरे पर ढोलने लगी है। कर्जमाफी, भ्रष्टाचार, तबादला उद्योग सहित ऐसे अनेक मुद्दे हैं जिन्हें हमें सदस्यता अभियान के दौरान जनता के बीच ले जाना होगा। सांसद गजेंद्र पटेल ने कहा आप सभी कार्यकर्ताओं के परिश्रम से दो लाख से अधिक वोटों से विजयी हुआ हूं। मैंने बीते दिनों में संसद की गतिविधि को समझने का प्रयास कि या है। शून्यकाल में प्रश्न लगाकर रेल से जुड़ी मांग व समस्या को रखा है। रेलमंत्री ने 15 दिन का आश्वासन दिया है। भाजपा के सदस्यता अभियान को महत्वपूर्ण मानकर अभियान को सक्रियता से संचालित करें। बैठक में पूर्व राज्यमंत्री बालकृष्ण पाटीदार, सांसद गजेंद्र पटेल, जिला प्रभारी राधेश्याम यादव, जिलाध्यक्ष परसराम चौहान, उपाध्यक्ष व सदस्यता अभियान जिला प्रभारी अजीत छाजेड़, महेंद्र यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष बाबुलाल महाजन सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।



मंथन न्यूज
जबलपुर/भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी करने के मामले में सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से एक आवेदन पेश कर बताया गया कि इसी अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है, जिसमें सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

राज्य सरकार ने मांग की कि मामले पर सुनवाई बढ़ा दी जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा एवं जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है। साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी है कि अगर राज्य सरकार उक्त अध्यादेश के पालन में कोई कार्रवाई करता है तो स्टे के लिए आवेदन पेश कर सकते हैं।

यूथ फॉर इक्वेलिटी संस्था और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने याचिका दायर कर बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट कहा है कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मध्यप्रदेश में पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 50 प्रतिशत आरक्षण लागू था।

इसमें 20 प्रतिशत एसटी, 16 प्रतिशत एससी और 14 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण का प्रावधान था। राज्य सरकार ने 8 मार्च 2019 को एक अध्यादेश जारी कर ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने दलील दी कि ओबीसी का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने से प्रदेश की शासकीय नौकरियों में आरक्षण की कुल सीमा बढक़र 63 प्रतिशत हो गई है, जोकि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है।



   


सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के आधार पर मध्यप्रदेश परिवहन विभाग ने जारी की है एडवाइजरी।


सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बस में एक व्यक्ति एस्कॉर्ट और एक शिक्षक की व्यवस्था भी हो।


परिवहन मंत्री ने भी जारी एडवाइजरी को पालन करने की अपील की है।


एडवाइजरी में स्कूल प्रबंधन, बस संचालकों के साथ-साथ अभिवावकों को भी दिशा निर्देश दिए गए हैं।


भोपाल. स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र ( Academic session ) शुरू हो गया है। स्कूलों के नए शैक्षणिक सत्र को लेकर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ( Transport commissioner ) शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने प्रदेश के सभी अभिवावकों, स्कूल संचालकों के साथ-साथ बस संचालकों के लिए एक एडवाइजरी ( advisory ) जारी की है। यह एडवाइजरी न्यायालयों, केंद्र और राज्य सरकार और परिवहन विभाग द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर जारी की गई है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने एडवाइजरी में कहा है कि स्कूल बस संचालक द्वारा स्कूल बस में कई मापदंडों की पूर्ति आवश्यक रूप से की जाए।


 



 

स्कूल बस लिखा जाना आनिवार्य
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने नियमों के आधार पर बसों के आगे और पीछे बड़े व स्वच्छ अक्षरों में 'स्कूल बस' ( School Bus ) लिखा होना अनिवार्य है। बसों का रंग पीला होना चाहिए। यदि स्कूल बस किराए पर ली गई है तो इसके आगे और पीठे बड़े अक्षरों में 'विद्यालय सेवा' और अंग्रेजी में ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना आनिवार्य है। किसी भी बस में निर्धारित सीटों से संख्या से अधइक छात्रों को नहीं बैठाया जाए इसके साथ-साथ ही स्कूल सेवा में लगी सभी वाहनों में अनिवार्य रूप से प्राथमिक उपचार ( First Aid Box ) की व्यवस्था होनी चाहिए।

 



 

40 किमी से ज्यादा नहीं हो स्पीड
जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि बसों की स्पीड 40 किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके साथ-साथ ही बसों को लेकर अनिवार्य दिशा निर्देश भी दिए गए हैं।

बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) अनिवार्य रूप से लगाई जाए।


प्रत्येक बस में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए।


बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बड़े अक्षरों में अनिवार्य रूप से लिखा जाए।


बस के वाहन संचालकों को भारी बाहन चलाने का न्यूनतम 5 बर्ष का अनुभव होना चाहिए। ट्रैफिक नियमों का दोषी नहीं ठहराया गया हो।


 



 

स्कूल प्रबंधन के लिए जारी की गई एडवाइजरी
स्कूल प्रबंधन को लेकर भी एडवाइजरी जारी की गई है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा- स्कूल प्रबंधन द्वारा यह ब्यौरा रखा जाए कि कौन सा बच्चा किस वाहन से स्कूल आ और जा रहा है। बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए लगे बाहन के सभी आवश्यक दस्तावेज का एक सेट अपने पास रखें। स्कूली वाहन में एलपीजी से संचालित वाहन का प्रयोग सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। ऐसे वाहनों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। प्रत्येक वाहन में बच्चों की संख्या निर्धारित की जाए। स्कूल परिसर में सीसीटीवी की संख्या बढ़ाई जाए।

 



 

परिजनों के लिए जारी एडवाइजरी
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने परिजनों के लिए भी एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों के स्कूल आते-जाते समय सुरक्षा के प्रति स्वंय बराबर के उत्तरदायी है। परिजन भी तय करें की स्कूल बस निर्धारित पैमानों का प्रयोग बसों में किया गया है या नहीं। चालक या स्कूल के अन्य कर्मचारियों द्वारा नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं। बच्चों के अभिवावक अभिवावक-शिक्षक बैठक ( Parents Teacher Meeting ) में अनिवार्य रूप से जाएं। जिन बसों के पास वैध परमिट नहीं हो उन वाहनों में बच्चों को स्कूल नहीं भेंजे।

 


पुलिस/ परिवहन का दायित्व
पुलिस और परिवहन द्वारा स्कूल संचालकों, बस संचालकों द्वारा कोर्ट, राज्य औऱ केन्द्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करवाना सुनिश्चित करें।



 

क्या है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश ?

स्कूल बस के आगे-पीछे बड़े और पढ़ने योग्‍य अक्षरों में स्कूल बस लिखा हो।


बस किराए की है तो उस पर आगे-पीछे 'विद्यालयीन सेवा' लिखा जाए।


बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे न बैठाए जाएं।


बस में अनिवार्य रूप से फर्स्‍ट एड बॉक्स की व्यवस्था हो।


बस की खिड़कियों में हॅारिजेंटल ग्रिल अनिवार्य रूप से फिट होना चाहिए।


बस में अग्नशिमन यंत्र की व्यवस्था हो।


बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर अवश्य लिखा हो।


बस के दरवाजे पर सुरक्षित सिटकनी लगी हो।


ड्राइवर को भारी वाहन चलाने का कम से कम 5 साल अनुभव हो।


ड्राइवर ट्रैफिक नियमों के उल्लघंन का दोषी नहीं ठहराया गया हो।


बस में ड्राइवर के अलावा एक अन्य योग्य व्यक्ति की व्यवस्था हो।


बच्चों के बैग रखने के लिए सीट के नीचे जगह की व्यवस्था हो।


बस में एक व्यक्ति एस्कॉर्ट और एक शिक्षक की व्यवस्था भी हो।


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