जीवन में शिक्षा का अभाव, चरित्र निर्माण में बड़ी बाधा-व्ही.एस.भुल्ले मुख्य संयोजक

म.प्र. गुना- किसी भी खुशहाल, समृद्ध और वैभवशाली राष्ट्र निर्माण में बच्चों का महत्वपूर्ण योगदान होता है बशर्ते उनके बीच उत्तम शिक्षा के माध्यम से बेहतर शिक्षा और चरित्र निर्माण के सार्थक प्रयास हो। क्योंकि शिक्षा ही वह माध्यम है जो जीव जगत के कल्याण में अपनी महती भूूमिका अदा करती है। इतिहास गवाह है कि भारतवर्ष की विरासत, गौरव एवं वैभवशाली रही है। जिसमें प्राकृतिक सिद्धान्त आधारित जीवन मूल्यों के साथ जीवन निर्वहन की विभिन्न पद्धतियां समाहित रही है। 
            उक्त बात स्वराज के मुख्य संयोजक व्ही.एस.भुल्ले ने प्राथमिक, माध्यमिक और हाईस्कूल के बच्चों से खुशहाल जीवन पर चर्चा करते हुये कही। उन्होंने कहा कि खुशहाल जीवन समृद्ध राष्ट्र निर्माण में बच्चों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। खुशहाल जीवन पर चर्चा में माध्यमिक स्कूल के छात्र गौरव, अर्जुन, राहुल, काशीराम, राजू, छात्रा संगीता, सेानिया, स्वाती, मुस्कान, सीमा, पूजा, सुनीता, चांदनी, राधिका, शिवानी, पूनम, पायल, भूमि, आरती, ईशिका, अंजली एवं हाईस्कूल के छात्र सोयस, वीरेन्द्र, छावा सपना, बबली ने अपनी उत्कंठा, सवाल और जबावों के माध्यम से बताया कि बच्चों को रोज सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम कर आर्शीवाद लेना चाहिए अपने गुरुजन और अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए और मिल-जुलकर प्रेम एवं त्याग की भावना के साथ शिक्षा के माध्यम से अपना चरित्र और भविष्य का निर्माण करना चाहिए। अगर हम अपने कत्र्तव्य निर्वहन के साथ जबावदेहियों का निर्वहन पूरी निष्ठा ईमानदारी के साथ करे तो निश्चित ही हम और हमारा भविष्य ही नहीं, हमारा गांव, गली, नगर, कस्बा, जिला, संभाग, प्रदेश, देश वैभवशाली एवं गौरवशाली होगा। 
            कार्यक्रम के अन्त में स्वराज के मुख्य संयोजक व्ही.एस.भुल्ले ने सभी बच्चों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुये मातृशक्ति, राष्ट्रशक्ति, अनुशासित जीवन और प्रकृति प्रदत्त अहिंसा के मार्ग को जीवन का सर्वोत्तम मार्ग बताया। उन्होंने जीवन में शिक्षा का अभाव, चरित्र निर्माण में बड़ी बाधा बताये हुये दोहराया कि बेहतर शिक्षा ही बच्चों का बेहतर और वैभवशाली भविष्य निर्माण कर सकती है। जो किसी भी व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र का मजबूत आधार होती है। खुशहाल जीवन का सपना हर व्यक्ति के लिये अहम होता है, बशर्ते जीवन अनुशासित और प्राकृतिक सिद्धान्त अनुरुप जीवन मूल्यों पर आधारित हो। कार्यक्रम में गुरुजनों के अलावा सेकड़ों की संख्या में छात्र-छात्रायें मौजूद रही।