
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय में 1995 में मंसूरी अध्ययन दल ने कैडर रिव्यू किया था, तब से वहीं व्यवस्था जारी है। मंत्रालय सेवा के अधिकारी-कर्मचारी रिटायर हो रहे पर 2008 के बाद से बड़े पैमाने पर भर्ती भी नहीं हुई है। जबकि, घुमक्कड़-अर्द्ध घुमक्कड़, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग, प्रवासी भारतीय, आनंद जैसे नए विभाग बने हैं। विभागों ने कामकाज में परेशानी का हवाला देते हुए कुछ समय के लिए संचालनालयों से अधिकारियों-कर्मचारियों को बुलाया और वे मंत्रालय में ही जम गए।
मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि शासन के काम में निष्पक्षता और गोपनीयता के लिहाज से नियम है कि मंत्रालय में बाहरी अधिकारी-कर्मचारी काम नहीं कर सकते। यदि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मंत्रालय में बैठेंगे तो निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे। ये मुद्दा परामर्शदात्री समिति की बैठक में उठता रहा है, लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो रहा।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कामकाज को सुचारू ढंग से चलाने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों की जरूरत है, इसलिए ये वैकल्पिक व्यवस्था विभागों ने बनाई है। 150 पद भरने की तैयारी हो गई है। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के भर्ती नियम नए सिरे से बनाए जा रहे हैं।
ये हैं मंत्रालय में विभागों के हाल
ऊर्जा: 53 अधिकारियों-कर्मचारियों में मंत्रालय सेवा के बमुश्किल 10 कर्मचारी ही हैं। अपर सचिव से लेकर ज्यादातर उप सचिव इंजीनियर हैं।
वित्त: अधिकारी स्तर पर ज्यादातर वित्त सेवा के हैं। कुछ कर्मचारी भी संस्थागत वित्त आदि जगहों से लगाए गए हैं।
सहकारिता: स्थापना का काम सहकारिता सेवा के अधिकारी के पास है, जबकि इसे बाहरी को नहीं दिया जा सकता।
सामान्य प्रशासन विभाग: मंत्रालय में अटैच करने पर रोक लगी है। फिर भी बाहर के 700 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हैं।
स्कूल शिक्षा: कई महत्वपूर्ण काम लोक शिक्षण संचालनालय से आए अधिकारियों के हाथ में। ये ही नीतिगत काम करते हैं। कुछ अधिकारी तो अपने साथ स्टाफ भी लेकर आए हैं।
गृह: करीब 30-35 कर्मचारी पुलिस मुख्यालय से अन्य जगहों से पदस्थ किए गए हैं
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