मंथन न्यूज़ दिल्ली -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रविवार को इस वर्ष में पहली बार 'मन की बात' की। इसकी इजाजत चुनाव आयोग ने दी है। अपने संबोधन में उन्होंने देश के वीर जवानों को सलाम किया। इसके अलावा उन्होंने 30 जनवरी के दिन महात्मा गांधी पुण्यतिथी के मौके पर उन्होंने देशवासियों से बापू के सम्मान में दो मिनट का मौन रखने की भी अपील की है।
इसके अलावा उन्होंने एग्जाम देने वाले छात्राओं को कहा कि स्माइल मोर, स्कोर मोर। उन्होंने परीक्षा में जाने वाले छात्राओं को ढेराेेंं शुभकामनाएं भी दी। इसके अलावा उन्होंने तटरक्षक बल के जवानों को भी स्थापना दिवस पर बधाई दी, जो कि एक फरवरी को है।
छात्राओं को एग्जाम के लिए तैयार होने का टिप्स
आने वाले दिनों में होने वाले बोर्ड एग्जाम के लिए उन्होंने छात्राओं को इस चुनौती के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने इसको उमंग और उत्साह का पर्व बताया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इसका दबाव कभी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो इसको त्योहार मानकर आगे जाएगा वह कुछ पाएगा। अपने संबोधन में उन्होंने उस छात्रा का भी जिक्र किया जिसने उनसे इस विषय में सवाल पूछा था। इसके जवाब में उन्होंने माता-पिता से कहा कि वह आने वाले तीन चार माह के दौरान अपने बच्चों को उत्सवपूर्ण माहौल दें और बच्चों को बेहतर करने का मौका दें।
एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र
छात्राओं को कुछ टिप्स देते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह वायु सेना में फाइटर पायलट बनना चाहतेे थे। लेकिन वह उसमें सफल नहीं हो सके। यदि ऐसेे में वह मायूस हो जाते तो देश को इतना बड़ा वैज्ञानिक नहीं मिल पाता।
प्रतिस्पर्धा से नहीं अनुस्पर्धा में रखे विश्वास
रिचा आनंद के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जीवन में सबसे अधिक आपका ज्ञान, आपका विवेक काम आता है। उन्होंने कहा कि हमेशा अनुभव महत्वपूर्ण होता है न कि अंकों का बढ़ता क्रम। पीएम मोदी ने कहा कि अधिक अंक लाने का बोझ कभी नहीं होना चाहिए। इसलिए हमेशा ज्ञान को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। जो छात्र अंकों के पीछे रहते हैं वह एक सीमित दायरे में ही उलझकर रह जाते हैं। उन्होंंने कहा कि जीवन को अागे बढ़ाने के लिए कभी भी कॉम्पटीशन काम नहीं आता है बल्कि खुद से अनुस्पर्धा काम आता है। यहां पर उन्होंने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलेकर का भी जिक्र किया। प्रतिस्पर्धा जहां मायूसी को जन्म देती है वहीं प्रतिस्पर्धा आत्म विश्वास को बल देती है। उन्होंने कहा कि अपने से लड़कर ही जीता जा सकता है।
अपेक्षाओं का बड़ा होना हमेशा ही नुकसानदेह
अपने संबोधन में उन्होंने एक वक्ता एस सुंदर का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि पिता की जगह माता कहीं अधिक सरल होती है और सरल बनाती है। उन्होंने कहा कि अपनी क्षमताओं को पहचान कर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हम चीजों को स्वीकार करना शुरू कर देते हैं तो आधी परेशानी अपने आप ही खत्म हो जाएगी। पीएम ने इस दौरान कहा कि अपेक्षाओं का बड़ा होना हमेशा ही नुकसानदेह होता है। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वह एग्जाम के दिनों में माहौल काेे हल्का करने की कोशिश करें।
नकल करने वालों पर चोट
अपने संबोधन में उन्होंने छात्राओं को नकल से सावधान रहने को कहा। उन्होंने कहा कि जितना वक्त नकल करने या इसके तौर तरीके साीखने में लगाते हैं यदि वह अपनी मेहनत में लगाए तो इससे उनका आत्म विश्वास भी जगेगा और उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि परीक्षा में आराम, नींद और शारीरिक व्यायाम बेहद जरूरी है। सिर्फ पढ़ना ही जरूरी नहीं है बल्कि दूसरी ओर देखना भी जरूरी है। एग्जाम के दौरान भी थोड़ा ब्रेक लेना बेहद जरूरी है। यह एक नई ताजगी का संचार करता है। गहरी सांस लेना भी इन दिनों लेने से बेहद फायदा होगा और शरीर शांत हो जाएगा। इससे आप ज्यादा बेहतर कर सकेंगे।
वसंत पंचमी का जिक्र
अपने संबोधन में उन्होंने एक फरवरी को आने वाली वसंत पंचमी के लिए भी उन्होंने देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पिछले माह से कई भाषाओं में आकाशवाणी ने मन की बात को प्रकाशित करने का काम किया है। इसके लिए उन्होंने उन्हें बधाई दी।
पूनम पुरोहित
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