यानी राज्यपाल द्वारा बनाई गई व्यवस्था में सिर्फ इतना बदलाव हुआ है कि पहले पर्रिकर को शपथ ग्रहण के 15 दिन के भीतर बहुमत साबित करने को कहा गया था, अब यह काम 16 मार्च को ही करना होगा। इस तरह, मंगलवार शाम को होने वाला पर्रिकर का शपथग्रहण समारोह तय शेड्यूल के अनुसार होगा।
इससे पहले कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस जेएस खेहर की बेंच ने पार्टी से सवाल पूछा कि क्या आपने राज्यपाल को अपने समर्थक विधायकों की लिस्ट सौंपी थी? दूसरा सवाल यह पूछा कि आपके पास नंबर्स हैं? अगर हैं तो आप उनका एफिडेविट लेकर आएं, तभी हम सरकार पर कार्रवाई कर सकते हैं। अगले सवाल में अदालत ने पूछा कि आप मनोहर पर्रिकर पर खरीद फरोख्त कर सरकार बनाने का आरोप किस आधार पर लगा रहे हैं?
यह है अब तक का घटनाक्रम
गोवा विधानसभा में कुल 40 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों का समर्थन जरूरी है। इन चुनावों में भाजपा को 13, तो उसके समर्थक दलों, एमजीपी को 03 और जीएफपी को भी 03 सीटें मिली हैं। भाजपा का दावा है कि 03 निर्दलीय भी उसके साथ हैं। इस तरह उसके पास कुल विधायकों की संख्या 22 होती है। इसी आधार पर पार्टी ने सरकार बनाने का दावा भी पेश किया है।
वहीं कांग्रेस ने 17 सीटें जीती हैं और उसके साथ एक सीट के वाली राकांपा भी है। कांग्रेस का आरोप है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। कोर्ट में इसी तर्क को आधार बनाते हुए याचिका दाखिल की गई है।
भाजपा के दावे के साथ ही राज्यपाल ने मनोहर पर्रिकर को सीएम पद की शपथ लेने और उसके 15 दिन भीतर बहुमत साबित करने को कहा था। इसके बाद पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
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