मुरैना जिले के हटुपुरा गांव में 26 मोरों की संदिग्ध मौत

मंथन न्यूज़ मुरैना। जौरा वनक्षेत्र के तहत सुमावली के हटूपुरा गांव में 26 मोरों की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई। मोरों के शिकार की दो घटनाएं हाल ही में इसी इलाके में शामने आई थीं। इसके बाद फिर से इतनी बड़ी तादात में मोरों की मौत होने से वन विभाग के अध्ािकारियों में हड़कंप मच गया। मोरों की मौत की वजह प्यास या शिकार बताई जा रही है। शिकार की आशंका को देखते हुए वन विभाग ने मोरों के बिसरे के सैंपल जांच के लिए सुरक्षित करवाए हैं।

हटूपुरा सरपंच शिवेंद्र सिंह ने बताया कि सुबह दिशा मैदान के लिए जंगल में पहुंचे ग्रामीणों ने कुछ मोरों को मरा पाया। इसकी सूचना जब शिवेंद्र को मिली तो उन्होंने जंगल में खोज की तो एक के बाद एक 26 मोरों के शव ग्रामीणों को मिले। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी।

इसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। वन विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों ने बताया कि मोरों की मौत या तो प्यास से हुई है या फिर उनका शिकार हुआ है। ग्रामीणों में आक्रोश पनपते देख घटना की सूचना डीएफओ को दी गई। इसके बाद मोरों का पीएम करवाया गया। मरने वाली मोरों में 17 नर व 9 मादा पक्षी शामिल हैं।

नहीं रखवाए पानी के मटके

हर साल जंगली इलाकों में मोरों के लिए वन विभाग पानी के मटके रखवाया करता था। सरपंच शिवेंद्र सिंह की मानें तो इस साल वन विभाग ने जंगल में ऐसा कुछ भी नहीं किया है। जिसके चलते मोरों की प्यास से मौत हुई। ग्रामीणों ने बताया जहां मोरों की मौत हुई है, वहां कई किमी तक आसपास पानी का कोई स्त्रोत नहीं है।

वन विभाग का शिकारियों पर भी शक

डीएफओ डॉ. एए अंसारी के मुताबिक इस मामले में मोरों की सामूहिक मौत को वे शिकार से जोड़कर भी देखा जा रहा है। क्योंकि इससे पहले इसी इलाके के करह आश्रम के आसपास मोरों की मौत जहरीले दाने खाकर हुई थी, जो शिकारियों ने यहां फैलाए थे। इसके बाद इसी तरह से बानमोर के पहाड़ी इलाके में मोरों का शिकार हुआ था। उस समय करीब 35 मोरों की मौत हुई थी।

इनका कहना है

प्रथम दृष्टया मौत पीने के पानी के अभाव में होना प्रतीत हो रहा है। हम शिकार की संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे। यही वजह है कि उनके बिसरे के सैंपल हमने जांच के लिए रख लिए हैं। जल्द ही मामले में सब साफ हो जाएगा।

डॉ. एए अंसारी, डीएफओ