मंथन न्यूज पटना [जेएनएन]। छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के हाथों जो 25 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए, उनमें छह बिहार के थे। सोमवार देर रात से ही उनके परिजनों को इसकी खबर मिलनी शुरू हो गई थी। परिवार जनों के चीख-क्रंदन के बीच गांव-मोहल्लों में तथी से उदासी का माहौल है। मंगलवार देर रात तक शवों के पहुंचने के बाद आज सभी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा है।
सासाराम : केके की बहादुरी की चर्चा
नक्सली हमले में शहीद सासाराम जिले के चेनारी के भरंदुआ गांव निवासी कृष्ण कुमार मिश्र की बहादुरी और पराक्रम की चर्चा चली। घरवाले बार-बार बता रहे थे कि आला अधिकारी भी उनके कायल थे। 30 वर्षीय कृष्णा छह भाइयों के बीच सबसे छोटे थे। उनकी शादी 2013 में हुई थी। 2013 में हुए नक्सली मुठभेड़ में केके ने अपने साथियों के सहयोग से 12 नक्सलियों को मार गिराया था।
बड़े भाई अशोक पांडेय कहते हैं कि छोटे भाई पर उन्हें ही नहीं सारे भाइयों को नाज था। भतीजी की शादी में मई में आना था, लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था।
शेखपुरा : जांबाज रंजीत के गांव में पसरा रहा सन्नाटा
जवान रंजीत कुमार शेखपुरा जिले के अरियरी थाना के माहुली ओपी के फुलचोढ़ गांव के निवासी थे। रंजीत 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। शहीद होने के खबर सुनकर आसपास के इलाके के लोग उनके घर पर जुटे। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है। लोग रंजीत की बहादुरी तथा शहादत की चर्चा कर रहे हैं।
मां मानो देवी तथा पिता इंद्रदेव यादव ने बताया कि हमने सोचा था कि रंजीत के सहारे बुढ़ापा काट लेंगे। ऐसा दुख भगवान किसी माता-पिता को न दें।
वैशाली : अभय के परिजनों का रोकर बुरा हाल
वैशाली के अभय के शहीद होने की जानकारी जैसे ही उसके पैतृक गांव जंदाहा के लोमा में पहुंची, कोहराम मच गया। परिजनों का रोकर बुरा हाल है। गांव वालों ने सवाल उठाया कि आखिर कब तक सरकार नक्सलियों के हाथों अपने जवानों को शहीद कराती रहेगी। कड़े कदम उठाने चाहिए।
मिथिलेश चौधरी के पुत्र अभय ने वर्ष 2010 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था। अभय के ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेवारी थी। उसके पिता मिथलेश चौधरी की वर्ष 1991 में गांव में हत्या कर दी गई थी। उसका छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है। पूरे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। अभय की शादी के मार्च 2016 में मुजफ्फरपुर जिला के सोनवर्षा महमदपुर की तान्या के साथ हुई थी। अभय की शहादत की खबर मिलते ही तान्या बेसुध हो गई।
आरा : फौजी बेटे की शहादत पर मातम में डूबा तुलसी गांव
आरा जिले के जगदीशपुर प्रखंड के तुलसी गांव जवान अभय मिश्र के शहीद होने की खबर आते ही चीख-पुकार मच गई। मां माधवी देवी बार-बार बेहोश हो रही थीं। पिता गजेंद्र मिश्र ने कहा कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है। सैनिकों की सुरक्षा को लेकर उन्होंने सवाल उठाए।
दरभंगा : नरेश के पिता बोले, देश के लिए शहीद हुआ है बेटा
दरभंगा जिले के बहादुरपुर थाने की ओझोल पंचायत के अहिला गांव के रहने वाले नरेश की शहादत की खबर पाकर पिता राम नारायण यादव ने कहा कि मेरा बेटा देश की सुरक्षा में शहीद हुआ है। मुझे उसपर गर्व है। मुझे और बेटा रहता तो मैं उसे भी सेना में जाने के लिए ही प्रेरित करता।
जवान की विधवा रीता देवी, पिता राम नारायण यादव, मां रासो देवी सहित अन्य परिजनों की चीत्कार से माहौल गमगीन था। नरेश अपने माता-पिता की इकलौते संतान थे। उन्हें तीन संतानें हैं। दो बेटे व एक बेटी हैं।
पटना : बेटे को अब कमांडो कौन कहेगा, पूछकर रो पड़ीं प्रीति
पटना जिले के दानापुर के शहीद सौरभ के पिता कमलेश कुमार ने भी बेटे की शहादत पर गर्व जताया। पति के शहीद होने की खबर मिलते ही पत्नी प्रीति भी मायके से सात माह के पुत्र को गोद में लेकर दानापुर पहुंचीं। उनके दुख में सारा मोहल्ला गमगीन हो गया।
सौरभ 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। जून 2014 में उनकी शादी हुई। उनका सात माह का एक पुत्र प्रीतम है। सौरभ उसे कमांडो कहते थे। पत्नी रोते-बिलखते बार-बार यही कह रही थीं कि अब उसे कमांडो कौन कहेगा?
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