व्ही एस भूल्ले 14मई 2018
जिस तरह से मप्र में शिवपुरी के हरे-भरे जंगल नदी-नालों या राजस्व भूमि को विगत 25 वर्षो मेें उत्खनन के नाम अवैध रूप से छल्ली किया गया है यह किसी से छिपा नहीं है। आये दिन पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले अवैध खनन सामग्री के साथ वाहन इस बात का प्रमाण है कि शिवपुरी जिले में कितने बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन जारी है और खनन माफिया सरकारी मशनीनरी से गलवईयां कर, अपनी आका नेताओं के संरक्षण में किस बेरहमी से प्राकृतिक संपदा की लूट-मार अवैध तरीके से करने में जुटे हैं।
अगर अपुष्ट सूत्रों की माने तो शिवपुरी जिले में बड़े-बड़े प्रभावशील नेताओं के अघोषित समर्थक इस गोरखधंधे को प्रशासनिक मशीनरी एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों की अघोषित, साइलेंस भागीदारी के चलते सरअंजाम देने में लगे हैं।
जहां तक खनन विभाग का सवाल है तो अगर इसके द्वारा पकड़े गये वाहनों और पुलिस द्वारा पकड़े गये अवैध उत्खनन के वाहनों के मामलों की तुलना की जाए तो खनिज विभाग की कार्यवाही ऊंट के मुंह में जीरे के समान है मगर सबसे बड़ा सवाल खनिज विभाग की कार्यवाही को लेकर यह है कि जो खनिज माफिया बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन को सरअंजाम दे रहे हैं उनके खिलाफ अभी तक किसी भी प्रकार की बड़ी कार्यवाही का न होना इस बात का प्रमाण है कि सब कुछ शिवपुरी जिले में ठीक नहीं जिसमेें राजस्व, वन, पुलिस, खनिज विभाग जो कि अवैध उत्खनन को रोकने जवाबदेह हैं। मगर बड़े पैमाने पर चल रहे उत्खनन से स्पष्ठ है कि कहीं न कहीं खनन माफिया को किसी न किसी का संरक्षण अवश्य प्राप्त हैं।
अगर राजस्व, वन या खनिज विभाग की कोई स्पेशल टीम कार्यवाही करे तो बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन का खुलासा हो सकता है और अवैध उत्खनन कत्र्ताओं पर कड़ी कार्यवाहीं। मगर लगता नहीं कि इतने बड़े पैमाने पर होन रही प्राकृतिक संपदा की लूट इतनी आसानी से रुकनी वाली है। बहरहाल जो भी हो सारे नियम कानून और कानून के रखवाले इन खनन माफियाओं के आगे बोने नजर आते है।
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