मंथन न्यूज़ भोपाल -नरेंद्रभाई मोदी बचपन से ही दृढ़ निश्चयी हैं। जो ठान लेते हैं, करके ही छोड़ते हैं। राष्ट्रप्रेम व अनुशासन प्रिय हैं। राष्ट्र सेवा के लिए 17 वर्ष की उम्र में ही परिवार की अनुमति के बिना घर छोड़ दिया था। वे जितने ऊपर से कठोर हैं, अंदर से उतने ही सरल है। उनका जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है। विषम परिस्थितियों से लड़ते हुए वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छोटी बहन बसंती बेन ने मंगलवार को मांडू भ्रमण के दौरान नईमंथन न्यूज़ रेपोटर से चर्चा में कही। इस दौरान उनके पति हंसमुख भाई, बेटी ईला व भानजा राजर्शी भी साथ थे। विशनगर जिला मेहसाणा (गुजरात) में रहने वाली बसंती बेन परिवार के साथ एक आम पर्यटक की तरह यहां पहुंचीं।
उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं ली। प्रवेश के दौरान मांडू नाके पर प्रवेश शुल्क व इमारतों का प्रवेश शुल्क चुकाया। शाम 4.30 बजे नगरवासी और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को जब उनके बारे में पता चला, तो उनका स्वागत किया।
प्रधानमंत्री से भी यहां आने का आग्रह करूंगी
बसंती बेन ने मांडू की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री से भी यहां आने का आग्रह करूंगी। वे तीन दिन से मप्र के भ्रमण पर हैं। उज्जैन, इंदौर होते हुए मांडू पहुंची हैं। यहां से ओंकारेश्वर, महेश्वर के साथ हनुमंतिया भी जाएंगे। बसंती बेन सपरिवार मानपुर में किसी परिचित के साथ नालछा के भाजपा नेता संतोष राठौर के निवास पर भी पहुंची। उन्होंने नोटबंदी नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार का एक साहसिक कदम है।
- पूनम पुरोहित
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