अमरनाथ पर NGT का फैसला नहीं समझे उमर, कहा- जयकारों से पर्यावरण को कैसे होगा नुकसान

एनजीटी ने पवित्र अमरनाथ गुफा को शांत क्षेत्र घोषित करते हुए एक निश्चित सीमा से आगे जयकारे लगाने पर रोक लगा दी है।...

नई दिल्ली, ब्यूरो। पवित्र अमरनाथ गुफा को शांत क्षेत्र घोषित करते हुए जयकारों पर रोक लगाने का एनजीटी का फैसला जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को समझ नहीं आया है। अब्दुल्ला ने ट्वीट कर एनजीटी के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि पवित्र अमरनाथ गुफा के बाहर तीर्थयात्रियों के जप और जयकारे से पर्याकरण को कैसा नुकसान पहुंचेगा।' 

बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल [ एनजीटी ] ने पवित्र अमरनाथ गुफा को शांत क्षेत्र [ साइलेंस जोन ] घोषित करते हुए एक निश्चित सीमा से आगे जयकारे लगाने पर रोक लगा दी है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि बोर्ड गुफा के आसपास पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी दर्शनार्थी पवित्र हिमलिंग के दर्शन से वंचित न रहने पाए तथा भजन-कीर्तन और जयकारों के कारण गुफा की शांति तथा पारिस्थितिकी संतुलन न भंग होने पाए।

इससे पहले ट्रिब्यूनल ने कहा कि अमरनाथ गुफा के आसपास के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित करने से वहां हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को रोकने तथा गुफा की प्राचीन स्थिति को बरकरार रखने में मदद मिलेगी। पीठ ने कहा, 'किसी को भी पवित्र गुफा तक जाने वाली सीढिय़ों तक कोई सामान ले जाने की छूट नहीं दी जाएगी। प्रवेश द्वार पर सभी की तलाशी ली जाएगी। सीढिय़ों के अंतिम बिंदु से लेकर गुफा के भीतर तक के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित किया जाना चाहिए।'

इसी के साथ एनजीटी ने हिमलिंग के आगे लगी लोहे की ग्रिल को हटाने का आदेश भी दिया, ताकि भक्त हिमलिंग का बेहतर ढंग से दर्शन कर सकें। ट्रिब्यूनल ने अंतिम तलाशी बिंदु से आगे दर्शनार्थियों को कोई भी निजी सामान ले जाने से रोकने का आदेश भी दिया।

तुगलकी फतवा: विहिप
विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि एनजीटी ने अमरनाथ मंदिर में पूजा पद्धति पर रोक लगाकर एक तरह से तुगलकी फतवा जारी किया है। विहिप का कहना है कि धरती पर प्रकृति संबंधित हर संकट के लिए हिंदू जिम्मेदार नहीं हैं।