ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल दौरे के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. गौरतलब है कि उनके साथ डिनर में दिग्विजय सिंह और अजय सिंह तो शामिल नहीं हुए, लेकिन सीएम कमलनाथ इसमें जरूरी शरीक हुए.
क्या गांधी परिवार के बेहद करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में किसी बड़ी भूमिका की तलाश में हैं? हालात कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं. कांग्रेस में राजनीति पद से चलती है. दिल्ली के 27 सफदरजंग रोड के बंगले को छोड़ने के बाद भोपाल में सिंधिया की सक्रियता के अब कुछ खास मायने देखे जा रहे हैं. क्या सिंधिया को गांधी परिवार से कोई संकेत मिला है? दरअसल, भोपाल में सिंधिया का पावर शो कांग्रेस में नई सनसनी की तरह है. सिंधिया यहां लीक से हटकर अपनी राजनीतिक पहचान दिखाते हुए नजर आए.
सामंजस्य बनाने आए थे भोपाल!
सिंधिया का यह भोपाल दौरा मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत मंत्रियों और विधायकों और सभी गुटों के नेताओं के साथ सामंजस्य बढ़ाने का था.
दरअसल, सिंधिया का भोपाल दौरा मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत मंत्रियों -विधायकों और सभी गुटों के नेताओं के साथ सामंजस्य बढ़ाने का था. वहीं, अपनी ताकत को प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने का था. जहां तक अपनी महाराज वाली छवि का सवाल है तो वह एक कदम नीचे उतर कर आम लोगों से लेकर कार्यकर्ताओं से घुलते-मिलते नजर आए .
समर्थकों ने सिंधिया को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग की
गुना-शिवपुरी से लोकसभा का चुनाव हारने और महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद सिंधिया समर्थकों में खासी खलबली है. मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगलबंदी से चल रही मध्य प्रदेश की सरकार में अब सिंधिया के लिए नए तार छेड़े जा रहे हैं. उन्हें अध्यक्ष बनाने की मांग करते हुए प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में पोस्टर लग रहे हैं. हां, यह अलग बात है कि उन पोस्टरों को बाद में हटाया जाता है. वहीं, सिंधिया समर्थक खुलकर उन्हें राष्ट्रीय अध्य्क्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं.
कमलनाथ-सिंधिया आए साथ-साथ
इस सबके बीच सिंधिया खुद भोपाल आकर एक नई सियासी हलचल पैदा करने की कोशिश करते हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उनका लंच और बंद कमरे की मुलाकात बता रही है कि वह रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाना चाहते हैं. अपने खास समर्थक तुलसी सिलावट के यहां डिनर में सिंधिया 27 मंत्रियों और 90 से ज्यादा विधायकों से मिलते हैं. हालांकि, कांग्रेस के आला नेता दिग्विजय सिंह और अजय सिंह इस डिनर में शामिल नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसमें पहुंच कर यह साफ बता दिया कि सिंधिया से उन्हें कोई परहेज नहीं है.
सिंधिया ने पार्टी के लिए जोश से भरे नेतृत्व की मांग की
यह पहला मौका है जब सिंधिया मध्य प्रदेश की विधानसभा भी गए. यहां उन्होंने मीडिया से बातचीत में खुलकर अपनी बातें रखीं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए युवा और जोश से भरे नेतृत्व की मांग की, ताकि वह कांग्रेस में नई जान फूंक सके. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी इस तरह पद छोड़ देंगे, इसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. सिंधिया अगली कड़ी में भोपाल के कॉफी हाउस भी गए. वहां वह आम लोगों से घुलते- मिलते और प्रसन्न मुद्रा में लोगों से बातचीत करते नजर आए. वह आम कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भी गए.
सिंधिया के समर्थक भी भोपाल पहुंचे
इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा, 'औपचारिकता तो राजनीतिक लिबास है, लेकिन सरलता में ही असली मिठास है.' सिंधिया की इस सरलता और मिठास का रंग यह रहा कि पूरे प्रदेश भर से उनके समर्थक भोपाल पहुंच गए और कांग्रेस में सिंधिया को लेकर एक नया शक्ति केंद्र बनता दिखाई दिया. राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे चुके सिंधिया की गतिविधियों ने साफ संकेत दिया है कि वह किसी बड़ी भूमिका की तलाश में हैं. ऐसे में गांधी परिवार ने चाहा तो वह सहमति के आधार पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हो सकते हैं.
लंच और डिनर में कमलनाथ रहे साथ
कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सीपी शेखर कहते हैं कि सिंधिया पूरे हिंदी बेल्ट में नए उभरते युवा नेता हैं. उनके दो दिन के भोपाल प्रवास ने इन अफवाहों के खारिज किया है कि उनके और मुख्यमंत्री के बीच किसी किस्म की दूरी है. इसके साथ ही लंच और डिनर में दोनों नेताओं की मौजूदगी और मंत्री और विधायकों की एकजुटता ने भाजपा को भी करारा जवाब दिया है.
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