भोपाल. पंद्रह साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार दो महीने में ही अपनों से घिरती दिख रही है। इसका नजारा विधानसभा में बजट सत्र में देखने को मिला। मंत्रियों से लेकर अपने ही विधायकों के कारण सरकार को कई मुद्दों पर बैंकफुट पर आना पड़ा है। इसमें सदन से लेकर सडक़ तक गुटीय राजनीति का शिकार होकर सरकार को बार-बार सफाई देना पड़ी है।
कांग्रेस विधायकों को उम्मीद थी कि उनकी सरकार है, इसलिए सदन में सवालों के जवाब में बड़े खुलासे होंगे, लेकिन इससे उलट कहीं क्लीनचिट ने विवाद खड़ा किया, तो कहीं जांच प्रक्रियाधीन और जानकारी एकत्र की जा रही है, जैसे जवाबों ने विधायकों की उम्मीद पर पानी फेर दिया। इससे नाराज व गुटीय राजनीति के चलते मंत्री-विधायक कई मोर्चों पर सरकार को मुश्किल में डालते दिखे।
प्रद्युम्न के तेवर
विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाषण के दौरान खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर खूब बरसे। उन्हें कमलनाथ गुट के मंत्रियों ने मनाने की कोशिश की, लेकिन सिंधिया गुट के तोमर नहीं माने। आखिर में आरिफ अकील को उनकी सीट पर जाकर उन्हें चुप करना पड़ा।
राज्यवर्धन ने घेरा मंत्री को
विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस सदस्य राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर को घेर दिया। ध्यानाकर्षण में आबकारी विभाग धार में पदस्थ एक अफसर संजीव दुबे के 100 करोड़ के घोटाले को लेकर सवाल किया। मंत्री ने कहा कि जांच कराई जा रही है, तो राज्यवर्धन अफसर को निलंबित करने पर अड़ गए। बोले- पहले की सरकार ने भ्रष्टाचार किया तो क्या हम इंतजार करेंगे कि पूरी दाल काली हो जाए और उसे पीकर हम मर जाएं। गौरतलब है कि राज्यवर्धन मंत्री न बनाए जाने से नाराज रहे हैं।
पहली बार के विधायक एकजुट
सरकार बनने के बावजूद अपनी नहीं सुने जाने से नाराज पहली बार के विधायकों ने संगठन तक बना लिया है। वे एक दिन कमलनाथ से भी मिले। इन्होंने तबादलों में उनकी कोई पूछपरख न होने और सरकार में किसी स्तर पर सुनवाई न हाने से नाराजगी जताई।
गोल-मोल जवाब
कांग्रेस विधायकों ने भाजपा सरकार के समय के घोटालों पर सवाल पूछे, लेकिन अफसरों की ओर से अधिकतर जवाब गोल-मोल दिए गए। इसके चलते मंत्रियों के जवाबों को लेकर विधायकों में काफी नाराजगी रही। व्यापमं घोटाले से संबंधित जवाबों में भी जांच प्रक्रियाधीन होना बताया गया।
मंत्रियों से किरकिरी
पूर्व की भाजपा सरकार के समय के घोटालों को क्लीनचिट देकर मंत्रियों ने भी कमलनाथ सरकार की किरकिरी कराई। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के ऐतराज और वन मंत्री उमंग सिंघार के पत्र लिखने के बाद सियासी ड्रॉमा चला, जिससे सरकार की छवि पर असर पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बयान तक दिया कि यह सरकार अपने ही कर्मों से गिर जाएगी।
स्टाफ पर भी कॉकस
कमलनाथ ने मंत्रियों को भाजपा सरकार के समय के मंत्रियों के स्टॉफ से परहेज रखने के लिए कहा था। दिग्विजय तक ने इसे लेकर ताकीद किया था, लेकिन इससे उलट अनेक मंत्रियों ने पुराने स्टॉफ को रख लिया। इसे लेकर भी मंत्री विवादों में घिरे।
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