कैंसर की बीमारी से ज्यादा दर्द दे रही कैंसर की महँगी दवाई

भोपाल -कैंसर की बीमारी मरीज को जितना दर्द देती है उससे कहीं ज्यादा दर्द उसका महंगा इलाज देता है। सरकार कैंसर की कुछ दवाओं को मूल्य नित्रयंण के दायरे में लाकर मरीजों को राहत देने की बात कह रही है लेकिन हकीकत यह है कि इस दायरे में आने के बाद भी कैंसर की दवाएं दो से तीन गुने दाम पर बाजार में बिक रही हैं।
इनमें ज्यादातर कीमीथैरेपी की दवाएं हैं, सामान्य दवाओं में होल सेलर को 7 से 10 फीसदी और रीटेल दुकानदार को 15 से 20 फीसदी का मुनाफा होता है, लेकिन कैंसर की दवाएं रीटेल में दोगुने-तिगुने मुनाफे के साथ बेची जा रही हैं। कुछ मेडिकल स्टोर्स में छूट के साथ दवाएं मिलती हैं, लेकिन ज्यादातर बड़े अस्पताल बाहर से दवाएं खरीदने नहीं देते, ऐसे में मरीजों को मजबूरी में पूरी कीमत पर दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
इस तरह लुट रहे मरीजmedicine 201723 231054 03 02 2017
कैंसर की कीमोथैरेपी की दवा जेमसिटाबिन पहले 6500 रुपए में मिलती थी। ड्रग प्राइज कंट्रोल आर्डर (डीपीसीओ) यानी मूल्य नियंत्रण में आने के बाद इसकी कीमत 5100 हो गई। जबकि इस दवा की होलसेल कीमत 2500 से 3000 के बीच है। कुछ मेडिकल स्टोर संचालक यही दवा 3500 रुपए में मरीजों में दे रहे हैं, लेकिन अधिकतर जगह 5100 रुपए में ही यह दवा मिल रही है। लगभग इसी तरह की कीमत मूल्य नियंत्रण में आने वाली अन्य दवाओं का भी है।
मूल्य नियंत्रण का फार्मूला ठीक नहीं
जरूरी दवाओं की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र सरकार ने ड्रग प्राइज कंट्रोल आर्डर बना रखा है जिसके तहत 860 दवाएं रखी गई हैं । रिटायर्ड ड्रग इंस्पेक्टर डीएम चिंचोलकर ने कहा ड्रग प्राइज कंट्रोल आर्डर के तहत दवाओं को मूल्य नियंत्रण में लाने का फार्मूला ही ठीक नहीं है। दवाओं की कीमत तय करने के लिए लागत की जगह दवाओं के औसत मूल्य को आधार बनाया जाता है। कैंसर की दवाएं पहले से ही महंगी हैं। ऐसे में उनका औसत ज्यादा आता है। यही वजह है कि मूल्य नियंत्रण में आने के बाद भी दवाएं सस्ती नहीं हैं।
और कम हो सरकारी कीमत
सरकार को वाकई कैंसर मरीजों को राहत देना है तो मूल्य नियंत्रण के तहत कीमतें और कम करनी चाहिए। हम कई दवाओं को सरकार द्वारा तय रेट से भी 30 से 40 फीसदी कम में बेच रहे हैं, इसके बाद भी हमें मुनाफा है। कुछ अस्पताल अपने यहां से ही दवाएं लेने के लिए बाध्य कर मरीजों को एमआरपी पर दवाएं बेंच रहे हैं। भुवन सिंह, कैंसर दवाओं के विक्रेता
- See more at: http://naidunia.jagran.com/madhya-pradesh/bhopal-the-disease-was-more-painful-than-giving-expensive-cancer-drugs-982573?src=p1_w#sthash.Z5GBW4qv.dpuf