विधानसभा में हुई 'चूक' से बचने के लिए भाजपा ने इस दिग्गज पर खेला दांव...



   


आखिरी वक्त पर रद्द हो गया था कार्यक्रम..

 

कोटा को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। 2013 में कोटा जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी।ये आंकड़ा सिमट कर 2018 में 3 रह गया था। लोकसभा चुनावों में दोबारा गढ़ को मजबूत करने और कोटा-बूंदी सीट पर जीत हासिल करने के लिए पार्टी पूरी दमखम से प्रचार कर रही है। यही वजह है कि भाजपा के अध्यक्ष और सबसे बड़े दिग्गजों में शूमार अमित शाह मतदान के ठीक पहले कोटा में रोड शो करेंगे। वे पार्टी प्रत्याशी ओम बिरला के समर्थन में लोगों से मतदान की अपील करेंगे।


आखिरी वक्त रद्द हुआ था शाह का रोड शोा
विधानसभा चुनावों में मतदान के ठीक पहले कोटा में अमित शाह का रोड शो होना था लेकिन किसी कारणवश आखिरी समय में इसे रद्द कर दिया गया। इसका खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ा और पार्टी यहां 6 से 3 पर सिमट गई थी।

8 विधानसभा आती है कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में

19,31,460 मतदाता

997740 पुरुष मतदाता

933720 महिला मतदाता

2051 पोङ्क्षलग बूथ हैं संसदीय क्षेत्र में

15 प्रत्याशी मैदान में है

12 प्रत्याशी 2014 के चुनाव में मैदान में थे

100 प्रतिशत मतदताओं के पहचान पत्र बने हुए हैं

936 महिलाएं एक हजार पुरुषों के मुकाबले

ये विधानसभा क्षेत्र आते हैं
बूंदी, केशवरायपाटन, सांगोद, कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण, रामगंजमंडी, लाडपुरा और पीपल्दा।

15 प्रत्याशियों को बीच होगा मुकाबला,

भाजपा से ओम बिरला, कांग्रेस से रामनारायण मीणा, बहुजन समाज पार्टी के हरीश कुमार लहरी, राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के चन्द्रप्रकाश, शिवसेना के भीमसिंह कुंतल, आरक्षण विरोधी पार्टी के महेश कुमार रानीवाल, मार्कसिस्ट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राजेन्द्र प्रसाद सिंगोर, प्राउटिस्ट सर्व समाज के शोभाराम निर्मल, भारतीय किसान पार्टी के प्रत्याशी सोमेश भटनागर मैदान में हैं। इसी प्रकार निर्दलीय केसरी लाल, प्रवीण खण्डेलवाल, सतीश भारद्वाज, हरगोविंद, सुनील मदान और अब्दुल आसिफ मैदान में हैं।

राजनीतिक समीकरण 
कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र का गठन कोटा और बूंदी जिले के कुछ हिस्सों के मिलाकर किया गया है । आजादी के बाद इस सीट पर हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 4 बार ही इस सीट पर जीत दर्ज कर पाई,जबकी 6 बार भाजपा और 3 बार भारतीय जनसंघ का कब्जा रहा। वहीं 1 बार जनता पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और 1 बार निर्दलीय का कब्जा रहा।