*जिला चिकित्सालय की गैलरी में तीन घंटों तड़पता रहा बालक,कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद मिला उपचार*

मंथन न्यूज शिवपुरी -मीडिया के सक्रिय होने के बाद चेता अस्पताल प्रबंधन*
प्रदेश के नम्बर वन अस्पताल का खिताब पाने वाले शिवपुरी चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टरोंं की संवेदनायें किस हद तक मर गर्ई है उसकी नजीर आज फिर देखने को मिली। स्टेडिय में सुबह-सुबह खेलने गया बालक गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल पहुंचा लेकिन खून से लथपथ उस बालक की स्थिति को देखकर भी अस्पताल प्रशासन ने संवेदना नहीं जागी और तीन घंटे तक उक्त बालक गैलरी में स्ट्रेचर पर बेहोश पड़ा रहा और खून की उल्टियां करता नजर आया।
इस घटना से पूर्व पिछले तीन दिनों में
चिकित्सकों की लापरवाही के जो मामले सामने आये है उनमें एक महिला की सिर्फ खाँसी के कारण मौत हो गई,वहीं एक नवजात शिशु के हाथ को चूहों द्वारा काट लिया गया भी शामिल है।
आज घटित हुई इस घटना में पीड़ित के परिजन और कर्मचारी नेता राजेन्द्र पिपलौदा बालक को उपचार दिए जाने के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन अस्पताल में मौजूद स्टॉफ ने उनकी एक नही सुनी।बाद में मीडिया ने जब इस पूरे घटनाक्रम से कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव को अवगत कराया तब कहीं जाकर उक्त बालक का इलाज प्रारंभ हो सका।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुबह 6 बजे बड़ा बाजार पुरानी शिवपुरी में निवासरत गोवर्धन सिंह गौर का 15 वर्षीय पुत्र कुशाल सिंह गौर खो-खो प्रशिक्षण लेने माधवराव सिंधिया खेल परिसर में पहुंचा जहां वह पाईप पर लिफ्टिंग बीम लगा रहा था उसी समय सिर के बल जमीन पर गिर गया। उसी दौरान पार्ईप भी टूट कर उसके चेहरे पर आ गिरा जिससे कुशाल बेहोश हो गया और वहां एक घंटे तक पड़ा रहा। घायल कुशाल के भाई राहुल ने बताया कि इस दौरान खेल अधिकारी एमके धौलपुरिया भी स्टेडियम में मौजूद थे, लेकिन उन्होंने ने भी अमानवीयता का परिचय दिया और वे वहां से चले गए। बाद में राहुल कुशाल को लेकर अस्पताल पहुंचा जहां उसकी माँ राजकुमारी और पिता गोवर्धन भी पहुंच गए और उन्होंने डॉक्टरों से तुरंत इलाज करने के लिए कहा लेकिन ड्यूटी डॉक्टर एसएस मांझी ने पलंग न होने की कह कर कुशाल के चेहरे पर पट्टी कर दी और वहां से रवानगी डाल दी। डॉक्टर के चले जाने के बाद कुशाल स्ट्रेचर पर गैलरी में ही पड़ा रहा और उसकी हालत बिगड़ती चली गई। कुछ देर बाद कुशाल ने खून की उल्टियां करना शुरू कर दी। जिससे उसकी माँ घबरा गई और कुशाल के सीने पर अपना सिर रखकर फूट-फूट कर रोने लगी। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों से आंसू आ गए उसी दौरान कर्मचारी कांग्रेस नेता राजेन्द्र पिपलौदा अपने किसी परिचित को देखेन आए थे। जिन्होंने यह दृश्य देखा तो वह पीडि़त परिवार की सहायता में जुट गए उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क साधा लेकिन डॉक्टरों ने उनकी भी नहीं सुनी।  सुबह 7 बजे से 10 बजे तक कुशाल गैलरी में ही खून की उल्टियां करता रहा लेकिन जिम्मेदारों ने उसे उपचार तक नहीं दिया। खून से स्ट्रेचर पूरी लाल हो चुकी थी। यह देख श्री पिपलौदा ने मीडिया को घटना की जानकारी दी। मीडिया को देखकर ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. डीके सिरोठिया ने बालक का परीक्षण किया और उसे तुरंत ही आर्ईसीयू में भर्ती करने के लिए स्टाफ से कहा। बाद में आरएमओ एसएस गुर्जर भी आर्ईसीयू में पहुंचे और कुशाल का उपचार शुरू कराया। 
*तीन दिन में अस्पताल प्रशासन की असंवेदनशीलता के तीन मामले आये सामने*
जिला अस्पताल में पिछले तीन दिन में असंवेदनशीलता के तीन मामले सामने आए हैं। इनमें एक महिला समय पर इलाज न मिलने के कारण मामूली बीमारी से मौत का शिकार हो गई वहीं दूसरी घटना में अस्पताल के वार्ड में एक नवजात शिशु की अंगुली को चूहों ने काट लिया।  जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। लेकिन एक के बाद हुर्ई तीन घटनाओं से भी अस्पताल प्रशासन सबक लेता हुआ नहीं दिख रहा है। 
*गोविन्द सिंह करते है पर्देदारी*
जिला अस्पताल में सिविल सर्जन का प्रभार पिछले कई बर्षों से डॉ. गोविन्द सिंह पर है,अस्पताल में जब कोई भी घटना होती है तो सिविल सर्जन हमेशा उस घटना पर पर्देदारी करते हुई चिकित्सकों के बचाब में खड़े नजर आते है और तो और कुछ मामलों में यह भी देखा गया है जब श्री सिंह ने अस्पताल में घटित घटनाओं का ठीकरा मीडिया पर फोड़ने से भी नही चूकते,जिला अस्पताल आज जिस बुरी हालत से गुजर रहा है उसके लिए अगर डॉ श्री सिंह को जिम्मेदार ठहराया जाये तो गलत न होगा।
*इनका कहना है*
सुबह सात बजे हम लोग कुशाल को लेकर अस्पताल आ गए थे जहां एक डॉक्टर ने मरहम पट्टी की और यह कहकर चले गए कि अस्पताल में बैड नहीं है। इसके बाद कुशाल की हालत बिगड़ती गर्ई और उसने कर्ई खून की उल्टियां भी की। डॉक्टरों को हम लोगों ने कुशाल की बिगड़ती हालत के बताया और इलाज करने के लिए कहा लेकिन तीन घंटे तक कोई भी डॉक्टर वहां नहीं पहुंचा। जिससे कुशाल की हालत और बिगड़ गर्ई। 
*राजकुमारी गौर घायल बालक की माँ*