साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले उपकर (सेस) और अधिभार (सरचार्ज) को खत्म करने के लिए कस्टम एंड एक्साइज कानून में संशोधन को भी अपनी मंजूरी दे चुका है। इससे जीएसटी को आसानी से लागू किया जा सकेगा, इसे भी उचित समय पर संसद में पेश किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सोमवार को लोकसभा में चार पूरक विधेयकों को पेश किया जा सकता है। सरकार का लक्ष्य एक जुलाई से जीएसटी को लागू करने का है।
इससे पहले बीते गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली चालू सत्र में ही जीएसटी बिल को पारित कराने पर जोर देते हुए इसकी जरूरत बताई थी। जेटली ने बताया था कि यदि ऐसा नहीं होता है तो केंद्र और राज्य सरकारें 15 सितंबर के बाद अप्रत्यक्ष करों की वसूली का अधिकार खो देंगी।
राज्यसभा में अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार एक जुलाई से देश में अप्रत्यक्ष करों की नई व्यवस्था जीएसटी को लागू करना चाहती है। पेट्रोलियम और भूमि को जीएसटी के दायरे में लाने जैसे अन्य मुद्दों पर इसके लागू होने के एक वर्ष के बाद विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि जीएसटी सविंधान संशोधन विधेयक इस वर्ष 15 सितंबर तक पारित करने की ही अनुमति देता है इसके बाद यह स्वत: समाप्त हो जाएगा।
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