मिशन ''अबकी बार 200 पार'' के लिए मप्र भाजपा ने बनाया नया प्लान

2018 में मिशन 200 पार के लिए प्रदेश भाजपा ने संगठन के सूरमाओं को चुनाव मैदान में उतार दिया है. संगठन के ये सूरमा अपनी टोलियों के साथ अखाड़े में उतरे हैं तो इस इरादे के साथ कि हार के गड्ढों को इस बार यात्रा के कदमों से भरना है.

प्रदेश में मिशन ''अबकी बार 200 पार'' को पार करने की खातिर बीजेपी ने नया प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत पार्टी उन सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में हार का अंतर ज़ीरो से एक हजार या फिर एक हज़ार से पांच हज़ार के बीच रहा. इन सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए संगठन के सूरमा यात्राओं से लेकर रात्रि विश्राम तक कर रहे हैं.

2018 में मिशन 200 पार के लिए प्रदेश भाजपा ने संगठन के सूरमाओं को चुनाव मैदान में उतार दिया है. संगठन के ये सूरमा अपनी टोलियों के साथ अखाड़े में उतरे हैं तो इस इरादे के साथ कि हार के गड्ढों को इस बार यात्रा के कदमों से भरना है. 15 जून को आगर से शुरु हुई युवा मोर्चा की संकल्प यात्रा उन विधानसभा सीटों से विशेष रूप से गुजरेगी, जहां भाजपा की हार जीत का अंतर 2013 में मामूली रहा था. सिर्फ युवा मोर्चा ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने भी दूसरे छोर पर मोर्चा संभाल लिया है और कोशिश यहां भी यही है कि हार के मामूली अंतर को इस बार जीत में तब्दील कर दिया जाए

दरअसल, मिशन 200 को पार करने के लिए बीजेपी को नया प्लान बनाना पड़ा. 2013 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी के खाते में 165 सीटें आई थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में मात्र 57 सीटें ही गई थीं. इस चुनाव में भाजपा को जहां 22 सीटों का लाभ हुआ था, तो कांग्रेस को करीब 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. प्रदेश में लगभग 50 विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे जहां दोनों दलों में हार-जीत का अंतर पांच हजार के आस पास रहा था. भाजपा-कांग्रेस की टक्कर वाली 12 सीटों पर भाजपा बेहद कम अंतर सी जीती थी. इसके अलावा सीधी टक्कर वाली 7 सीटों पर कांग्रेस और 2 सीटों पर बसपा बेहत कम मार्जिन से जीती थी.


हार जीत के इस अंतर को पाटने के लिए भाजपा ने इस बार अपनी पूरी ताकत चुनाव मैदान में झोंक देने के मूढ में हैं. कांग्रेस के मीडिया प्रमुख ने कहा कि भाजपा की यह कोशिश नाकाम साबित होनी है और इस बार प्रदेश में भाजपा अपनी मौजूदा सीटों को भी बचाने में नाकाम होगी. 2018 में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा ये तो आने वाले चुनाव नतीजे ही बचाएंगे.