कंपनी ने मई 2016 में मीटर बदल दिया। इसके बाद उनके मीटर में 90 यूनिट खपत दर्ज हुई, लेकिन बिजली कंपनी ने बिल में 6800 यूनिट अतिरिक्त जोड़ दी। जब जोन में शिकायत दर्ज कराई तो कंपनी ने हवाला दिया कि पुराने मीटर में यह खपत निकली है और इस तरह लक्ष्मीबाई को 61 हजार रुपए का बिल दे दिया। करीब 6 माह तक लक्ष्मीबाई कंपनी कार्यालयों के चक्कर काटती रहीं, लेकिन बिजली कंपनी ने बिल कम नहीं किया।
कंपनी ने बिजली का बिल जमा कराने के लिए कनेक्शन काट दिया। इसके बाद लक्ष्मीबाई ने विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में शिकायत दर्ज कराई। कंपनी को नोटिस जारी किए। अगस्त 2017 में इस मामले में बहस हुई। उपभोक्ता का आरोप था कि कंपनी लगातार आकलित खपत भेजती रही, जिसे उन्होंने भरा। गलत तरीके से बिल दिया गया। लैब में चेक करते वक्त उसे नहीं बुलाया गया। कंपनी ने तर्क दिया कि लैब में टेस्ट करने पर यह खपत निकली है। अन्य कोई दस्तावेज कंपनी ने फोरम के समक्ष पेश नहीं किए, जिससे साबित हो सके कि मीटर में 6800 यूनिट खपत दर्ज हुई है।
कंपनी का आरोप था कि रीडर से सांठ-गांठ करके कम रीडिंग कराई गई थी, जिसके चलते मीटर में खपत इकट्ठी हो गई। फोरम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निष्कर्ष निकाला कि बिजली कंपनी ने उपभोक्ता को गलत बिलिंग की है। घर के लोड को ध्यान रखा जाए तो 6800 यूनिट की खपत नहीं हो सकती है। इसलिए इस बिल को समाप्त किया जाता है। 15 दिन में 109 यूनिट का औसत बिल उपभोक्ता को दिया जाए। इस मामले की सुनवाई फोरम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने की।
सालभर से भर रहे थे आकलित खपत, फोरम ने पूरी हटा दी
डीडी नगर निवासी आरके सिंह को बिजली कंपनी एक साल से आकलित खपत का बिल दे रही थी। सर्दी, गर्मी और बारिश में उन्हें हर माह 500-500 यूनिट का बिल दिया, जबकि उनकी मीटर खपत आधी भी नहीं आ रही थी। कंपनी आकलित खपत को नहीं हटा रही थी। इसके बाद आरके सिंह ने विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद फोरम ने 9 माह के बिलों को निरस्त कर मीटर खपत के आधार पर बिल जारी करने का आदेश दे दिया।
अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को
विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम अगले माह 13 अक्टूबर को ग्वालियर में सुनवाई के लिए आएगा। रोशनी घर में फोरम की बेंच लगेगी। उपभोक्ता चाहे तो फोरम को डाक से शिकायत भेज सकते हैं या फिर सुनवाई के दौरान फॉर्म लेकर अपनी शिकायत फोरम के समक्ष दर्ज करा सकते हैं। फोरम में बिजली की समस्या से जुड़े मामले की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
स्पॉट बिलिंग से सुधार
स्पॉट बिलिंग से काफी हद तक गलत बिलिंग पर रोक लगी है। अगर कोई मीटर खराब होता है तो उस मीटर से एमआरआई निकल आती है और उसी के आधार पर बिल जारी होता है। इस तरह के बिल को कम नहीं किया जाता।
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