- नोएडा का केस तो केवल एक बानगी है, देश में पैटरनिटी लीव को लेकर कोई कानून नहीं होने के कारण नवजात शिशुओं को उनके पिता का साथ शुरुआती समय में बेहद कम मिल पाता है।
- DainikBhaskar ने इस बारे में जब भारतीय मजदूर संघ से बातचीत की तो उसके अध्यक्ष बैजनाथ राय ने बताया कि बच्चे के जन्म के समय पिता को छुट्टी मिलना बेहद जरूरी है, क्योंकि अब ज्वाइंट फैमिली का ट्रेंड खत्म हो रहा है। मैटरनिटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) बिल को लेकर हमसे चर्चा हुई थी। हमने बिल ड्राफ्ट होते समय मंत्रालय में चर्चा के दौरान मिनिस्टर और सेक्रेटरी को एक महीने के वैतनिक पैटरनिटी लीव का भी सुझाव दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से हमारा सुझाव माना नहीं गया।
- सातवें वेतन आयोग के प्रेसिडेंट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक माथुर ने भी बताया कि हमने अपनी सिफारिशों में यह कहा था कि पिता को बच्चे के जन्म के समय 3 से 6 हफ्ते की छुट्टी मिलनी चाहिए।
क्या था इस सलाह का मकसद?
- बिल में इस प्राेविजन को रखने की सलाह देने के पीछे अहम मकसद यह था कि छोटे परिवार में रहने वाली महिलाओं को ऐसे समय में पति का मदद मिल सके। विदेशों और मल्टी नेशनल कंपनियों में इसी मकसद से पैटरनिटी लीव दी जाती है।
इसलिए नहीं किया गया ये प्रोविजन
- बिल ड्रॉफ्ट के समय लेबर एंड इम्प्लॉयमेंट मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी रहे शंकर अग्रवाल कहते हैं कि हमने इंडस्ट्री, देश और सोशल व कल्चरल एक्टिविटीज को ध्यान में रखते हुए पैटरनिटी लीव नहीं दिया है। किसी कंपनी में पति-पत्नी काम कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में दोनों को छुट्टी मिलने में मुश्किल भी होती है। फ्यूचर में कभी जरूरत होती है तो फिर पैटरनिटी लीव दिया जा सकता है। वैसे जरूरत होने पर इम्प्लॉइज को छुट्टी तो मिलती ही है।
सिर्फ मैटरनिटी लीव दिया जाए तो महिलाओं को होगी ये मुश्किल
- इस बारे में देश की सबसे बड़ी ह्यूमन रिसोर्स सर्विस कंपनी टीमलीज़ सर्विसेज़ की वाइस प्रेसिडेंट सोनल अरोरा कहती हैं, "मैटरनिटी बिल में पैटरनिटी लीव को शामिल करना चाहिए था।"
- "मौजूदा स्थिति में सरकार की अच्छी मंशा है कि महिला इम्प्लॉइज को फायदा हो, लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है क्योंकि अगर सिर्फ मैटरनिटी लीव ही दिया जाएगा तो महिलाओं को इम्प्लॉयमेंट हासिल करने में भी मुश्किल होगी क्योंकि नौकरी देने वाली कंपनी भी हिचकेगी।"
- "मौजूदा स्थिति में सरकार की अच्छी मंशा है कि महिला इम्प्लॉइज को फायदा हो, लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है क्योंकि अगर सिर्फ मैटरनिटी लीव ही दिया जाएगा तो महिलाओं को इम्प्लॉयमेंट हासिल करने में भी मुश्किल होगी क्योंकि नौकरी देने वाली कंपनी भी हिचकेगी।"
- "ज्वाइंट फैमिली न होने के चलते बच्चे को पालने में पिता का भी अहम रोल हो गया है। वैसे देश में प्राइवेट सेक्टर में मल्टी नेशनल कंपनियों के साथ ही प्राइवेट कंपनियां भी तीन से सात दिन तक की छुटटी दे रही हैं। लेकिन इसका फायदा बहुत छोटे से हिस्से को ही मिल रहा है। एक वक्त में मां और बच्चा जब तक हॉस्पिटल में हैं, तब तक ही छुट्टी मिल जाती है, लेकिन बच्चे के घर आते ही पिता जॉब पर चला जाता है।"
यहां मिलती है देश में सबसे लंबी पैटरनिटी लीव
- देश में सबसे लंबी पैटरनिटी लीव देने वाली कंपनी कमिन्स इंडिया के डायरेक्टर प्रदीप भार्गव कहते हैं, "हमने मैटरनिटी बेनिफिट बिल आने के पहले ही अपने इम्प्लॉइज को एक महीने का पैटरनिटी लीव देना शुरू कर दिया है। चूंकि अभी ज्यादातर परिवार में बच्चे के लिए सिर्फ मां और पिता ही होते हैं इसलिए यह जरूरी है। आज के दौर में मां को भी इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। बच्चे के जन्म के पहले महीने में हॉस्पिटल की भागदौड़, टीका की भी जरूरत होती है।"
- देश में सबसे लंबी पैटरनिटी लीव देने वाली कंपनी कमिन्स इंडिया के डायरेक्टर प्रदीप भार्गव कहते हैं, "हमने मैटरनिटी बेनिफिट बिल आने के पहले ही अपने इम्प्लॉइज को एक महीने का पैटरनिटी लीव देना शुरू कर दिया है। चूंकि अभी ज्यादातर परिवार में बच्चे के लिए सिर्फ मां और पिता ही होते हैं इसलिए यह जरूरी है। आज के दौर में मां को भी इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। बच्चे के जन्म के पहले महीने में हॉस्पिटल की भागदौड़, टीका की भी जरूरत होती है।"
- कोअचीव कंपनी के डायरेक्टर मधु दामोदरन कहते हैं, "फैक्टरी एक्ट या शॉप एंड कमर्शियल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत भी किसी भी राज्य में पैटरनिटी लीव नहीं दिया जाता है। हालांकि प्राइवेट सेक्टर में मल्टी नेशनल कंपनियां, आईटी और इससे जुड़े सेक्टर में पैटरनिटी लीव दिया जा रहा है।"
तीन से 10 दिन तक की छुट्टी देती हैं कंपनियां
- ज्यादातर कंपनियों में तीन से 10 दिन तक की छुट्टी दी जाती है। वैस देश में कई कंपनियां अब ऐसी स्थिति में माता-पिता को घर से काम करने की भी छूट दे रही हैं।
- इस बारे में महिंद्रा एंड महिंद्रा के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट (ग्रुप ह्यूमन कैपिटल एंड लीडरशिप डेवलपमेंट) डॉ. प्रिंस अगस्तिन कहते हैं, "हम किसी भी इम्प्लॉई को, चाहे वो ऑफिस वर्क करता हो या कारखाने में, हम पैटरनिटी लीव देते हैं। चूंकि ऑफिस में फाइव डे वीक होता है इसलिए अफसरों-इम्प्लॉइज को 5 दिन की छुट्टी दी जाती है। वहीं फैक्टरी में सिक्स डे वीक होता है इसलिए उन्हें छह दिन की छुट्टी दी जाती है। इस दौरान अगर शनिवार और रविवार जैसे छुट्टी के दिन या कोई अन्य छुट्टी का दिन आ जाता है तो उसे इसमें नहीं गिनते हैं।"
- "इसके अलावा हम सात दिन घर से काम करने की फैसिलिटीज भी देते हैं। छुट्टी और घर से काम करने की फैसिलिटी इम्प्लॉइज बच्चे के जन्म से तीन महीने पहले या तीन महीने बाद के छह महीने के दौरान ले सकते हैं।"
बिल में दूसरी कमी ये
- इस बिल में दूसरी कमी यह रह गई है कि इसमें अनऑर्गेनाइज्ड क्षेत्र में काम करने वाली वुमन इम्प्लॉइज के बारे में कुछ भी नहीं है। जबकि कुल वुमन इम्प्लॉइज में 90% तो अनऑर्गेनाइज्ड क्षेत्र से ही हैं। 2015 में इंडियन लॉ कमीशन ने भी सुझााव दिया था कि 1961 के एक्ट के प्रोविजंस में अनऑर्गेनाइज्ड वुमन वर्कर्स सहित सभी वुमन इम्प्लॉइज को शामिल किया जाना चाहिए।
- इस बिल में दूसरी कमी यह रह गई है कि इसमें अनऑर्गेनाइज्ड क्षेत्र में काम करने वाली वुमन इम्प्लॉइज के बारे में कुछ भी नहीं है। जबकि कुल वुमन इम्प्लॉइज में 90% तो अनऑर्गेनाइज्ड क्षेत्र से ही हैं। 2015 में इंडियन लॉ कमीशन ने भी सुझााव दिया था कि 1961 के एक्ट के प्रोविजंस में अनऑर्गेनाइज्ड वुमन वर्कर्स सहित सभी वुमन इम्प्लॉइज को शामिल किया जाना चाहिए।
मैटरनिटी बिल में ये है खास
- पहले सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में नौकरीपेशा महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान 12 हफ्ते का मैटरनिटी लीव दिया जाता था। इस बिल में इसे बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया है। हालांकि दो या इससे अधिक बच्चे पहले से होने पर केवल 12 हफ्ते लीव का प्रोविजन है।
- अभी तक तीन महीने से कम उम्र वाले बच्चे को गोद लेने या कमीशनिंग करने वाली महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव का प्राेविजन नहीं था। अब ऐसी महिलाओं को भी 12 महीने की छुट्टी मिलेगी।
- 50 या 50 से अधिक इम्प्लॉइज जिस संस्थान में काम करते हैं, उन संस्थानों को एक तय दूरी के अंदर क्रेश की फैसिलिटी देनी होगी। महिला वर्कर्स को वहां अपने बच्चे के पास चार बार जाने की इजाजत होगी।
- कंपनियों को नई वुमन इम्प्लॉइज अप्वाइंट करने से पहले उन्हें लिखित या इलेक्ट्रॉनिक मीडियम से मैटरनिटी बेनिफिट के बारे में बताना होगा।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों में भी पैटरनिटी लीव की सलाह
इसके लिए पहले हमें प्राइवेट सेक्टर से बात करनी पड़ेगी
- लेबर एंड इम्प्लॉयमेंट मिनिस्टर बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, "पैटरनिटी लीव में कॉस्ट जुड़ी हुई है। इसके लिए पहले हमें प्राइवेट सेक्टर से बात करनी पड़ेगी। अभी इसमें तुरंत हम कुछ नहीं कर रहे हैं। इससे जुड़े पक्षों की राय जानने के बाद ही कुछ कह सकते हैं।"
हमने कहा था- पिता को 3-6 हफ्ते की छुट्टी मिलनी चाहिए
- 7वें वेतन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अशोक माथुर ने कहा, "हमने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में कहा था कि 3 से 6 हफ्तों की पैटरनिटी लीव मिलनी चाहिए। ऐसे समय पर महिलाओं को पति की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए ये जरूरी है।"
Post a Comment