वीरेन्द्र भुल्ले समाचार सेवा। 14 मई 2018
म.प्र. में सबसे पिछड़े और छोटे जिले के रुप में जाने वाला दतिया जिले का शहर दतिया जिसे विश्व भर में लोग मां पीताम्बरा की नगरी के रुप में भी जानते है। कभी शहर से बाहर उजड़ा बस स्टैण्ड सकड़ी गलियों को स्वयं में समेटे पेयजल के लिये आभाव ग्रस्त और ख्याति के लिये जघन्य हत्या चौराहों पर सरेयाम गोली बारी के लिये कुख्यात शहर दतिया विगत 10 वर्षो में इतना बदल जायेगा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।
सिंगल सड़कों से अन्य कस्बो जिलो को जोडऩे वाले इस शहर में कभी सिर्फ मां पीताम्बरा के दर्शन को ही लोग पहुंचते थे। जिसमें घंटो रेल फाटक पर लगे रहने वाला जाम और पेयजल के लिये कराहते लोग इस बात का गवाह है कि कितनी विकट स्थिति में इस शहर के लोगों ने अपना जीवन निर्वहन किया है। मगर 10 साल पूर्व जब नये नेतृत्व ने इस शहर की कमान सम्हाली तब लोगों ने यह कल्पना भी सपने में नहीं की होगी कि दतिया इतना सुन्दर सुविधा युक्त और देखते ही देखते विकसित बन जायेगा।
डेढ़ सौ किलोमीटर दूर से शुद्ध पेयजल की पर्याप्त सप्लाई, शहर भर में चौड़ी-चौड़ी साफ सड़कों का निर्माण और दतिया को जोडऩे वाले अन्य जिलो से डबल लेन नवनिर्मित मार्ग बड़ी-बड़ी लाईटें, हाई मास्क शहर बीचों बीच डिवाइडर सहित दतिया में मेडिकल कॉलेज, हवाई अड्डा, पत्रकारकार्ता महाविद्यालय एवं रेलवे ओव्हर ब्रज सहित अन्य संस्थान सहित दतिया में स्थाई शान्ति और सदभाव का माहौल इस बात का गवाह है कि म.प्र. में सियासत की बयार जैसी भी चले अगर सेवा और विकास का संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं। और यह सब कुछ कर दिखाया विगत 9 वर्षो में दतिया से विधायक और म.प्र. सरकार में जनसम्पर्क, जल संसाधन मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने एकल स्वभाव अनुशासित दिनचर्या जीने वाले मिश्र का नाम सियासी फंकारों में भले ही सुमार हो। मगर विगत 10 वर्ष की उनकी कार्यप्रणाली बताती है कि सेवा और विकास में उन्होंने सियासत को कभी आड़े नहीं आने दिया।
इस बीच भले ही वह सियासी षडय़ंत्रों के शिकार रहे हो मगर एक सुलझे राजनेता के नाते कभी उन्होंने इस सम्पूर्ण यात्रा में स्वयं के चेहरे पर सिकन नहीं आने दी। मोबाईल पर हर समय हाजिर जबाव इस मंत्री की सख्सियत को लोग एक मिलनसार हसमुख मगर दृढ़ निश्चयी नेता के रुप में भी जानते है। मगर अपनी इस उपलब्धि पर चुप रह अपने लक्ष्यों को सरअन्जाम देने वाले मिश्र अभी भी सिवाये स्वयं के विभाग की उपलब्धियों के अलावा ज्यादा कुछ कहना पसंद नहीं करते। क्योंकि उनके लिये जन सेवा और स्वयं के कत्र्तव्यों का निर्वहन सर्वोपरि है। जिसे वह सियासी दांव पैचो से दूर रखना ही पसंद करते है।
देखना होगा कि अन्तिम दौर में और क्या उपलब्धियां वह दतिया के हिस्से में लाने वाले है क्योंकि अब चुनाव नजदीक है और चुनावों में जनता के वोटो से उपलब्धियों का आकलन क्या होगा फिलहाल भविष्य के गर्व में है।
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