
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में बताया कि आजादी से पहले के कानूनों को खत्म करके सरकार ने प्रगतिवादी सोच की तरफ कदम बढ़ाया है। वह लोकसभा में बिल को लेकर किए गए सवालों के जवाब दे रहे थे। जो कानून खत्म किए गए उनमें हेकने कैरिएज एक्ट 1879 व ड्रामेटिक परफार्मेस एक्ट 1876 भी शामिल हैं। दूसरे एक्ट का इस्तेमाल ब्रिटिश राज में उन नाटकों का मंचन रोकने के लिए किया जाता था, जो अंग्रेजी साम्राज्य के विरोध में अलख जगाते थे।
द गंगेश टोल एक्ट 1867 को भी तब्दील कर दिया गया है। इसके जरिये नावों व स्टीमरों से टोल टैक्स (12 आना से ज्यादा नहीं) वसूला जाता था। इलाहाबाद (उप्र) से दीनापुर (बिहार) के बीच गंगा में चलने वाले नौकाओं से यह टैक्स वसूल किया जाता था।
प्रसाद ने कहा कि 1029 पुराने कानून 1950 में ही तब्दील कर दिए गए थे। आखिरी बार इन्हें बाजपेयी सरकार के दौरान 2004 में बदला गया था। मोदी सरकार बनने के बाद दो सदस्यीय समिति पुराने कानूनों पर विचार के लिए बनाई गई थी। मोदी के कार्यकाल में ऐसे 1824 एक्ट खत्म किए जा चुके हैं।
प्रिवेंशन ऑफ सेडिटियश मीटिंग पर बीजद के सांसद तथागत सत्पथी ने कहा कि भाजपा सरकार इसका इस्तेमाल विपक्ष को दबाने के लिए कर रही थी। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल व जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया पर इसी कानून के तहत सरकार ने शिकंजा कसा था। शिवसेना सांसद विनायक राउत ने आर्टिकल 370 को खत्म करने को सरकार से कदम उठाने को कहा।
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