
मालूम हो कि खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान कई बार रेप के मामले में फांसी की सजा देने की बात कह चुके हैं. 12 साल या इससे कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को फांसी की सजा देने के प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा में पारित कराया जाएगा. इसके बाद ही इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजे जाएगी. सोमवार से मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है.
क्या थी घटना:
मध्य प्रदेश की राजधानी में प्रशासनिक परीक्षा की कोचिंग करने आई एक युवती को कुछ दरिंदों ने अपनी हवस का शिकार बना डाला था. प्रारंभिक तौर पर पुलिस की लापरवाही के चलते आरोपी दो दिन बाद पकड़े जा सके थे. लापरवाही के लिए जिम्मेदार उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) को निलंबित कर दिया गया था. बीते 31 अक्टूबर की रात पूजा (काल्पनिक नाम) कोचिंग से अपने कमरे को लौट रही थी. इसके लिए उसने हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास से बना अस्थायी रास्ता पकड़ा था. आमतौर पर लोग रेल पटरी को पारकर इस रास्ते से जाते हैं. पुलिस के मुताबिक, जब पूजा रेल पटरी पार कर रही थी, तभी चार युवक उसे पकड़कर झाड़ियों में ले गए और अपनी हवस का शिकार बनाया. युवती के माता-पिता दोनों पुलिस में हैं और भोपाल से बाहर पदस्थ हैं.
मध्य प्रदेश की राजधानी में प्रशासनिक परीक्षा की कोचिंग करने आई एक युवती को कुछ दरिंदों ने अपनी हवस का शिकार बना डाला था. प्रारंभिक तौर पर पुलिस की लापरवाही के चलते आरोपी दो दिन बाद पकड़े जा सके थे. लापरवाही के लिए जिम्मेदार उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) को निलंबित कर दिया गया था. बीते 31 अक्टूबर की रात पूजा (काल्पनिक नाम) कोचिंग से अपने कमरे को लौट रही थी. इसके लिए उसने हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास से बना अस्थायी रास्ता पकड़ा था. आमतौर पर लोग रेल पटरी को पारकर इस रास्ते से जाते हैं. पुलिस के मुताबिक, जब पूजा रेल पटरी पार कर रही थी, तभी चार युवक उसे पकड़कर झाड़ियों में ले गए और अपनी हवस का शिकार बनाया. युवती के माता-पिता दोनों पुलिस में हैं और भोपाल से बाहर पदस्थ हैं.
रिपोर्ट लिखने में पुलिस ने की थी लापहरवाही:
31 अक्टूबर की रात सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने रिपोर्ट तक लिखने में हीला-हवाली की थी. पीड़िता को दो दिन तक थानों के चक्कर लगाना पड़े थे. मामला मीडिया पर आने के बाद सरकार हरकत में आई थी और विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर जांच शुरू की थी. इसके बाद तीन थाना प्रभारी और दो उपनिरीक्षकों (सब इंस्पेक्टर) को निलंबित कर दिया गया था, वहीं एक नगर पुलिस अधीक्षक को पुलिस मुख्यालय में संलग्न किया गया था. इस मामले को लेकर राजनीति भी खूब गरमाई थी. कांग्रेस ने राजधानी से लेकर जिला मुख्यालय स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया था. इसके अलावा महिला सुरक्षा पर भी खूब सवाल उठे थे
31 अक्टूबर की रात सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने रिपोर्ट तक लिखने में हीला-हवाली की थी. पीड़िता को दो दिन तक थानों के चक्कर लगाना पड़े थे. मामला मीडिया पर आने के बाद सरकार हरकत में आई थी और विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर जांच शुरू की थी. इसके बाद तीन थाना प्रभारी और दो उपनिरीक्षकों (सब इंस्पेक्टर) को निलंबित कर दिया गया था, वहीं एक नगर पुलिस अधीक्षक को पुलिस मुख्यालय में संलग्न किया गया था. इस मामले को लेकर राजनीति भी खूब गरमाई थी. कांग्रेस ने राजधानी से लेकर जिला मुख्यालय स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया था. इसके अलावा महिला सुरक्षा पर भी खूब सवाल उठे थे
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