मध्य प्रदेश सरकार ने लिया एक बड़ा फैसला

हिंदी में होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाईमंथन न्यूज़ । जिन स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग की पढ़ाई इंग्लिश में करने से परेशानी होती थी उनकी सुविधा के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। फैसले के मुताबिक, अब से स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में भी कर सकते हैं। बता दें, ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि अगले सत्र से कॉलेज में हिंदी में इंजीनियरिंग की पढाई करायी जाएगी।दरअसल ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कई समय से टीचर्स और स्टूडेंट्स इंग्लिश शब्दों का हिंदी अर्थ खोजने में लगे हुए हैं, लेकिन हिंदी में कोई तकनीक (टेक) किताबे न होने की वजह से उन्हें काफी मुश्किलें हो रही हैं। इसलिए सरकार ने ये कदम उठाया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है, कि पहली बार स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने से पहले हिंदी और इंग्लिश में पढाई करने का विकल्प दिया जाएगा। ये फैसला मंगलवार को राजीव गांधी प्राद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) की एक बैठक में लिया गया। इस फैसले के बाद कई वरिष्ठ शिक्षाविदों ने इसकी आलोचना भी की।
उन्होंने कहा कि ये फैसला एक कदम पीछे ले जाने वाला है और इससे स्टूडेंट्स को जॉब मिलने में भी मुश्किलें होंगी। एक प्राध्यापक ने पूछा, ‘जब इंजीनियरिंग की किताबें केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं तो हिंदी में पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। आप तकनीकी शब्दों को कैसे हिंदी में अनूदित करेंगे।’उनके इस सवाल पर तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने कहा कि ‘यह जरूरी नहीं है कि वह तकनीकी शब्दों को हिंदी में लिखें। वह अंग्रेजी के शब्दों की हिंदी में लिखकर काम चला सकते हैं। इस शुरुआत का उद्देश्य उन छात्रों की मदद करना है जो अंग्रेजी में कमजोर हैं।’
सरकार के इस फैसले से स्टूडेंट्स के मन में भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि जो स्टूडेंट्स मध्य प्रदेश के किसी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढाई हिंदी में करेंगे, उन्हें कंपनियां जॉब देंगी भी या नहीं। ऐसे में एक छात्र विनीत वर्मा ने पूछा, ‘हिंदी में इंजीनियरिंग करने वाले छात्रा का भविष्य क्या होगा? कौन सी कंपनी ऐसे छात्र को लेगी जिसने इंजीनियरिंग हिंदी में की है। इतना बड़ा फैसला लेने से पहले ऐसे सवालों के जवाब पता होना जरूरी है।’
एक और छात्रा निधि शर्मा, ‘हमें हिंदी में कौन पढ़ाएगा? हमारे शिक्षक अंग्रेजी में पढे़ हुए हैं। हिंदी में अध्यापक कैसे और कहां मिलेंगे? यह ऐसा कदम है जो शोध के बिना लिया गया है।’ अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक अध्यापक ने बताया कि पढ़ाने के दौरान छात्रों से हिंदी में बात करना एक अगल चीज है और किसी तकनीकी विषय को हिंदी में पूरी तरह पढ़ाना एक अलग चीज है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि किसी भी शिक्षक से आप किसी तकनीकी शब्द है हिंदी अर्थ पूछिए। उन्हें नहीं पता होगा।
RGPV ने दोनों भाषाओं में प्रश्न पत्र बनाने का भी फैसला किया है। एक अधिकारी ने बताया, ‘यह मध्य प्रदेश के बोर्ड परीक्षाओं जैसा होगा। इससे उन छात्रों को फायदा होगा जो अंग्रेजी में कमजोर हैं।