BJP से अपने MLAs को दूर रखने के लिए कांग्रेस-एनसीपी ने शुरू की ‘संघर्ष यात्रा’

पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ मुम्बई -भाजपा के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस और एनसीपी के भीतर उनके विधायकों को खोने का डर पैदा कर दिया है जिसके कारण दोनों पार्टियों ने संघर्ष यात्रा शुरू कर दिया है।
BJP से अपने MLAs को दूर रखने के लिए कांग्रेस-एनसीपी ने शुरू की ‘संघर्ष यात्रा’ मुंबई । देश में भारतीय जनता पार्टी का बढ़ता वर्चस्‍व कांग्रेस और एनसीपी के लिए चेतावनी पैदा कर रही है। इन्‍हें अपने अप्रासंगिक हो जाने का खौफ तो है ही साथ ही उन्‍हें अपने विधायकों को खोने का भय भी सता रहा है, क्‍योंकि केंद्र व राज्‍यों की सत्‍ता में भाजपा के आने की संभावना को देखते मजबूत होती जा रही है। इसे देखते हुए कांग्रेस व एनसीपी ने मिलकर बुधवार से ‘संघर्ष यात्रा’ शुरू कर दी है। 
इस संघर्ष यात्रा के जरिए राज्‍य के ग्रामीण हिस्‍सों में करीब 1000 किमी की दूरी तय करने का निर्णय लिया गया है। इस यात्रा में पूर्व कांग्रेस मुख्‍यमंत्रियों अशोक चव्‍हाण और पृथ्‍वीराज चव्‍हाण एनसीपी के अजीत पवार और सीपीएम व एमआइएम के अन्‍य विधायक समेत कुछ शीर्ष विपक्षी नेता शामिल होंगे।
इनका दावा है कि यात्रा के दौरान वे किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे को उठाएंगे और इसके लिए सत्‍तारूढ़ पार्टी पर दवाब डालेंगे। कांग्रेस व एनसीपी के कुछ नेताओं ने स्‍वीकार किया कि यह यात्रा उनके ‘प्रासंगिक’ बने रहने का एक प्रयास है विशेषकर तब जब देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में भाजपा व्‍यापक तौर पर चुनाव जीत रही है।
नाम न बताने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘महाराष्‍ट्र में नगर निगम चुनावों और उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत से यह स्‍पष्‍ट है कि लोगों के बीच मोदी की गहरी पैठ है। हमें जनता के मुद्दे को उठाना होगा और कोई विकल्‍प नहीं। जिस तरह हम काम कर रहे हैं उस तरीके को अपनाकर हम अस्‍तित्‍व में नहीं बने रह सकते हैं।‘
किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा उन कारणों में से एक है जिसके कारण कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने गांवों में जाने का निर्णय लिया है क्‍योंकि देवेंद्र फडणवीस सरकार से यदि शिवसेना अपने हाथ खींच लेती है तब उनके अपने विधायकों का भाजपा में जाने की संभावना है।
इस तरह की स्‍थिति वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव में थी जब महाराष्‍ट्र की सत्‍ता का कमान भाजपा के हाथ गया था और एनसीपी के अधिकांश नेताओं ने भाजपा से हाथ मिला लिया था और उनमें से कई भाजपा की टिकट पर निर्वाचित भी हुए थे।