नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले दोस्ताना रुख दर्शाते हुए ट्रंप प्रशासन ने भारत को निगरानी करने वाले 22 अमेरिकी गार्जियन ड्रोन देने का फैसला लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को इस बात की पुष्टि कर दी। उनके अनुसार ट्रंप सरकार ने दो से तीन अरब डॉलर (128 अरब रुपये से लेकर 192 अरब रुपये) के ड्रोन सौदे को मंजूरी प्रदान कर दी है। भारत ने अमेरिका के इस कदम को द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से गेम चेंजर करार दिया है।
सरकार के उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है, 'अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से भारत सरकार और ड्रोन निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स को बुधवार को ही अवगत करा दिया था। द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।' सूत्र कहते हैं कि भारत के साथ संबंधों के मामले में डोनाल्ड ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर साबित हो रहे हैं। यह उसका पहला महत्वपूर्ण संकेत है।
ध्यान रहे कि भारत निगरानी करने वाले अमेरिकी गार्जियन ड्रोन तकनीक हासिल करने की कोशिश में काफी समय से लगा हुआ था। ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका ने ड्रोन तकनीक भारत को देने का वादा भी कर लिया था, परंतु डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद इस सौदे को लेकर संशय था। लेकिन मोदी के रविवार से शुरू होने वाले दौरे से पहले ट्रंप सरकार ने ड्रोन भारत को देने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। अभी तक अमेरिका ने यह तकनीकी बेहद गिने-चुने देशों को ही दी है। भारत पहला ऐसा गैर नाटो गठबंधन देश है, जिसे अमेरिका अपनी ड्रोन तकनीक सौंपने जा रहा है।
ओबामा के कार्यकाल में भारत को सबसे अहम रणनीतिक साझेदार का दर्जा देने वाला प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस में पारित हुआ था। इससे यह ड्रोन तकनीकी भारत को मिलने का रास्ता खुल गया था। गार्जियन ड्रोन मिलने से भारत के लिए अब ¨हद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने में काफी आसानी हो जाएगी।
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