दिल्ली. यूनियन मिनिस्टर वेंकैया नायडू ने कहा है कि सरकार आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के उस बयान से पूरी तरह रजामंद है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर में एक गंदी जंग लड़ी जा रही है, और इससे निपटने के लिए इनोवेटिव तरीके अपनाए जाने चाहिए। बता दें कि जनरल रावत ने एक इंटरव्यू में कहा था- अगर मेरी टीम पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके जा रहे हों तो मैं अपने जवानों को इंतजार करो और मर जाओ...नहीं कह सकता। रावत ने ये बात एक पत्थरबाज को मेजर लीतुल गोगोई द्वारा आर्मी जीप के आगे बांधने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही थी। नायडू ने क्या कहा....
इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर ने सोमवार को एक ट्वीट में आर्मी चीफ के बयान का समर्थन किया। कहा- आर्मी चीफ के उस बयान से पूरी तरह रजामंद हूं जिसमें उन्होंने कश्मीर में ‘डर्टी वॉर’ चल रहा है और इससे निपटने के लिए इनोवेटिव तरीके अपनाए जाने चाहिए।
क्या कहा था आर्मी चीफ ने?
- रविवार को एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में जनरल रावत ने कहा था, "कश्मीर में हमारी सेना जिस तरह के ‘डर्टी वॉर’ का सामना कर रही है, उससे निपटने के लिए ‘इनोवेटिव’ तरीके ही जरूरी हैं।" रावत ने मेजर लीतुल गोगोई द्वारा ह्यूमन शील्ड के इस्तेमाल का बचाव किया।
- बता दें कि श्रीनगर में 9 अप्रैल को बाईपोल के दौरान पथराव कर रही भीड़ के बीच से निकलने के लिए मेजर गोगोई ने एक कश्मीरी शख्स को ह्यूमन शील्ड के तौर पर जीप के आगे बांधने का ऑर्डर दिया था। उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं ने विरोध भी किया था। लेकिन आर्मी चीफ की तरफ से गोगोई को प्रशंसा पत्र (Commendation Card) दिया गया था।
ये प्रॉक्सी वॉर
- जनरल रावत ने कहा था, "ये प्रॉक्सी और डर्टी वॉर है। और वो (आतंकी) इसे गंदे तरीके से ही लड़ रहे हैं। रूल्स तो वहां होते हैं जब दुश्मन आपसे आमने-सामने मुकाबला करे। लेकिन इस तरह की जंग में आपको इनोवेटिव तरीके ही अपनाने पड़ते हैं।" रावत इस बयान के जरिए मेजर गोगोई का बचाव कर रहे थे।
- अपनी बात साफ करते हुए उन्होंने आगे कहा था, "लोग हम पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे हैं। ऐसे में अगर मेरे जवान मुझसे पूछते हैं- सर क्या किया जाए? तो क्या आर्मी चीफ के तौर पर अपनी टीम से ये कहूंगा- इंतजार करो और मर जाओ। मैं नेशनल फ्लैग लगे अच्छे कॉफिन लाया हूं। तुम्हारे पार्थिव शरीर सम्मान के साथ घर पहुंचाए जाएंगे। याद रखिए, मुझे अपनी टीम का मनोबल ऊंचा रखना है। वो बेहद मुश्किल हालात में काम कर रहे हैं।"
वो पत्थर की जगह, गोलियां चलाएं तो बेहतर
- कश्मीर के मुश्किल हालात का जिक्र करते हुए आर्मी चीफ ने कहा था, "सच्चाई तो ये है कि इन लोगों (पत्थरबाजों) को हम पर पत्थर फेंकने की जगह फायरिंग करनी चाहिए। तब मुझे ज्यादा खुशी होगी। तब मैं वो कर पाऊंगा जो करना चाहता हूं।"
- "गलत लोगों को आर्मी का डर होना चाहिए। हमारी आर्मी फ्रेंडली है। लेकिन जब हमें लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने को कहा जाता है तो फिर लोगों को आर्मी का डर होना ही चाहिए।" रावत ने कहा कि जिस देश में आर्मी का डर खत्म हो जाता है, उस देश का पतन भी तय हो जाता है।
- रावत के मुताबिक, इन सबके बावजूद अब भी काफी धैर्य से काम कर रही है। उन्होंने कहा, "आर्मी चीफ के तौर पर मेरा काम जवानों का मनोबल बनाए रखना है। ये मेरा काम है। मैं जंग के मैदान से काफी दूर हूं। मैं सिर्फ उनसे ये कह सकता हूं कि मैं उनके साथ हूं।"
आर्मी मदद नहीं देगी तो कौन देगा?
- आर्मी चीफ ने कहा था, "अनंतनाग में इलेक्शन होने हैं। अगर वहां का स्टाफ हमसे मदद मांगता है और हम नहीं करते हैं तो इससे लोगों और पुलिस का हम पर भरोसा खत्म हो जाएगा। ये हम नहीं होने देंगे, क्योंकि आतंकी यही चाहते हैं। वो आर्मी और दूसरी फोर्सेस के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं।"
- "मैं नहीं जानता कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में क्या चल रहा है। लेकिन क्या हमें उन्हें (गोगोई) पनिशमेंट देना चाहिए। आर्मी को भी सेल्फ डिफेंस का हक है।"
- आर्मी चीफ के मुताबिक, पूरे कश्मीर में नहीं, बल्कि साउथ कश्मीर के चार जिलों मे दिक्कत है। उन्होंने कहा, "कश्मीर समस्या का हल पूरी तौर पर निकालना होगा। सबको शामिल करना होगा। आर्मी का काम हिंसा रोकना और उन लोगों को बचाना है जो इसमें शामिल नहीं हैं।"
तो हमें करगिल मिला था...
- कश्मीर समस्या के सियासी हल के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में रावत ने कहा था, "क्या पहले सियासी हल की कोशिश नहीं हुई? क्या अंजाम हुआ? हमें करगिल की जंग मिली।"
वायरल वीडियो को उमर ने किया था ट्वीट
- डार को जीप से बांधकर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था। उमर ने भी इसकी फोटो और वीडियो ट्वीट किए थे। उन्होंने सरकार पर ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था।
- सीएम महबूबा मुफ्ती ने मामले की जांच के ऑर्डर दिए थे। इसके बाद 15 अप्रैल को मेजर गोगोई के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के बीड़वाह थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। बाद में आर्मी ने मेजर के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी भी बैठाई थी, लेकिन उसमें उन्हें क्लीन चिट मिल गई। हालांकि, इस मामले में पुलिस की जांच जारी है।
मेजर गोगोई ने बताया- क्यों बांधा पत्थरबाज को?
- घटना के बाद मेजर गोगोई ने मीडिया के सामने बयान दिया था। उन्होंने बताया था कि किन हालात में उन्होंने पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधने का ऑर्डर दिया था और ऐसा कर उन्होंने 12 लोगों की जिंदगी बचाई थी। अगर वे ऐसा नहीं करते तो पत्थर बरसा रही भीड़ के बीच से निकलना नामुमकिन था। मेजर ने बताया था कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो जवानों को फायरिंग का ऑर्डर देना पड़ता और तब कई कश्मीरियों की जाने जा सकती थीं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी हो सकती थीं।