प्रदेश में चुनाव से पहले छिड़े सत्ता के संग्राम में बीजेपी और कांग्रेस के राडार पर महिला वोटर आ गए है
मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले बिछ रही सियासी बिसात में अब टारगेट पर राज्य की आधी आबादी है. बीजेपी और कांग्रेस ने एक बड़े वोट बैंक को लुभाने और अपने पक्ष में करने की कवायद तेज कर दी है और इसको लेकर दोनों ही दलों ने खास रणनीति तैयार की है. चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस ने प्रदेश की एक बड़ी आबादी के लिए प्लान तैयार किया है.
प्रदेश में चुनाव से पहले छिड़े सत्ता के संग्राम में बीजेपी और कांग्रेस के राडार पर महिला वोटर आ गए है. प्रदेश की करीब आधी आबादी वाले वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने खास प्लान तैयार किए है. प्रदेश में संगठन को मजबूती देने में जुटे कमलनाथ ने गुरुवार को महिला पदाधिकारियों के साथ जमकर सेल्फी खिंचवाई और भरोसा भी दिलाया की पार्टी सत्ता में आई तो उनकी भागीदारी को अनदेखा बिल्कुल नहीं किया जाएगा. लेकिन इससे पहले महिला कार्यकर्ता को बीजेपी के खिलाफ बन रहे माहौल में डूबकर महिला मुद्दों पर गांव-गांव में चौपाल लगाने होगी.
एमपी में बीजेपी के साथ मजबूती के साथ खड़े महिला वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कमलनाथ ने घर-घर कुंडी बजाकर सरकार की नाकामी गिनाने का मंत्र पदाधिकारियों को दिया है. साथ ही महिला कांग्रेस को चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की जिम्मेदारी दी है. कांग्रेस में महिला अपराध पर महिलाओं की नाराजगी को कैश कराने और इसे सत्तारुढ़ सरकार के खिलाफ भुनाने का प्लान कार्यकर्ताओं को दिया है.
कांग्रेस की रणनीति भांप बीजेपी ने भी महिला वोट बैंक को साधने का प्लान तैयार कर लिया है. नाबालिग के साथ रेप पर फांसी की सजा के कानून से लेकर महिला हित में हुए फैसलों पर बीजेपी महिला मोर्चा अब सीएम शिवराज का हर जिले में अभिनंदन करेगी. महिला मोर्चा के कार्यकर्ता वहां पहुंचकर सरकार को धन्यवाद देंगी और लोगों को बताएंगी, कि अबकी बार फिर से शिवराज सरकार. साथ ही 28 मार्च को सीएम हाउस में भी विजय संकल्प का आयोजन कर सीएम शिवराज को महिला हितैषी चेहरा बताने की तैयारी है.
बहरहाल प्रदेश में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. कांग्रेस के पास महिलाओं के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है.
प्रदेश में दुषकर्म के बढ़ते मामले
नाबालिग से रेप के मामले
महिलाओं के साथ बढ़ती छेड़छाड़ की घटनाएं
महिलाओं के स्वास्थ्य सेवाओं में कमी
प्रसूति सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाना
कुपोषण के मामले
सरकारी नौकरियों में आरक्षण की घोषणा पर नौकरी नहीं मिलना
शराबबंदी के पक्ष में महिलाओं की सुनवाई न होना जैसे मुद्दों पर सरकार मुश्किल में है. बहरहाल प्रदेश की आधी आबादी को चुनाव से पहले अपने पक्ष में करना बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी चुनौती है. लेकिन ये तय है कि घर और समाज को बनाने वाली महिला वोट का रुख चुनाव में जिस और होगा. वहां उस पार्टी का भविष्य भी तय हो जाएगा.
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