नई दिल्ली, । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में सैन्य औद्योगिक बेस बनाने के लिए आगे आ रही अमेरिकी कंपनियां चिंतित हैं। उनकी परेशानी कानूनी बाध्यताओं को लेकर तो है, साथ ही ये चिंता भी उन्हें साल रही है कि अगर किसी उत्पाद में कमी आती है तो उन्हें ही जिम्मेदार न ठहराया जाए।
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआइबीसी) ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर ज्यादा भरोसे की मांग की है। इस ग्रुप में अमेरिका की चार सौ ऐसी कंपनियां शामिल हैं, जो रक्षा उत्पाद (विमान, पनडुब्बी व टैंक) बनाने का काम करती हैं। इनकी तकनीक का लोहा पूरा विश्व मानता है। लोकहीड मार्टिन व बोईंग भारत को जेट विमानों की आपूर्ति के लिए प्रक्रिया में शामिल हो रही हैं। लोकहीड ने एफ-16 विमानों के कारखाने को पोर्ट वर्थ (टेक्सास) से भारत में स्थानांतरित करने की भी बात कही है, अगर भारत सौ सिंगल इंजन वाले विमानों का आर्डर देता है।
अमेरिकी कंपनी ने टाटा एडवांस सिस्टम को अपना स्थानीय भागीदार चुना है। इसमें अमेरिकी कंपनी के पास 49 फीसद शेयर रहेंगे। यूएसआइबीसी ने अपने पत्र में रक्षा मंत्रालय से आग्रह किया है कि संवेदनशील तकनीक पर अमेरिकी कंपनियों का ही नियंत्रण रहेगा। इसके साथ तकनीक पर मालिकाना अधिकार को लेकर भी वह आशंकित हैं। हालांकि भारत सरकार पहले ही मान चुकी है कि तकनीक पर मालिकाना हक अमेरिकी कंपनी का होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले तीस सालों के अथक प्रयासों के बावजूद भारत बड़े रक्षा उत्पाद बनाने में कामयाब नहीं हो सका है। मेक इन इंडिया के तहत सरकार की कोशिश है कि तकनीक का हस्तांतरण भारतीय कंपनियों को किया जा सके, जिससे भविष्य में वो भी इन्हें बना सकें।
यूएसआइबीसी के निदेशक बेंजामिन एस का कहना है कि तकनीक पर नियंत्रण को लेकर अमेरिकी कंपनियां आशंकित हैं। उन्हें संयुक्त करार के उस बिंदु पर भी एतराज है जिसमें उत्पाद में कमी आने पर अमेरिकी कंपनी को दोषी ठहराया जा सके। बेंजामिन का कहना है कि रक्षा मंत्रालय उन्हें आश्वस्त करे कि कंपनी के नियंत्रण क्षेत्र से बाहर उत्पाद में कोई कमी आती है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होगी। लोकहीड के भारत में अध्यक्ष प्रत्युष कुमार का कहना है कि भारतीय कंपनी अनुभवहीन हैं और ये बात अमेरिकी कंपनियों को अखर रही है। अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम के अध्यक्ष ए मुकेश का कहना है कि कुछ चिंताएं हैं, लेकिन उनका समाधान करके रास्ता निकाला जाएगा।
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