मानसून सत्र:नरेश अग्रवाल ने जताया खेद, RS की कार्यवाही से हटाया गया बयान

मंथन न्यूज़ दिल्ली समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के विवादित बयान पर सदन में सत्ता पक्ष ने जमकर हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। नरेश अग्रवाल ने सदन में 'भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किए जाने के मुद्दे' पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए एक कविता पढ़ी। इसका सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जबरदस्त विरोध किया और उप सभापति पीजे कुरियन से इसे सदन की कार्यवाही से निकालने की मांग करते हुए नरेश अग्रवाल से माफी मांगने को कहा।

उप सभापति कुरियन ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और अगर आपत्तिजनक हुआ तो इसे सदन की कार्यवाही से निकाल देंगे। इसके जवाब में सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि सपा सदस्य ने बहुसंख्यकों की भावनाओं को आहत करने वाला बयान दिया है। उन्हें यहां सदन और संविधान का संरक्षण प्राप्त है। अगर उन्होंने यह टिप्पणी सदन के बाहर की होती तो उनपर मुकदमा दर्ज हो जाता। 

भाजपा ने जताया कड़ा विरोध
संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि नरेश अग्रवाल ने बहुसंख्यक समुदाय का अपमान किया है। पूरे देश को गाली दी है। यह गंभीर मामला है। उन्हें इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। इस बीच सत्ता पक्ष के सदस्य सपा सदस्य के विवादित बयान के विरोध में नारे लगाते हुए अपने स्थान पर खड़े हो गए। अनंत कुमार ने कहा कि इस मामले को देखने तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर देनी चाहिए। इसके बाद उप सभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी।आनंद शर्मा ने धर्म का ठेकेदार ना बनने की दी नसीहत   
इस बीच सदन में हंगामा जारी रहा। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि धर्म में सभी की आस्था है लेकिन किसी को इसका ठेकेदार नहीं बनना चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने कहा कि बयान कार्यवाही से निकाला जा चुका है, उपसभापति बयान की निंदा कर चुके हैं और अग्रवाल भी अपने शब्दों को वापस ले चुके हैं। इसलिए इस मामले को समाप्त समझा जाना चाहिए। 

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि अग्रवाल अपना बयान वापस ले चुके हैं लेकिन खेद नहीं मांगेंगे। चाहे सदन में ऐसा ही चलता रहे। शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि मामले को सदन की विशेषाधिकार समिति को भेज देना चाहिए। इससे सदन में फिर हंगामा शुरू हो गया। कुरियन सत्तापक्ष के सदस्यों से शांत होने और सदन के वरिष्ठ सदस्यों से मामले का समाधान सुझाने की अपील करते रहे। उन्होंने कहा कि उनके पास सदन की कार्यवाही स्थगित करने के सिवाय कोई चारा नहीं है। इसके बाद सदन की कार्यवाही दूसरी बाद चार बजे तक स्थगित कर दी गयी। चार बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने पर अग्रवाल ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया। इसके बाद सदन में कार्यवाही सुचारु रुप से शुरू हो पायी।