साफ्टवेयर होगा अपग्रेड, रजिस्ट्री के बाद ऑनलाइन ही हो जाएगा नामांतरण

Image result for साफ्टवेयर ki photoपूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ भोपाल -लंबे समय से लंबित पड़े ऑनलाइन नामांतरण के मामले में तकनीकी रूप से परिवर्तन किए जा रहे हैं। जमीन के नामांतरण की कठिन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए दो साफ्टवेयर ई-रजिस्ट्री और आरसीएमएस को मर्ज किया जाएगा। अब तक रजिस्ट्री और रेवेन्यु का रिकार्ड मैच न होने के कारण यह प्रक्रिया लंबित थी। इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद प्रदेश के दो लाख से अधिक लोगों को फायदा मिलेगा।
दरअसल, नामांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है। अब तक जमीन खरीदने, दान में मिलने या परिवार में बंटवारे के बाद सरकारी रिकॉर्ड में अपना नाम चढ़वाने के लिए आम व्यक्ति को पटवारी और तहसील कार्यालय के दर्जनों चक्कर लगाने पड़ते थे। इससे छुटकारा दिलाने के लिए रेवेन्यु केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) और ई-रजिस्ट्री साफ्टवेयर को लिंक करने की तैयारी की जा रही है। ई-रजिस्ट्री कराते ही कुछ दिनों के भीतर नामांतरण भी ऑनलाइन हो जाएगा। इसके लिए अलग से आवेदन की जरूरत नहीं होगी। जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा। पंजीयन और राजस्व विभाग तकनीकी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
- आरसीएमएस होगा अपग्रेड, आएगा 2.0 वर्जन
यह सब संभव होगा रेवेन्यु कैश मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) के नए वर्जन से। वर्तमान में रेवेन्यु मामलों के लिए आरसीएमएस का 1.0 वर्जन चलाया जा रहा है। अब राजस्व विभाग ने इसे अपग्रेड करने की तैयारी कर ली है। इसका नया वर्जन 2.0 तैयार किया जा रहा है। इसमें जमीन खरीदने से लेकर जमीन बेचने तक होने वाले विवाद और उनके निपटारे भी ऑनलाइन दर्ज होंगे। इतना ही नहीं नए वर्जन में आपकी जमीन की लोकेशन और उसमें चल रहे विवाद की जानकारी भी दर्ज होगी। ताकि कोई भी जमीन खरीदने से पहले आप इसका रिकार्ड ऑनलाइन देख सकें। इसी के साथ इसे ई-रजिस्ट्री से मर्ज किया जाएगा।
- 20 से ज्यादा हर रोज नामांतरण के आवेदन
शहर के 6 एसडीएम दफ्तर में हर दिन 20 से ज्यादा नामांतरण के आवेदन प्रॉपर्टी के खरीदार जमा कराते हैं। कई मामलों में आपत्ति आने पर इनके केस एसडीएम सुनते हैं। सुनवाई की प्रक्रिया लंबी होने के चलते 3 से चार महीने में केस समाप्त हो पाता है। कई बार तो नामांतरण की फाइल गुमने की शिकायत भी तहसीलदारों के पास पहुंचती है।
- आगे यह व्यवस्था
सभी तहसील न्यायालय ऑनलाइन होंगे। रजिस्ट्री होते ही केस सीधे तहसीलदार को ऑनलाइन ट्रांसफर होगा। चूंकि खरीदार और विक्रेता का वेरिफिकेशन रजिस्ट्री में ही पुख्ता हो जाएगा। इसके बाद वेरिफिकेशन सिर्फ लैंड रिकॉर्ड का होगा। आवेदक को तहसील दफ्तर नहीं जाना होगा।
- अभी यह होता है
रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के लिए आवेदन करना होता है। तहसीलदार इसके विज्ञापन जारी करते हैं। कई बार लोग आपत्ति कर अड़चन पैदा करते हैं। इस प्रक्रिया में पटवारी से लेकर तहसीलदार स्तर तक कई जगह चक्कर काटने होते हैं। बड़े पैमाने में रिश्वत भी देनी पड़ती है।