दो खेमे में बंट जाएगी जदयू? अरूण, अली अनवर के बाद अब शरद यादव तो नहीं

मंथन न्यूज़ पटना पहले पार्टी विरोधी कार्यों के लिए महासचिव अरूण श्रीवास्तव को पदमुक्त करना और फिर अब अली अनवर को पार्टी से इतर जाने के कारण निलंबित कर दिया गया है। अगर बड़ी कार्रवाई की बात करें तो अब पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और उनका साथ देने वाले रमई राम-अरुण राय को भी पार्टी जल्द ही बाहर का रास्ता दिखा सकती है।

19 अगस्त को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है और उसमें बड़ी फेरबदल की संभावना देखी जा रही है, और एेसे में शरद यादव के बगावती तेवर जो नीतीश कुमार सहित बिहार की नवगठित सरकार के खिलाफ आवाज उठाकर राजद के सुर में सुर मिला रहे हैं तो क्या एनडीए से गठबंधन करना जदयू को महंगा पर रहा है?

दूसरा सवाल क्या जदयू पार्टी टूट के कगार पर खड़ी है? पार्टी में चल रही खींचतान का अब विस्फोटक असर दिखने लगा है। पांच दिनों के अंदर नीतीश खेमे ने शरद यादव गुट पर दूसरा वार किया है। 11 अगस्त को पार्टी ने राज्य सभा सांसद अली अनवर अंसारी को पार्टी के संसदीय दल से सस्पेंड कर दिया है।

जदयू महासचिव के सी त्यागी ने इसका एलान किया। त्यागी ने बताया कि अली अनवर ने विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेकर पार्टी विरोधी काम किया है। कल यूपीए की बैठक में भाग लेने की वजह से अली अनवर को जदयू ने निलंबित कर दिया। इससे पहले मंगलवार 8 अगस्त को पार्टी महासचिव पद से अरुण श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया गया था।

श्रीवास्तव पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गुजरात राज्यसभा चुनावों में पार्टी के एक मात्र विधायक छोटू भाई वासवा को पार्टी नेतृत्व के फैसले से अवगत कराने में कोताही बरती थी और पार्टी विरोधी काम किया था।

अब इसकी आगे की कड़ी में बड़ी कार्रवाई करते हुए पार्टी अपने बागी नेताओं शरद यादव, अली अनवर, रमई राम और अर्जुन राय जैसे नेताओं को पहले कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है और फिर इन नेताओं को पार्टी से निलंबित किया जा सकता है।

 

इस संबंध में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को दिल्ली में बैठक हुई।  इस बैठक में के सी त्यागी, आरसीपी सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, महेेंद्र प्रसाद, कौशलेंद्र कुमार, संतोष कमार, संजय झा, हरिवंश समेत दूसरे तमाम नेता शामिल हुए।

 

बैठक में जाने से पहले बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने संकेत देते हुए कहा कि शरद यादव पार्टी में रहेंगे या नहीं, इसका फैसला लेने के लिए वे स्वतंत्र हैं। 

 

नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन को पार्टी का निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि हम पार्टी में सबकी सहमति के बाद ही बीजेपी के साथ आए हैं और बिहार में सरकार बनाए हैं। साथ ही उन्होंने कहा, वो कुछ भी करने से पहले पार्टी के लोगों से जरूर पूछते हैं।

 

गौरतलब है कि बगावती तेवर अपना चुके शरद यादव ने बीजेपी के साथ जदयू के गठबंधन को जनता के साथ धोखा बताया है। शरद यादव ने कहा कि वो कार्रवाई से नहीं डरते हैं, बेशक सरकार नीतीश कुमार की है लेकिन मैं जनता के लिए जेडीयू का नेता हूं और महागठबंधन में था और रहूंगा। 

 

पार्टी के खिलाफ जाकर एेसे बयान देना जदयू को नागवार गुजर रही है और अब तलवार शरद यादव पर भी लटक रही है जो खुलकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज़ हैं और इसके ख़िलाफ़ बिहार में जनसंवाद यात्रा कर रहे हैं।

 

के सी त्यागी ने शुक्रवार को कहा, "शरद जी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। 19 अगस्त को पार्टी की नेशनल एक्ज़ेक्यूटिव की बैठक है एनडीए के साथ सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले को एंडोर्स करने के लिए, शरद जी आएंगे और अपनी बात रखेंगे तो हमें प्रसन्नता होगी।"

 

इससे  साफ है कि पार्टी 19 तारीख की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का इंतज़ार कर रही है। शरद यादव अगर इस बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत हो सकती है और उन्हें निलंबित किया जा सकता है।

गौरतलब है कि महागठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले का सबसे पहले अली अनवर ने ही विरोध किया था। इसके बाद शरद यादव ने भी नीतीश के कदम की आलोचना की थी। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि जदयू में टूट हो सकती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नीतीश के फैसले से जदयू के कई विधायक और सांसद भी नाराज हैं। 12 सांसदों में से 6 सांसद और करीब 20 विधायकों के नाराजगी की खबर पहले से ही है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पार्टी के कुछ अन्य पदाधिकारी भी नीतीश कुमार के खिलाफ हैं।

लिहाजा, ऐसी खबरें आ रही थीं कि सभी लोग मिलकर नीतीश का तख्ता पलट करने की योजना पर काम कर रहे हैं। 19 अगस्त को पार्टी कार्यकारिणी की पटना में बैठक है लेकिन उससे पहले ही नीतीश गुट शरद यादव के करीबियों को पार्टी से किनारा करने में जुट गई है। अली अनवर पर निलंबन की कार्रवाई उसी से जोड़कर देखा जा रहा है।  
ऐसा होता है तो जदयू पर वर्चस्व की लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच जाएगी। चुनाव आयोग ही तय करेगा कि किस गुट के पास कितनी शक्ति है और किसे पार्टी के चुनाव चिह्न तीर दिया जाए लेकिन जब तक इसका फैसला नहीं हो जाता, तब तक पार्टी का चुनाव चिह्न जब्त किया जा सकता है।