अयोध्या विवाद: श्रीश्री रविशंकर करेंगे हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों से करेंगे मुलाकात

अयोध्या. अयोध्या विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने के लिए श्री श्री रविशंकर गुरुवार को अयोध्या पहुंचेंगे। अयोध्या पहुंचने के बाद हिंदू- मुस्लिम पक्षकारों से बात करेंगे। बुधवार को उन्होंने सीएम योगी से मुलाकात की। 30 मिनट से ज्यादा चली इस मुलाकात में अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए संभावित रोडमैप पर चर्चा हुई। ये है श्रीश्री रविशंकर का कार्यक्रम....

- सुबह 11 बजे अयोध्या पहुंचने के बाद श्री श्री रविशंकर रामलला के दर्शन करेंगे। इसके बाद वह मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी और हाजी महबूब से मिलने जाएंगे। इन लोगों से मिलने के बाद रामजन्मभमि के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास से मिलेंगे और राम विलास दास वेदांती और दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास के साथ महंत  ज्ञानदास से भी मिलेंगे।

- दोपहर 3 बजे निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेन्द्र दास और अखाड़े के पंचों से मुलाकात करेंगे। शाम 4 बजे श्री श्री रविशंकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे। शाम 5 बजे अयोध्या से लखनऊ पहुंचने के बाद बंगलौर के लिए रवाना होंगे।

अयोध्या विवाद में कौन-कौन से पक्ष हैं ?
- निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड।

तीनों पक्षों का दावा क्या है ?
- निर्मोही अखाड़ा: गर्भगृह में विराजमान रामलला की पूजा और व्यवस्था निर्मोही अखाड़ा शुरू से करता रहा है। लिहाजा, वह स्थान उसे सौंप दिया जाए।
- रामलला विराजमान: रामलला विराजमान का दावा है कि वह रामलला के करीबी मित्र हैं। चूंकि भगवान राम अभी बाल रूप में हैं, इसलिए उनकी सेवा करने के लिए वह स्थान रामलला विराजमान पक्ष को दिया जाए, जहां रामलला विराजमान हैं।
- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड:सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि वहां बाबरी मस्जिद थी। मुस्लिम वहां नमाज पढ़ते रहे हैं। इसलिए वह स्थान मस्जिद होने के नाते उनको सौंप दिया जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
- 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।
- बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।

मध्यस्थता पर अब तक क्या हुआ?
- अक्टूबर में निर्मोही अखाड़ा, शिया वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नुमाइंदों ने बेंगलुरु में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी।

- शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस मुलाकात के बाद कहा था- "पूरा देश श्रीश्री का सम्मान करता है। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मसला सुलझ जाएगा। देश हित में इस मसले को सुलझाने के लिए अगर श्री श्री सामने आए हैं तो हमने उनका स्वागत किया है। हमने इस मसले से जुड़ी सारी चीजें उनको मुहैया करवाई हैं।"

- बाबरी एक्शन कमेटी:श्री श्री के दखल की खबरों का खंडन किया, लेकिन कहा अगर श्री श्री मध्यस्थता करते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, हम इसका स्वागत करेंगे।

- सुप्रीम कोर्ट:मार्च में इस मामले की सुनवाई के दौरान तब चीफ जस्टिस रहे जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा था कि यह मुद्दा सेंसिटिव और सेंटिमेंटल है। सभी पक्ष इस मसले को सुलझाने की नई कोशिशों के लिए मध्यस्थ को चुन लें। अगर जरूरत पड़ी तो हम एक प्रिंसिपल मीडिएटर चुन सकते हैं।

- सुब्रमण्यम स्वामी: स्वामी ने SC से जल्द सुनवाई की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मुझे सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता करने का अधिकार दिया था और इस मामले का जल्द से जल्द फैसला हो जाना चाहिए।

- निर्मोही अखाड़ा:महंत रामदास ने कहा था कि इस मामले में बातचीत संवैधानिक दायरे के भीतर होनी चाहिए, इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।

- सुन्नी वक्फ बोर्ड:बोर्ड ने कहा था, "स्वामी की पार्टी का इस केस में इंट्रेस्ट है। किसी ऐसे शख्स से बातचीत कैसे की जा सकती है, जो खुद केस में पार्टी हो? बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट रिटायर्ड या सर्विंग जज का एक पैनल बनाए,जो बातचीत की पहल करे। इस दौरान पहले हुई वार्ताओं को भी ध्यान में रखा जाए।"

- इकबाल अंसारी: केस के वादी हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा, "हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। सुब्रमण्यम स्वामी जैसे राजनीतिक लोगों का शामिल होना, बातचीत को गलत दिशा में ले जाएगा।" बता दें कि हाशिम अंसारी का 20 जुलाई 2016 को निधन हो गया था। उनकी जगह अब बेटे इकबाल अंसारी वादी हैं।