हिंदी फिल्मों और कार्टून कैरेक्टर से सीखता हूं बिजनेस के फंडे

मंथन न्यूज़ इंदौर -लोग मुझसे पूछते हैं कि खाली समय में मैं क्या करता हूं, तो मैं कहता हूं कि खाली समय में हिंदी फिल्में और कार्टून देखता हूं। इस बात पर वह हंसते हैं और पूछते हैं कि ऐसा क्यों? मेरा जवाब यही होता है कि यह मुझे बिजनेस में सफलता के सूत्र सिखाते हैं। हिंदी फिल्मों में हीरो के लिए कुछ भी असंभव नहीं बताया जाता, हीरो जो चाहता है, वह पा लेता है, इससे मुझे यह सीख मिलती है कि कुछ भी असंभव नहीं है, जो करना चाहते हो, उसे करने में जुट जाओ।
वहीं कार्टून सीरियल से हर पल को पूरी तरह जीने की सीख मिलती है और किस तरह खुशनुमा रहकर लोगों को खुद से जोड़ा जा सकता है, यह पता चलता है। बिजनेस पर्सन को हर काम में इंज्वॉय करना और लोगों को प्रोडक्ट से जोड़ना आना चाहिए और यह बात मुझे टॉम एंड जैरी जैसे कार्टून कैरेक्टर बताते हैं।
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यह बातें आईएमए के 26वें कॉन्क्लेव से पहले हुए कर्टन रेजर ईवेंट में मंगलवार को ब्रिटानिया के सीईओ सुनील अलग ने कहीं। कार्यक्रम में आईआईएम के डायरेक्टर ऋषिकेश टी कृष्णन, आईएमए के डायरेक्टर सीए संतोष मुच्छाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम में 3 और 4 फरवरी को होने वाले ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन कॉन्क्लेव के ब्रॉसर को लांच किया गया।
सही विजन होना है जरूरी
बिजनेस में अगर सफलता पानी है, तो उसके लिए सही विजन होना चाहिए। अगर आपको यह पता है कि आप क्या चाहते हैं, तो फिर कोई भी आपकी सफलता को रोक नहीं सकता। अलग ने कहा कि 2000 में उन्होंने सोचा कि 2005 तक भारत का हर तीसरा व्यक्ति ब्रिटानिया बिस्किट का उपभोक्ता होना चाहिए, इस विजन को लेकर काम किया और सफल हुए। आपका विजन जितना सिंपल होगा, सफलता की गारंटी उतनी ही बढ़ जाती है।
प्रोडक्ट उपभोक्ता के दिमाग पर करे हिट
उन्होंने बताया कि जब भी कोई बिजनेस शुरू करें, तो यह ध्यान रखें कि आपका प्रोडक्ट उपभोक्ता के दिमाग पर हिट करना चाहिए। उसकी ब्रांडिंग करते समय उसकी खूबियों को लोगों के सामने लाएं, साथ ही ऐसी पंच लाइन उससे जोड़ें, जो लोगों को याद रहे। इसके लिए यह पता होना चाहिए कि आपका उपभोक्ता कैसा है और उसकी जरूरत क्या है?
सोचना न करें बंद
सफल होने के लिए ज्यादा लंबी रिसर्च की जरूरत नहीं होती, बल्कि जो आप सोच रहे हैं, उसे किस तरह से क्रियान्वित किया जाए, इस पर विचार करने की जरूरत होती है। एक प्रबंधक को कभी भी सोचना बंद नहीं करना चाहिए। जो भी सोचें, उसे तुरंत क्रियान्वित करें, रिस्क लेने से न डरें, तो सफलता जरूर मिलेगी।
प्लान बी को रखें तैयार
जब भी कोई काम कर रहे हैं, तो उसके पहले हमेशा प्लान बी को तैयार रखें। प्लान बी होगा, तो अगर आप पहले प्लान में सफल नहीं हुए, तो दूसरी योजना को क्रियान्वित कर सकते हैं, ऐसे में असफलता का खतरा कम हो जाता है।
नेशनलिज्म है नया ग्लोबल आइडिया
अलग ने कहा कि अभी तक हम ग्लोबलाइजेशन पर बात करते थे, लेकिन अब नेशनलिज्म ग्लोबल आइडिया बनता जा रहा है। हर देश पहले अपने बारे में सोच रहा है और यह तरक्की के लिए सही भी है। मेक इन इंडिया, अमेरिका फस्ट की नीति नेशनलिज्म पर ही आधारित हैं। इससे देश की तरक्की होगी, क्योंकि देश का पैसा देश में ही रहेगा। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडस्ट्री देश को आगे बढ़ाने में काफी मददगार है, क्योंकि इसमें इंवेस्टमेंट की जरूरत नहीं है। चार लोग एक कमरा और काम शुरू कर सकते हैं, बस जरूरत है कि ऐसे आइडिया हों, जो सफलता की गारंटी दें।
                                            पूनम पुरोहित