‘आप थैंकयू मत कहिए.. इसके बजाए तीन लोगों की मदद कीजिए आप. और उन तीनों से कहना कि वह तीन और की मदद करें… दुनिया बदल जाएगी!’
ये सलमान खान की फिल्म ‘जय हो’ का डायलॉग था. इस डायलॉग में दुनिया बदलने की बात थी. लेकिन भोपाल में एक शख्स है जो इसी तरह खुद ही लोगों की ‘भूख’ से लड़ रहा है. रोजाना करीब 300 लोगों को खाना खिलाते हैं. वो भी एकदम मुफ्त. ये वो कोई अभी से नहीं बल्कि 2013 से कर रहे हैं. ये शख्स हैं भोपाल के मकबूल अहमद.
खाना बांटते मकबूल अहमद.
मकबूल ने 1 मई 2013 से भूखे लोगों को खाना खिलाने की शुरुआत की थी. मकबूल एक चाय की दुकान करते हैं. मकबूल का कहना है कि पहले वह अपनी चाय की दुकान से होने वाले कमाई से ही लोगों के खाने का इंतजाम करते थे. जब उनके पास पैसे कम पड़ते थे तो घर से भी पैसा लेते थे. उन्होंने अकेले ही गरीबों की भूख मिटाने का ज़िम्मा उठाया था. मगर आज उनके साथ कई लोग जुड़ चुके हैं और उनकी मदद करते हैं. लोग उन्हें पैसा देते हैं ताकि उनका ये नेक काम चलता रहे.
लंगर-ए-आम’ के नाम से उनकी रसोई चलती है. मकबूल मानते हैं कि अब अल्लाह की इस रसोई में हजारों लोग भी आ जाएं तो यहां से भूखे पेट वापस नहीं जाएंगे. इसी तरह अगर सभी थोड़ा-थोड़ा दूसरों के लिए करेंगे तो देश में कोई इंसान भूखा नहीं सो पाएगा.उनके यहां जो खाना खाने आते हैं, उनमें दूसरी जगहों से काम की तलाश में आए लोग हैं. कुछ वो हैं जो मजदूरी करते हैं. ठेला लगाते हैं. भीख मांगने वाले भी यहां आकर अपना पेट भरते हैं और कहीं भी सो जाते हैं. इसके बदले मकबूल को मिलती हैं इन लोगों की दुआएं.
अब मकबूल इस काम को करने वाले अकेले नहीं है. उनका साथ स्थानीय लोग दे रहे हैं, क्योंकि मकबूल के पास इतना पैसा नहीं कि वो इतना खर्च कर सकें. लेकिन स्थानीय लोग चाहते हैं कि ये काम शुरू हुआ है तो बंद न हो इसलिए वो मकबूल की मदद करते हैं. इस रसोई में किसी को भी खाने की मना दी नहीं है कोई भी आकर खा सकता है.
सरकार ने भी शुरू की थी ऐसी योजना
ऐसी ही योजना मध्य प्रदेश सरकार ने गरीबों के लिए शुरू की थी. उस योजना का नाम था दीनदयाल रसोई. यह योजना भाजपा के विचारक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर शुरू की गई थी. इस योजना को राज्य सरकार ने 7 अप्रैल को एक साथ 49 जिलों में लागू किया था. इसमें गरीबों को पांच रुपये में खाना दिया जाता था, लेकिन लोगों की तरफ से इस योजना के लिए दान नहीं मिला और ये योजना लड़खड़ा गई.
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