मंथन न्यूज़
’हिम्मतपुर’ -
यह प्राचीन कछौआ गढी दिनारा से पिछोर सड़क मार्ग पर सड़क के दाई ओर 4 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम कछौआ बसा है।ग्राम कछौआ के मुहाने पर यह प्राचीन गढी चूना मसाला एवं पतली ईटो से निर्मित है इस प्राचीन गढी के दाएं - बाएं पाँच पाँच एवं एक मध्य में, एक सामने एवं दो अगल- बगल में गुम्बद निर्मित किए गये हैं।पुरातत्व विभाग के श्री राघवेन्द्र तिवारी जी ने बताया कि गुम्बद के नीचे कक्षों का निर्माण एवं प्रवेश द्वारों पर मेहरावदार नक्कासियाँ की गई है। इस प्राचीन गढी के मध्य वर्गाकार में खुला आँगन है।प्राचीन गढी के बाहर चारों ओर 6 से 8 मीटर तक की दीवाल निर्मित की गई है।
इस प्राचीन गढी के जीर्णोद्धार कराने में अहम भूमिका रही है। आपकी आवाज युवा आगाज संगठन की।संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्री साकेत पुरोहित जी ने बताया कि संगठन ने प्राचीन गढी कछौआ का जीर्णोद्धार कराने के लिए पुरातत्व विभाग को एक पत्र लिखा था जिसे पुरातत्व विभाग ने गंभीरता से लेते हुए प्राचीन गढी कछौआ का जीर्णोद्धार का कार्य का शुभारंभ कर दिया है।
शासकीय छत्रसाल महाविद्यालय पिछोर, इतिहास विभाग से श्री अतुल गुप्ता जी ने कछौआ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि -
आरम्भिक बुन्देला राजवंश की राजधानी गढ़कुण्डार थी। राजा सोहनपाल प्रथम शासक थे। अंतिम शासक राजा रूद्रप्रताप सिंह ने अपनी राजधानी गढ़कुण्डार से ओरछा स्थानान्तरित की। इनके बड़े पुत्र भारती चन्द्र (1501-1531) गददी पर बैठे। लेकिन वे निःसंतान थे। तत्पश्चात भारती चन्द्र के भाई मधुकर शाह ओरछा की गददी पर बैठे। यह वह समय था जब भारत में मुगल सत्ता स्थापित हो रही थी। मधुकर शाह के 8 पुत्र थे। बड़े पुत्र रामशाह ओरछा के राजा बने, वीर सिंह जूदेव बडौनी के, इन्द्रजीत सिंह कछौआ के और होरल देव पिछोर के राजा बने। इसी दौरान कछौआ गढ़ी का निर्माण 16वी-17वी सती मे राजा इन्द्रजीतसिंह बुन्देला जी व्दारा हुआ। कछौआ के राजा इन्द्रजीत सिंह कालान्तर में ओरछा के कार्यवाहक राजा भी बने। लेकिन उनका अधिकाँश समय कछौआ में ही व्यतीत होता था। महाकवि केशव के ‘वीरसिंह देव चरित’ एवं पिछोर के साहित्यकार श्री रामनाथ नीखरा जी के उपन्यास ‘प्रवीणराय’ में राजा इन्द्रजीत सिंह एवं ग्राम वर्दवाँ के लोहार की पुत्री रायप्रवीण के प्रेम- प्रसंग का उल्लेख मिलता है। रायप्रवीण काव्य और कला में निपुण थी। राजा इन्द्रजीत सिंह ने रायप्रवीण से गन्धर्व विवाह किया। ओरछा में रायप्रवीण महल बनवाया जो आज भी मौजूद है। रायप्रवीण ने अपने ग्राम वर्दवाँ में प्रवीण सागर व मदन शाह महल बनवाया। जिनके अवशेष आज भी इस प्रेममयी गौरवशाली इतिहास के साक्षी बने हुए हैं। कालान्तर में कछौआ पिछोर रियासत का अंग बन गया।1857 में पिछोर झांसी राज्य में शामिल था।
Post a Comment