प्रमोटी के बजाय सीधी भर्ती वाले युवा आईएएस पर सरकार ने जताया भरोसा

मंथन न्यूज़ भोपाल। तेरह साल में पहली बार सरकार ने प्रमोटी अफसरों के बजाए सीधी भर्ती वाले युवा आईएएस अफसरों पर भरोसा जताया है। कलेक्टरों की पदस्थापना में सीधी भर्ती के अफसरों की संख्या ज्यादा है। 2010 बैच तक के आईएएस को भी पहली बार कलेक्टर की कमान सौंपी गई है।

वहीं, 2012 तक के अधिकारियों को नगर निगम कमिश्नर जैसे महत्वूपर्ण पदों की जिम्मेदारी देकर भरोसा जताया गया है। सुशासन की दिशा में इसे बड़ा कदम माना गया है। भोपाल और इंदौर में मुख्यमंत्री ने अपनी तो ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पसंद के अफसर को पदस्थ किया गया है। इंदौर कलेक्टर पी. नरहरि के ट्रेनिंग से वापस आने के बाद उनकी पदस्थापना की जाएगी। बताया जा रहा है कि उन्हें मंत्रालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

पिछले छह माह से बड़ी प्रशासनिक सर्जरी को लेकर अटकले लगाई जाती रही हैं। कई बार सूचियां बनीं और बैठकें भी हो गईं पर संयोग ही नहीं बन पा रहा था। किसान आंदोलन और दो जुलाई को पौधरोपण कार्यक्रम के मद्देनजर मैदानी पदस्थापना की बाट जोह रहे अधिकारियों ने एक माह तक बड़े बदलाव की आस छोड़ दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने तबादलों को हरी झंडी देकर सबको चौंका दिया।

बताया जा रहा है कि सरकार दो-ढाई साल से जमे अफसरों को मैदानी पदस्थापना से हटाने का मन बना चुकी थी। इसकी एक वजह 2018 के अंत में होने वाला चुनाव भी है, क्योंकि तब तक ये पद पर रहते तो चुनाव आयोग इन्हें हटा देता। सरकार ने चुनाव के हिसाब से भी जमावट करने की कोशिश की है।

सूत्रों का कहना है कि पहली बार प्रमोटी आईएएस अफसरों की जगह सीधी भर्ती के अधिकारियों पर भरोसा जताया गया है। सिर्फ चार अधिकारी (गोपालचंद्र डाड, मालसिंह भयडिया, दिलीप कुमार, आलोक कुमार सिंह) ही ऐसे हैं, जिन्हें अपने संपर्कों के कारण मौका मिला है। जबकि, सीधी भर्ती के अजय गुप्ता, अनय द्विवेदी, अनुराग चौधरी, भास्कर लक्षकार, आशीष सिंह को कलेक्टरी दी गई है।

जिन अधिकारियों के जिलों में बदलाव किया गया है, उनमें भी सीधी भर्ती वाले ही अधिकारियों को ही आगे बढ़ाया है। भोपाल और इंदौर में मुख्यमंत्री ने अपनी पसंद के अफसर क्रमश: सुदाम खाडे और निशांत वरवड़े को बैठाया है तो मुरैना कलेक्टर विनोद कुमार शर्मा को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पसंद के कारण ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर बनाया है।

विवादों से किनारा

सरकार ने विवादों में घिरे हरदा कलेक्टर श्रीकांत बनोठ से आखिरकार किनारा कर ही लिया। नर्मदा नदी से रेत के अवैध खनन को लेकर मुद्दा उठाने, पूर्व मंत्री कमल पटेल के उसमें शामिल होने के बाद बनोठ को 24 मई को हटा दिया गया था, लेकिन संदेश ये गया कि पटेल के दवाब में कार्रवाई की गई। इसे देखते हुए अगले ही दिन बनोठ के तबादला आदेश रद्द कर दिया गया था। पूरे विवाद में सरकार की जो फजीहत हुई, उसके कारण उन्हें हटा दिया गया। हालांकि, जिस अधिकारी अनय द्विवेदी को वहां भेजा गया है, उनकी तेजतर्रार कार्यप्रणाली ग्वालियर में काफी चर्चित रही है।

आरोप के बाद बड़ा जिला

रीवा में भाजपा विधायक नीलम मिश्रा ने राहुल जैन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। बुधवार को ही जैन के खिलाफ एक पत्रकारवार्ता राजधानी में हुई और उन पर समदड़िया ग्रुप को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए गए। हालांकि, जैन को ग्वालियर जैसा बड़ा जिला देकर उन पर भरोसा जताया गया है।

पन्ना की कमान सौंपने के तत्काल बाद हटाए गए पन्नालाल सोलंकी के बारे में मुख्य सचिव को पूर्व पदस्थापना के बारे में बताया गया। सोलंकी को श्योपुर में रहने के दौरान कुपोषण में लापरवाही के लिए हटाया गया था। ये जानकारी आने के तत्काल बाद उनका आदेश रद्द कर दिया गया।

वरवड़े को बड़ी जिम्मेदारी

भोपाल में चार साल से ज्यादा समय तक कलेक्टर रहे निशांत वरवड़े को मुख्यमंत्री ने और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उनके खाते में भले ही कोई उल्लेखनीय उपलब्धि न रही हो पर नेताओं से सामंजस्य बनाने में माहिर समझा जाता है। इंदौर राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है।