स्वतंत्रता दिवस के भाषण में नौकरशाही में सुधार व वित्त वर्ष में बदलाव पर होगा जोर!
नोटबंदी के बाद योजना के लाभ और सरकारी बैंकों के विलय की भी हो सकती है चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले के प्राचीर से 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अपने चौथे भाषण में बड़े पैमाने पर नौकरशाही में सुधार और वित्त वर्ष में बदलाव का उल्लेख कर सकते हैं। प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर होने वाले भाषण में केंद्र सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख होता है, साथ ही इसमें भविष्य की योजनाएं भी बताई जाती हैं। उदाहरण के लिए मोदी ने अपने पिछले भाषणों में ग्रामीण विद्युतीकरण और सस्ते मकान की योजनाओं का उल्लेख किया था। यह साल भी कुछ अलग रहने की संभावना नहीं है।
उच्च पदस्थ सूत्रों से बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक नौकरशाही में सुधार मोदी के एजेंडे में अगली बड़ी बात होगी और इस दिशा में किए गए बदलाव, नियुक्तियां, कार्यकाल और इसके साथ ही प्रशासन का ढांचा तैयार करने में बाहरी लोगों का नौकरशाही में प्रवेश शामिल होगा। एक अधिकारी ने कहा, 'इस मोर्चे पर तमाम तरीकों पर विचार किया गया। प्रधानमंत्री के भाषण को अभी अंतिम रूप दिया जाना है, लेकिन इसमें सुधार की योजना का कुछ विस्तृत ब्योरा हो सकता है।' बड़ी संख्या में टेक्नोक्रेट को प्रवेश देने और नौकरशाहों के लिए अप्रेजल व्यवस्था में वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट के अलावा छवि को भी शामिल किए जाने की संभावना है। इस तरह की व्यवस्था पदोन्नति से लेकर नियुक्ति तक हर जगह असर डाल सकती है।
एक और योजनाबद्ध पहल जिसे कुछ समय से जाना जा रहा है और जिसका जिक्र प्रधानमंत्री कर सकते हैं, वह है वित्तीय वर्ष को अप्रैल-मार्च से जनवरी से दिसंबर किया जाना। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हालांकि इसके लिए कोई तिथि घोषित किए जाने की संभावना कम है, लेकिन वह इस कदम के लाभ गिना सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद यह बड़ा आर्थिक सुधार होगा। प्रधानमंत्री कुछ अन्य मसलोंं पर भी बोल सकते हैं, जिनमें नोटबंदी के बाद योजनाओं का लाभ दिया जाना और सरकारी बैंकों का योजनाबद्ध तरीके से विलय किया जाना शामिल है।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की प्रशासनिक परिषद की बैठक में वित्त वर्ष के बदलाव के बारे में चर्चा की थी, जिसमें सभी राज्यों ने हिस्सा लिया था। उन्होंने राज्यों को यह भी निर्देश दिया था कि वह अपने स्तर पर इस मामले में पहल करें। प्रधानमंत्री के समर्थन के बाद मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य बना, जिसने मई मेंं औपचारिक रूप से यह घोषणा की कि वह अगले साल से जनवरी दिसंबर के लिए बजट पेश करेगा। उसका मौजूदा वित्त वर्ष नवंबर में खत्म होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कुछ दिन पहले औपचारिक रूप से संसद में घोषणा की थी कि सरकार जनवरी-दिसंबर वित्त वर्ष की योजना बना रही है।
वित्त वर्ष में बदलाव को लेकर सरकार में कुछ मतभेद की आवाजें भी उठ रही हैं। जहां कुछ अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अप्रैल-मार्च की जगह जनवरी-दिसंबर अवधि के लिए बजट 2018 की शुरुआत में पेश किया जा सकता है, जबकि कुछ अन्य ने इस अखबार को बताया कि इस बदलाव से कम अवधि के लिए व्यवधान आएगा और संभव है कि वस्तु एवं सेवा कर लागू किए जाने तुरंत बाद इसे लागू न किया जाए और यह बदलाव 2019 के लिए हो। केंद्र सरकारक शंकर आचार्य समिति की सिफारिशों पर विचार कर रही है, जिसे इस तरह के किसी बदलाव को लागू करने के लिए अध्ययन का काम सौंपा गया था। भारत मेंं 1867 से अप्रैल मार्च वित्त वर्ष अपनाया जा रहा है। 1867 के पहले भारत का वित्त वर्ष 1 मई से शुरू होकर अगले साल के 30 अप्रैल तक चलता था।