सहरिया क्रांति ने कराया सामूहिक विवाह सम्मलेन 35 जोड़े बंधे परिणय सूत्र में


मंथन न्यूज
सहरिया क्रांति द्वारा सहरिया आदिवासी समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मलेन शिवपुरी जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर कि दूरी पर प्राकृतिक वादियों  में स्थित प्राचीन सिद्ध स्थल कंडऊ खेरा मन्दिर प्रांगण में संपन्न हुआ। सामूहिक विवाह सम्मलेन में सहरिया आदिवासी समाज के 35  जोड़े परिणय सूत्र में बंधे, इस अवसर पर हजारों कि संख्या में सहरिया आदिवासी जन समारोह स्थल पर उपस्थित रहे, सामुहिक विवाह  समारोह में सबसे आकर्षक रहा। वर वधू को  वरमाला पहनाना, यह पहला सामूहिक विवाह कार्यक्रम था जिसमे सहरिया समाज के वर वधुओं ने इक दूसरे को भव्य मंच पर वरमाला पहनाई,
सहरिया क्रांति के सहरिया समाज के प्रमुख जनों ने समाज में व्याप्त दहेज जैसी कुरीति को समाप्त करने का संकल्प लेते हुए सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया और प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन मई 2018 को करने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया था। सहरिया समाज के इस सामूहिक विवाह में आसपास के जिलों के अलावा राजस्थान और उत्तरप्रदेश तक के जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। सम्मेेलन का शुभारम्भ सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने कंदव खेरा मन्दिर पर पूजा अर्चना के साथ किया। तत्पश्चात संत बाबा हाकम सिंह ने समारोह स्थल पर पहुंचकर वर वधू को आशीर्वाद प्रदान किया ण् बाबा हाकम सिंह ने कहा कि यह सामूहिक विवाह सम्मलेन दहेज जैसी कुरीति को खत्म करने कि  सशक्त पहल है, बाबा जी के आशीर्वचन के पश्चात वैवाहिक रस्मे प्रारंभ हुईं।
-सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां।
सहरिया आदिवासी समाज के इस सामूहिक विवाह सम्मेलन में रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन सहरिया क्रांति युवा सैनिकों ने किया कोटा गाँव के सोमदेव ने फिल्मी गानों पर शानदार डांस कि प्रस्तुती दी वहीं नन्हे मुन्ने आदिवासी बालकों ने भी अपनी मनभावन प्रस्तुतियां देकर सभी का मन मोह लिया।
-वरमाला के दौरान रामधुन से गूंज उठा पंडाल
अब तक क्षेत्र में आयोजित हुए सामूहिक विवाह सम्मेलनों में ज्यादातर औपचारिक रस्मे पूरी कर करने के बाद विवाह सम्मलेन सम्पन्न होते रहे हैं पर पहली बार सहरिया क्रांति द्वारा वर वधुओं को वरमाला का आयोजन किया गया। वरमाला के दौरान पूरे समय रामसीता के भजन चलते रहे क्रमानुसार वर वधु आते रहे और इक दुसरे को वरमाला पहनाइ, पूरा पांडाल इस दृश्य पर भाव विभोर हो उठा उपस्थित आदिवासियों के लिए यह अद्भुत पल था इससे पहले किसी भी सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में ऐसा अद्भुत आयोजन उन्होंने नहीं देखा था तालियों कि गडगड़ाहट इस खुशी का इजहार कर रही थी।
-यह दिये उपहार
वर पक्ष के लिए गोद भराई का सामान एवधु पक्ष को बिछुड़ी, तोडिय़ा, नाक का कांटा, सोने का बाला, चाँदी का मंगलसूत्र, चाँदी कि अंगूठी, पलंग, चादर तकिया, लड़की के कपड़े, चप्पलें सूटकेस, सिंगारदानी, दो कुर्सी लड़का के कपड़े, इक जार, 2 कटोरी, दीपक, दो थाली, दो लोटा, एक जग, एक ग्लास, एक कोपर, दो बेला एचिरैया ए खम्बदखी एआदि सामग्री उपहार स्वरूप प्रदान कि गई
-ये बंधे परिणय सूत्र में
राकेश-अमरवती, महेश-गुडिया, साहबसिंह-सरवती, तुलसीराम-बर्षा, सुम्मेरसिंह-सुखवती, भगवन सिंह-रवीना, जनवेद- जानकी, राजवीर- राजकुमारी, प्रहलाद-पूजा, प्रदीप-सर्जना, ऊधमसिंह-रीना, अमरसिंह-सुमन, भिन्दीलाल-सीमा, पुष्पेन्द्र-पारवती, सजन-उर्मिला, छतरी-वर्षा, अरुण-राजाबेटी, धर्मवीर-विद्या, बहादुरञ-रजनी, रामबाबू-आशा, नरेंद्र-हसीना, मुन्ना-रतनबाई, रामनरेस-लाली, राजकुमार-नीलम, कल्ला-पूजा, शिशुपाल-खुशबू, रामवीर-पूजाबाई, रामलखन-रचना, देशराज-वर्षा बाई, रवि-पुष्पा, दुर्जन-कविता, राजकुमार-शारदा, धर्मराज-देवकी, मुखसिंह-उर्मिला एवं संतोष संग सावित्री विवाह वन्दन में बंधे।