प्रदेश में 2 लाख 84 हजार अध्यापक हैं, जो पंचायत, नगरीय निकाय और स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी कहलाते हैं। वे संविलियन की मांग अरसे से कर रहे हैं। अफसरों ने मंत्री को बताया कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन होने के कारण अध्यापकों के कामकाज की ठीक से मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है इसलिए उन्हें किसी एक विभाग के अधीन करना जरूरी है। सूत्र बताते हैं कि अफसरों की बात से मंत्री सहमत हो गए हैं और उन्होंने वरिष्ठ अफसरों को प्रस्ताव बनाने को कहा है।
ये परेशानी आ रही
अध्यापक पंचायत एवं नगरीय निकाय के कर्मचारी हैं। जबकि वेतन वितरण से लेकर अध्यापकों के बारे में तमाम निर्णय स्कूल शिक्षा विभाग लेता है। स्कूलों में गैर हाजिर रहने या किसी अन्य मामले में गड़बड़ी पर विभाग सीधे तौर पर अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाता। अध्यापक को निलंबित करने सहित अन्य मामले नगरीय निकाय या पंचायत विभाग को भेजे जाते हैं।
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