सैनिक का संरक्षण, सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य

मंथन​  यूं तो हमारे सैनिक राष्ट्र की बाह व आतंरिक तथा स्वयं की सुरक्षा करने में सक्षम है और बर्दी सहित राष्ट्र के मान-सम्मान, स्वभिमान के लिये समय-समय पर अनगिनत कुर्बानियां देते रहे है। मगर नीतिगत और राजनैतिक इच्छा शक्ति सहित उन्हें संरक्षण व सम्मान देने में हम दिन व दिन अक्षम और असफल साबित हो रहे है। यह न तो हमारे लिये ही और न ही हमारे महान राष्ट्र के लिये गौरव की बात हो सकती है। हमें समझना होगा कि हमारे एक सैनिक की शहादत या उसके अपमान के मायने क्या हो सकते है।
                 जिस तरह के घटनाक्रम काश्मीर में आम नागरिक की आड़ में सैनिकों के साथ घट रहे है। तो कहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हमारे सैनिक शहीद हो रहे है। तो कहीं सड़क ही नहीं, अब तो घरों में भी जिस तरह से दबंगई का शिकार हमारे सैनिक हो रहे है, फिर वह सेना, पुलिस या अन्य किसी फोर्स में हूं, यह किसी भी सभ्य समाज या फिर उस महान राष्ट्र के लिये बड़े ही शर्म की बात है। जिस समाज और राष्ट्र के अस्तित्व को, शान्ति, सौहार्द पूर्ण संस्कृति एवं बलिदानी सैनिकों की मातृ-भूमि के नाम से जाना जाता है।
                 हमें रक्षा करनी होगी उस बर्दी की, जिसे पहिन इस मातृ-भूमि का लाल सैनिक बन, अपने नागरिकों एवं अपने राष्ट्र की रक्षा के लिये बलिदान देने तैयार हो जाता है। हमारी संस्कृति ही नहीं, परम्परा भी रही है, आत्म सम्मान और राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर, आखिर वह इस राष्ट्र का महान सैनिक ही हो सकता है, जो अपने नागरिकों और राष्ट्र की रक्षा के लिये अपनी जान की बाजी लगा दें। फिर वह सेना, सीआरपीएफ, पुलिस ही क्यों न हो, बर्दी तो सभी की सैनिक की ही होती है, रक्षा के उत्तरदायित्व फिर जो भी हो।
                 हमें हर हाल में संरक्षण और सम्मान कायम रखना होगा उस बर्दी का जिसे पहिन हमारे राष्ट्र का नौजवान खुद को गौरांवित करता है और जिन पर समुचा राष्ट्र गौरव मेहसूस करता है। आज बड़ी बेचैनी होती है देश के हर नागरिक को जब हमारा जवान शहीद होता है। मगर जवान का सबसे बड़ा गौरव उसे तब महसूस होता है, जब वह दुश्मन पर जीत हासिल कर, राष्ट्र या राष्ट्र की व्यवस्था को गौरवशाली बनाने में अपना अमूल्य योगदान देता है। भले ही उसे अपने इस कत्र्तव्य निर्वहन के दौरान शौहरत मिले या शहादत वह दोनों ही स्थिति में स्वयं को गौरवशाली मेहसूस करता है। इसीलिये हमारे जीवन में सैनिक का सम्मान और उनका संरक्षण हमारा सबसे बड़ा कत्र्तव्य है। यह बात हमारी सरकारों और संवैधानिक संरक्षण प्राप्त उस नौकरशाही को भी समझना चाहिए कि बात अब सीमा, सड़क तक ही नहीं रही, बात अब हमारे मान-सम्मान और स्वभिमान तक आ पहुंची है। जिसकी रक्षा करना केवल सरकार, शासन, प्रशासन ही नहीं, हर नागरिक को उत्तरादायित्व है, तभी हम इस महान राष्ट्र के महान नागरिक कहला पायेगेंं।
                                             जय स्वराज