भृस्टाचारी अधिकारियों में बस के रह गई, पोहरी तहसील

मंथन न्यूज हितेश जैन पोहरी कड़वे सच के साथ

1 पोहरी क्षेत्र में अधिकारियों की मिलीभगत से गांव गांव मैं खुलेआम  बिक रही है अवैध शराब 

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले  ही कोई भी नई आबकारी कि दुकान न खोलने कि घोषणा कर चुके हो उन्ही के मातहतो के दवरा उन्ही कि घोषणा कि धज्जियां उड़ाई जा रही  है बैसे तो पोहरी अंचल मैं कहने को तो आबकारी कि केवल एक ही दुकान है लेकिन पोहरी अंचल मैं  आने वाली  88 ग्राम पंचायतो मै ऐसा कोई गाँव नहीं होगा जंहा पीने का पानी मिले न मिले लेकिन बिना लायसेंस कि शराब दुकानो पर आपको मदिरा अवश्य मिल जायेगी। इन अवैध दुकानों का ही नतीजा है की शयद ही प्रदेश का ऐसा कोई जिला और तहसील हो जंहा शराब की दुकानों का विरोध न हुआ हो अगर आबकारी नियम की बात करें तो केवल दुकान वही खुल सकती है जंहा का लायसेंस है और वही दुकान चला सकता है जिसके नाम लायसेंस जारी किया गया है लेकिन अवकारी बालो की मिलीभगत के चलते न केवल दुकान खोलने मैं  नियमो की अनदेखी की जाती है बल्कि ठेकेदार को कही भी ख़राब बेचैने की खुली छूट दी जाती है न तो इनके दुकान खोलते समय कन्या विद्यालय , कॉलेज, आगनबाड़ी, मंदिर जैसे स्थानों को देखा जाता है और न ही आबकारी वाले चैक करते है कि दुकान कहां खोली जा रही है‎
अंचल मै नियमो को ताक पर रखकर अवैध शराब कि बिक्री धल्लड़े से हो रही हैं वह भी प्रशासन के नाक के नीचे ,ग्रामीण क्षेत्रो मै तो कई जगह परचून कि दुकानो पर शराब बेचीं जा रही है शराब कि इस तरह खुलेआम हो रही बिक्री से ‎जँहा सामाजिक वर्ग प्रभाबित हो रहा है वही देश के भविष्य कहे जाने बाले नौनिहालों पर इसका बुरा असर पङ  रहा है शराब के कारण परिबार मैं दिन रात कलह कि स्थिति बनी रहती है वही पैसे कि किल्लत से जिल्लत कि जिंदगी गुजरना पड़ती है भाबी पीढ़ी को सवारने कि बात सपने मैं भी नहीं सोची जा सकती क्योकि सपने को साकार करने बाला ही खुद ही नशे मैं मदहोश रहता है । कहने को तो अवैध रूप से शराब कि बिक्री रोकने के लिए स्थानीय पुलिस के अलावा आबकारी पुलिश भी है लेकिन चंद  स्वार्थ के खातिर ही कानून दवरा अपनी आँखों पर पट्टी बांध कर समाज मैं उस जहर को खुलेआम बेचने कि अनुमति प्रदान कर दी जाती है
 सूत्र बताते है कि पोहरी अंचल मैं 88  ग्राम पंचायत है तीस ग्राम पंचायत के साठ गांव मै 400 से 500 पेटी शराब की अवैध बिक्री होती है गाँवो मै (कमीशन से ) शराब बेचने बालो को शराब ठेकेदार दवरा एक डायरी बनाई जाती है उसे देखकर न तो आबकारी बाले उसे पकड़ते और न ही पुलिस। वाही प्रशासन कई बार इन ठेकेदारो के इसारो पर  काम करता दिखाई देता है मनो जो कच्ची दारु बैच वह कानून तोड़ रहे है और जो यह लोग बिचवा रहे वह कानून के दायरे मै हो

2 भ्रस्ट अधिकारियों की बजह से नही हट रहा वर्षो का अतिक्रमण

मैन चौराहा से लेकर मैन बाजार तक शासकीय भूमि पर कर रखा है लोगो ने अतिक्रमण

शिवपुरी जिले की सबसे पिछड़ी तहसील जिसको पोहरी तहसील के नाम से जाना  जाता है बही पोहरी नगर में पहली बार अतिक्रमण करियो के विरोध प्रशासन ने कार्रवाई का मन बनाया था पर अतिक्रमणकारियों और अधिकारियो की मिलीभगत से अतिक्रमण के खिलाप कोई कार्यवाही नही की गई । पोहरीं में मैन चौराहा से लेकर किले के अंदर तक और मैन चौराहे से शिवपुरी रोड, मैन चौराहे से श्योपुर रोड की और सभी जगह अतिक्रमण करियो ने शासकीय भूमि पर कब्जे करके पक्के मकान व्  स्टाले जमा रखी हैं। पोहरीं चौराहा के दोनों ओरज़ अतिक्रमणकारियों के चलते आये दिनों पोहरी में जाम की स्थिति बन जाती है जिसे पोहरीं क्षेत्र की जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है मैन चौराहा पर इन अवैध अतिक्रमण के चलते कई हादसे हो चुके है कुछ दिनों पहले पोहरी एस. डी. एम अंकित अस्थाना के निर्दशन में सभी अतिक्रमण करियो को अतिक्रमण  हटाने के नोट जारी कर दिया थे इसके बाद भी अतिक्रमण  करियो ने प्रशासन के नोटिस को गभीरता से नही लिया प्रशासन द्वारा मैन चौराहा, शिवपुरी रोड, श्योपुर रोड, मैन बाजार के अतिक्रमण चिन्हित करके सभी अतिक्रमण करियो को अल्टीमेटम जारी करके 19 तारीख तक अपने अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी कर दिया था लेकिन अव प्रसासन ने अतिक्रमण करियो के खिलाप अपने कदमो को पीछे हटा लिया है लोगो का कहना हे कि हर बार कोई नया अधिकारी आता हे और छिट पुट कार्य वाई  करके चला जाता है ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियो की मिलीभगत से दबंग अतिक्रमणकारी अपना रौब जमाये हुए है लेकिन जो गरीब दुकान वाला या गरीब झोपडी वाला प्रसासन के लपेटो में आ रहे है हर बार जब भी अतिक्रमण हटाने की बारी आती है तब हर बार गरीबों को परेशानियों से झूझना पड रहा है

3 भ्रस्ट अफसरों की अनदेखी के चलते चल रहे है अवैध ईंट के भट्टे

पोहरी नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में नियम ताक पर रख एक सैंकड़ा से अधिक ईट-भट्टे बेखौफ संचालित किए जा रहे हैं जिससे एक ओर जहां अवैध उत्खनन को बढ़ावा मिल रहा है वहीं लगातार फैल रहे प्रर्दुषण से आसपास के
लोगों को रह पाना मुशिकल हो रहा है। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि वन, राजस्व एवं खनिज महकमे के जिन अधिकारी-कर्मचारियों पर निरीक्षण का जिम्मा है, वह क्या देख रहे हैं, क्या कार्रवाई कर रहे हैं। आलम यह है कि किसी भी विभाग का अधिकारी न तो जिम्मेदारी लेने तैयार है और न ही जिम्मेदारों पर
कार्रवाई करने की जहमत उठाने, जबकि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 च के तहत यह गंभीर अपराध है वहीं भू-राजस्व संहिता का भी उल्लंघन है।
पोहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में वन भूमी, शमसान भूमी एवं राजस्व भूमी सहित नदी-नालों किनारे स्थित मिट्टी की खदानों में मशीनों से इस कदर खुदाई कर दी गई है कि जगह-जगह गहरी खाईयां साफ दिखाई दे रही हैं। पोहरी में खुदाई करने से नदी के तटों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। पोहरी क्षेत्र में जगह-जगह गहरी खाई हो गई हैं। विगत दिनों पूर्व मिट्टी की खदान धंसकने से दर्दनाक मौत का मंजर सामने आने के बावजूद अवैध खुदाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, परिणामस्वरूप अनेक गांवों में आम रास्ते भी खाईयों में तब्दील हो गए हैं।
पोहरी नगर के अलावा पोहरी से बैराड़ रोड, एवं कई स्थानों पर नदी-नालों किनारे अवैध उत्खनन कर न केवल ईंटों का धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है बल्कि जंगलों की अवैध कटाई कर ईंटों को पकाया जा रहा है जिससे यहां रहने वालों लोगों को सांस लेने भी परेशानी आ रही है। दिन-रात प्रदुर्षण की मार के चलते ग्रामीण स्वांस, नाक एवं खांसी संबंधी बीमारियों का शिकार बन रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा पूर्व में ईंट भट्टों से फैलने वाले प्रदुषण की शिकायत अधिकारियों को की जा चुकी है लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई जिससे यह अवैध कारोबार निर्वाध गति से निरंतर चल रहा है।
पोहरी जनपद अंतर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायतों में किए गए निर्माण कार्यो में लोकल ईट लगाकर शासन की राशि को
भ्रष्टïचार कि भेंट चढाया जा चुका है। गौर करने वाली बात यह है कि अधिकांश गांवों में ईटों का निर्माण करने वाले पेशेवर कुम्हार न होते हुए निर्माण कार्यों से संबंध रखने वाले ठेकेदारों से जुड़े लोग हैं। बताया जाता है कि उक्त गांवों से लोकल ईंट पकने के बाद शासकीय निर्माण कार्यों जैसे, प्रधानमंत्री आवास, स्कूल भवन, छात्रावास भवन, सामुदायिक भवन,
ग्राम पंचायत भवन, आंगनवाड़ी शौचालय, किचिनशेड आदि निर्माण कार्यों में उक्त घटिया स्तर की लोकट ईंटों को इस्तेमाल में लाया जा रहा है जिससे शासकीय निर्माण कार्य टिकाऊ नहीं बन रहे हैं।

4 भ्रस्ट अधिकारियो की मिलीभगत से सरकार की तबादला नीती का बनाया मजाक

10 से 20 वर्षों से पदस्थ कर्मचारियों के नहीं बना रहे स्थानांतरण के प्रस्ताव

प्रदेश सरकार द्वारा हर वर्ष तबादले किए जाते हैं, इस बार भी सरकार द्वारा 01 जून से 30 जून तक स्थानांतरण किए जाएंगे, इसके लिए सरकार
ने नई तबादला नीती भी बना दी है जिसके तहत खराब परफोर्मेंस वाले अधिकारी-कर्मचारियों को हटाने को प्राथमिकता दी गई है परन्तु पोहरी के विभिन्न विभागों के विभागीय प्रमुखों द्वारा अपने संस्थानों में वर्षो से पदस्थ कामचोर, अपडाउन करने वाले, शासकीय कार्यो में घालमेल करने वाले, तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के स्थानांतरण प्रस्ताव बनाकर वरिष्ठ कार्यालयों को नहीं भेजे जाते जिससे पोहरी में शासन की तबादला नीति मजाक बनकर रह गई है। वर्षाे से पदस्थ कर्मचारी न केवल कामचोरी के तरीके खोजने
में निपुण हो गए हैं बल्कि जनता के कार्यों को अटकाने व परेशान करने में भी माहिर हो चुके हैं लेकिेन विभाग प्रमुखों द्वारा उनके स्थानांतरण किए जाने के संबंध में शासन को प्रस्ताव ही नहीं भेजे गए। राज्य शासन ने एक जून से तबादलों पर लगे प्रतिबंध को हटाकर नई तबादला नीति बनाई है, जिसके तहत प्रत्येक विभाग अपनी आवश्यकता के अनुसार तबादले कर सकेंगे। यहीं नहीं इस बार शासन ने तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के स्थानांतरण के अधिकार, विभागीय प्रमुखों को दिए हैं जों वर्षो से एक ही
जगह पदस्थ हैं और जिनकी खराब परफोर्मेंस है उनके तबादले किए जाएंगे परन्तु पोहरी में इस नीति का पालन कराने विभागीय प्रमुख गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।

इन विभागों में वर्षो से नही हुए स्थानांतरण, कामकाज सुधारने स्थानांतरण जरूरी

1 जनपद पंचायत में वर्षो से एक ही पंचायतों में टिके हे कर्मचारी

2 कृषि उपज मंडी मे वर्षो से टिके हे कर्मचारी 

3  कृषि विभाग में ग्रामीण विस्तार अधिकारी 10-15 वर्ष से पदस्थ हैं,

4 स्कूल शिक्षा विभाग में कई वर्षों से एक ही जगह डटे वावू व स्कूल कर्मचारी

5  पशुपालन में कई वर्षों से टिके कर्मचारी

6 स्वास्थ्य विभाग में कई वर्षों से टिके कर्मचारी,

7 छात्रावासों में कई वर्षों से टिके कर्मचारी,

8 महाविद्यालय में सालो से टिके कर्मचारी,

9 राजस्व  विभाग में कई वर्षों से टिके कर्मचारी

10 सहकारी संस्थाओं में कई वर्षों से टिके कर्मचारी

11 वन विभाग में बर्षो से राज करते कर्मचारी

इन विभागों के कर्मचारी करीब
15 से 20 वर्षो से पदस्थ हैं। कुछ कर्मचारियों के विगत वर्ष स्थानांतरण किए
गए लेकिन उच्चस्तरीय पहुंच बनाकर केंसिल करा लाए। शासन की स्थानांतरण
नीति का पालन कराने के लिए विभागीय प्रमुखों को खुद हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है, ताकि विभागीय काम काज में सुधार आए।

5 भ्रस्ट अधिकारियों की मिलीभगत से पोहरी में IPL सट्टे और 1 के 80  का खेल जोरो पर,

पोहरी नगर में इन दिनों मानो क्षेत्र में आईपीएल सट्टे के कारोवार ने जोर पकड़ लिया है पोहरी नगर में ही बात की जाये तो खुल कर आईपीएल सट्टे का खेल पुलिस के सामने ही सटोरिये खेल रहे है पोहरी चौराहा, मैन बाजार, पुराना बाजार पर ही यदि नजर डाली जाए तो यहाँ पर थाने के कुछ ही दूरी पर खुल कर आईपीएल सट्टे का खेल खेला जा रहा है ऐसा नही है कि इसकी जानकारी पुलिस विभाग को न हो, पोहरीं नगर में यदि खुल कर सटोरिया आईपीएल सट्टे का खेल चल रहा है। तो इसका कुछ हिस्सा पोहरीं थाना में भी जाता होगा तभी तो आज तक पोहरी थाने में सटोरियों के विरोध कोई बड़ी कारवाही नही की गयी। जब की पोहरीं नगर का यह हाल है तो आस पास के ग्रामीण क्षेत्र तो भगवान भारोसे चल रहे होंगे

1 के 80 का खेल भी जोरो पर गली मोहल्ल में लगाया जा रहा है जमकर सट्टा

पोहरीं नगर में सट्टे ने अपने पैर पुरे क्षेत्र में पसार लिया है पोहरीं नगर के मैन बाजार, कटरा मोहल्ला,बैराड़ रोड,शिवपुरी रोड पर खुल कर सट्टे का खेल खेला जा रहा है यहाँ सब पुलिस की मिलीभगत से चलते पोहरीं क्षेत्र की गरीब जनता की मेहनत की कमाई को 1 के 80 का लालच दे कर सट्टे में लगाव देते है।

6 भ्रस्ट अधिकारियों की मिलिभगत से चल रहे है कई निजी स्कूल

मान्यता 8वी की और संचालित है 10बी और 12बी तक कई स्कूल
 
शिवपुरी जिले की सबसे पिछड़ी तहसील में प्राइबेट स्कूल संचालकों का खेल चालू हो गया है ।मध्यप्रदेश में नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले ही अभिभावकों को अपनी जेब कटने की चिंता सताने लगी है। पहले भारी-भरकम फीस, फिर किताबों समेत पढ़ाई से जुड़े अन्य सामानों की कीमत का बोझ उनके कंधों पर आने वाला है। उधर, बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के माता-पिता के सपने का स्कूल संचालक फायदा उठाने में लगे हुए हैं।
लेकिन पिछने वर्ष कि भांति इस वर्ष भी पोहरी में तमाम स्कूलो ने झूठे वादों के पुटल्ले बनाकर अखबारों के सहारे घरों तक पहुंचा दिये है। पोहरी में निजी स्कूलों की मनमानी अभिबावको के लिए गले कि हडडी बनी हुई यहां के स्कूल शासन के द्वारा लागु नियमों को ठेंगा दिखा कर अपने स्कूलों में फीस और कमीशन के मामलों में कोई गठबंधन नही करते। और कई स्कूल ऐसे भी है जहाँ स्कूल की मान्यता 8बी तक हे। लेकिन बच्चो को भर्ती 12 बी तक किया जा रहा है।और स्कूल संचालक बच्चो का भबिष्य बिगाड़ने में लगे हुए है।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार, सीबीएसई स्कूल केवल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की अनुमोदित पुस्तकों के प्रकाशकों को ही पाठयक्रम में शामिल कर सकते हैं। अन्य निजी स्कूल मध्य प्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम और मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग से अनुमोदित प्रकाशकों की किताबें लागू कर सकते हैं। लेकिन कहा जाता है कि अकसर पाबंदी ही बगावत कि शुरूआत होती है। हर वर्ष निजी स्कूलों के संचालक नियम विरुद्ध बच्चों के बस्तों का बोझ बढ़ा देते हैं। जो बगावत कि शुरूआत है। इसमें ऐसी कई किताबें होती हैं, जो बच्चों के लिए उपयोगी नहीं होतीं, लेकिन कमीशन के चक्कर में इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाता है। इस तरह बच्चों के बस्ते का बोझ घटने की बजाय बढ़ रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए शासन प्रसासन कोई कठोर कदम उठाने को तैयार नही है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम में कई प्रावधान किए गए हैं, लेकिन इन पर अमल नहीं हो रहा है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में निजी स्कूल केवल वही किताबें स्कूलों में चला सकते हैं, जो एनसीईआरटी और मप्र पाठ्य पुस्तक निगम से अनुमोदित हों। जबकि कई निजी स्कूल एक-एक विषय की कई किताबें बता देते हैं। दूसरी तरफ जिला शिक्षा विभाग ने नए सत्र में किताबों की कमीशनबाजी के खेल को खत्म करने के लिए अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। यदि अभी से विभाग नहीं चेता तो इस बार फिर से पुराना खेल शुरू हो जाएगा। ऐसा नही है कि जांच डीईओ परमजीत सिंह गिल, डीपीसी दुबे नही करते हो लेकिन जांच करने का कोई फायदा नही होता हर बार पहले की तरह स्कूल संचालक हमेसा की तरह बच जाते है।

हर साल बढ़ा दी जाती है फीस

प्रदेश में निजी इंजीनियरिंग और प्रबंधन कालेजों की तर्ज पर निजी स्कूलों में भी फीस के निर्धारण के लिए फीस नियामक बनाने का प्रस्ताव अभी कार्यवाही सिर्फ कागजों में है। मध्यप्रदेश में वर्तमान में कहीं भी निजी स्कूलों पर कितनी फीस वृद्धि हो या कितनी फीस रखी जाए, इस संबंध में कोई दिशानिर्देश नहीं है। 
वर्तमान में पूरे प्रदेश में फीस निर्धारण या कितनी फीस ली जाए, इस संबंध में कोई मानक तय नहीं किए गए हैं। लेकिन शासन स्तर पर अवश्य कार्य हो रहा है। अगर फीस निर्धारण के मानक बनते हैं तो अभिभावकों के लिए राहत भरा होगा।

7 भ्रस्ट अधिकारियों की बजय से रात 10 बजे के बाद भी फुल आवाज में गूंज रही है डीजे की धुनें

न्यायालय के आदेश के अवलेना करके ,आधी रात डीजे संचालक बजा रहे है डीजे

पोहरी नगर में इन दिनों शादी की रौनक से बाजारों में भीड़ देखने को भी मिल रही है नगर वासी इन दिनों डी. जे संचालको से परेशान नजर आ रहे है माननीय सर्बोच्च न्यायालय के आदेश है कि कोलाहल नियंत्रण के तहत रात्रि 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजाया जाए, कि पोहरी का प्रशासन अमले  इस आदेश का पालन ही नही कर रहा है तभी तो पोहरी के नगर वासी इन दिनों तेज आबाज में बज रहे ड़ी. जे से परेशान चल रहे है इन ड़ी. जे संचालक तेज आवाज में डी. जे बजा रहे है पोहरी क्षेत्र में रात में 1 बजे तक भी डी. जे संचालको द्वारा शादियों में तेज आबाज में  डी. जे का उपयोग किया जा रहा है जिसे पोहरीं नगर वासियो को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है जबकि कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन की नाक के नीचे डीजे संचालक आधी रात फुल आवाज में डीजे बजा रहे है। नगर वासियो की माने तो प्रशासन भी डी. जे संचालको से मिले हुए है तभी तो आज तक तेज आवाज में बजा रहे ड़ी.जे पर कारबाई नही की जबकि देश की सबसे बड़ी न्यायालय माननीय सर्बोच्च न्यायालय के आदेश है कि कोलाहल नियंत्रण के तहत रात्रि 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजाया जाए,पर पोहरीं नगर में बहुत तेज गति से डी. जे की आवाज सुनाई पड़ती है जबकि मैन थाना के सामने से तेज आवाज में बज रहे डी. जे पर प्रशासन की नजर नही पड़ी होगी यहां पर प्रशासन की मिलीभगत साफ देखी जा सकती है

कब जगेगा पोहरी का प्रशासन-

पोहरीं क्षेत्र में शादी की रौनक के बाद लोगो के लिए डी. जे संचालक सिर दर्द बना गये है तभी तो न्यायालय के आदेश के बाद भी रात 10 बजे के बाद भी डी. जे का संचालन हो रहा है डी. जे के आवाज से आस पास के लोगो को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है लोगो की परेशानी के बाद भी पोहरीं का प्रशासनिक अमला इन संचालको पर कारबाई भी नही की जा रही है तभी तो ड़ी. जे संचालको के हौसले बुलंद है पोहरीं कि जनता तो प्रशासन के जगाने का इंतजार कर रही है कि कब जागेगा पोहरीं का प्रशासन

हदय रोगियो के लिए घातक है तेज आवाज

पोहरी में डी. जे का संचालन  देर रात तक चलता रहा तो यहां स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है उसके बाद भी नगर में रात 10 बजे के बाद तेज आवाज में डी. जे बजाया जा रहा है बुजर्ग व्यक्ति को तेज आवाज से हदय रोगी को काफ़ी परेशानी होती है उसके बाद भी डी. जे का संचालन आधी को भी प्रशासन के नाक के नीचे चल रहा है

शेष भाग अगले अंक मे, जल्द प्रकाशित होगा पोहरी क्षेत्र का कड़वा सच

पड़ते रहिये मंथन न्यूज हितेश जैन के साथ