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दतिया ब्रेकिंग।
जनसम्पर्क, जल संसाधन और संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में दतिया जिले के देश में प्रथम स्थान अर्जित करने पर कलेक्टर दतिया श्री मदन कुमार और समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों को बधाई दी। मंत्री डॉ. मिश्र ने आज दतिया जिला मुख्यालय में आयोजित एक बैठक में कहा कि दतिया अनेक योजनाओं के अमल में अव्वल है। इसका श्रेय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में प्रशासनिक अमले द्वारा परिश्रम भावना से किए जा रहे कार्य को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले भी दतिया फसल बीमा योजना, कृषि उत्पादन, ग्रामीण विकास, खेल गतिविधियों, सांस्कृतिक आयोजन और नव गठित आनंद विभाग की गतिविधियों के संचालन में अग्रणी रहा है।
व्ही.एस.भुल्ले
31 मार्च 2018
इतिहास गवाह है कि उन्मादी सत्ताओं ने अनादिकाल से ही ऐश्वर्य तो खूब भोगा, मगर वह कभी भी अपने अस्तित्व को संरक्षित और सुरक्षित नहीं रख पायीं। कई दौर, काल, खंण्ड ऐसे दिव्य, भव्य और गौरवशाली रहे। मगर उन्मादी सत्ताओं का कोई भी काल, खंण्ड, दौर ऐसा नहीं रहा, जिस पर कि गर्व किया जा सके।
सिवाये एक ही संदेश के और वह सत्य का संदेश जिस पर हम गर्व भी कर सकते है और स्वयं को गौरांवित भी मेहसूस कर सकते है। अब जबकि नियति कलयुग के हाथ है और सत्य भी अपने विराट अस्तित्व में सामने। ऐसे में उन्मादी, अहम, अहंकारी सत्ताओं का जनसेवाओं के नाम उन्माद भी स्वयं को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों के रुप में अंकित करने जैसा है।
देखा जाये तो पूर्व और वर्तमान व्यवस्थाओं में प्रकृति, जन, जीव, कल्याण के लिये स्वयं-भू सत्ताओं की अपनी-अपनी सोच, विचार और व्यवस्थायें रही है। जो प्रकृति जन्य, जीवन मूल्य, सिद्धान्तों के संरक्षण, सम्बर्धन के लिये संकल्पित, संघर्षरत रही और आज भी है। मगर जो भाव व्यवस्थागत आम जन, जीव के बीच अनुभूति के रुप में होना चाहिए। अगर हम कुछ समय, काल, खंण्ड को छोड़ दें, तो वह व्यवस्थागत रुप से अपर्याप्त ही रही।
आज जब हम कबीले, राजे-रजबाड़े आक्रान्ताओं से आगे निकल स्वयं के द्वारा स्वयं के लिये स्थापित व्यवस्था के बीच है। तब भी न तो हम उन्मादी, अहम, अहंकारी सत्ताओं से निजात पा सके, न ही ऐसी सर्वकल्याणकारी व्यवस्था ही स्थापित कर, उसे मूर्तरुप दे सके। जिसमें समस्तजन, जीव कल्याण सरंक्षित, सम्र्बधित हो सके।
ऐसा नहीं कि प्रकृति जन्य, जीवन मूल्य, सिद्धान्तों के संरक्षण, सम्बर्धन के लिये प्रयास न हुये हो, या आज भी न हो रहे हो। बल्कि प्रचलित प्रयासों में कहीं न कहीं इच्छा-शक्ति, न्याय के सिद्धान्त के भाव का कहीं न कहीं आभाव ही रहा है। जो स्वच्छन्द जीवन निर्वहन में सबसे बड़ी बाधा है। अगर प्रकृति जन्य, जीवन मूल्य, सिद्धान्त एवं न्याय के आधार पर प्रयास किये जाते या किये जाये तो कोई कारण नहीं जो प्रकृति की इतनी सुन्दर कायानात और जीवन के रुप में मौजूद अमूल्य धरोहर को सजाया, सवारा न जा सके। मगर निहित स्वार्थ और स्वयं-भू की उन्मादी धारणा, आचार, विचार, व्यवहार के आगे वह जीवन अब स्वच्छंद जीवन न होकर संघर्ष पूर्ण समस्या ग्रस्त जीवन में तब्दील होता जा रहा है।
जिस तरह से प्रकृति में विभिन्न विधा, विद्ववान, प्रतिभाओं का प्रकृति जन-जीव, कल्याण में अपने-अपने सामर्थ अनुसार सम्बर्धन, सरंक्षण में योगदान होता है। ठीक उसी प्रकार किसी भी स्थापित व्यवस्था में इनका योगदान उनकी योग्यता अनुसार होना चाहिए जो सन्तुलन के सिद्धान्त का पालन करते हुये अपनी-अपनी क्षमताओं अनुसार अपना योगदान कर सके। फिर व्यवस्था राजतंत्र की हो, या लोकतंत्र की। सभी में यह भाव समाहित होना चाहिए और राजन या सत्ता प्रमुख को इतना योग्य होना चाहिए कि वह स्थापित मूल्य सिद्धान्तों के अनुरुप व्यवस्था संचालन में समन्वय सामजस्य स्थापित कर हर क्षेत्र में सन्तुलन और न्याय के सिद्धान्त का पूरी निष्ठा ईमानदारी से पालन कर सके, तभी सर्वकल्याण संभव है।
जय स्वराज
मंथन न्यूज शिवपुरी
हनुमान जयंती 31 मार्च को पूरे देश में मनाई जाएगी। चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है भगवान बजरंग बली की पूजा में कई नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की पूर्णिमा को ही हनुमान जी का जन्म हुआ था।
आज हनुमान जयंती के अवसर पर दो बत्ती चौराहा समीप मंदिर चिंता हरण पर भारी मात्रा में श्रद्धालु की भीड़ उमड़ी साथ ही मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया एवं छप्पन भोग का प्रसाद बाबा चिंता हरण भगवान को चढ़ाया गया!
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के समर्थन को लेकर बड़ा बयान दिया है. अखिलेश ने कहा है कि लगता नहीं कि वे हमारे साथ हैं. दरअसल, यूपी में हाल ही में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव हुए हैं. जिसमें एक सीट पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर भीमराव अंबेडकर ने चुनाव लड़ा और वो हार गए. इस चुनाव में राजा भैया की भूमिका को लेकर बड़े सवाल उठे.
अखिलेश यादव ने शनिवार को लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए उनके बारे में कहा, 'हमें राजा भैया के बारे में कुछ नहीं कहना है, उन्हें खुद सोचना चाहिए कि उन्होंने क्या किया. लगता नहीं है कि वे हमारे साथ हैं.'
योगी से मिले थे राजा भैया
राज्यसभा चुनावों में सपा और बीएसपी के बीच एकदूसरे को समर्थन देने का करार हुआ था. मायावती ने अखिलेश यादव के वादे पर अपना उम्मीदवार उतारा था. लेकिन कई विधायकों के खुलकर क्रॉस वोटिंग होने से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राजा भैया भी राज्यसभा में वोट डालने के बाद सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने के लिए चले गए थे.
सपा-बसपा का साथ नहीं था पसंद
हालांकि राजा भैया ने सपा-बसपा गठबंधन पर पहले ही नाराजगी जता दी थी. उन्होंने कहा कि वह सपा के साथ हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे बीएसपी उम्मीदवार को वोट देंगे. उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा था, 'न मैं बदला हूं, न मेरी राजनैतिक विचारधारा बदली है, ‘मैं अखिलेश जी के साथ हूं,’ का ये अर्थ बिल्कुल नहीं कि मैं बसपा के साथ हूं.' अखिलेश यादव ने भी सपा को वोट करने के लिए राजा भैया का शुक्रिया अदा किया था. लेकिन बाद में संदेह होने पर उन्होंने अपने ट्वीट को हटा दिया था.
BJP ने राजा भैया को बताया राम अवतार
इन चुनावों में बीएसपी को मात देकर विजयी हुई बीजेपी के अनिल अग्रवाल ने दो दिन पहले ही राजा भैया का शुक्रिया अदा करते हुए कहा था कि निर्दलीय विधायक राजा भैया ने उनकी नैया को बिल्कुल राम अवतार में पार कराई है. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से बात करते हुए कहा कि दो प्रमुख खिलाड़ियों ने बीजेपी की किस्मत ही बदल कर रख दी. उन्होंने कहा, राजा भैया एक पवित्र हिंदू हैं, जिनके घर का नाम भी रामायण है. उन्होंने राम अवतार में आकर मेरी जीत सुनिश्चित की.'
कुंडा के गुंडा
राज्यसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने अखिलेश यादव को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया साथ ही अखिलेश को सलाह दी कि यदि अखिलेश कुंडा के गुंडा के जाल में न फंसते तो बीएसपी प्रत्याशी जीत जाता. उन्होंने कहा कि अखिलेश अभी राजनीति में नए हैं. इसलिए उनसे यह गलती हुई है.
चीनियों से मिलते चेहरे वाले ये लोग खास हैं क्योंकि जहां ये रहते हैं वो दुर्गम स्थान है। चीन भारत के जिस हिस्से पर अपना दावा करता है। उसके सबसे नजदीक बसा एक गांव है काहू। अरुणाचल प्रदेश में स्थित ये गांव मेयर जनजाति के लोगों का घर है। चीन और भारत के लाइन ऑफ एक्चुअल सीमा के करीब रहने वाले ये 12 परिवारों का गांव है, जहां कुल 76 से 80 लोग रहते हैं।
गांव की खराब हालत के पीछे चीन का दबाव है। ऐसे में जिस हिस्से पर चीन अपना हक जताता है, वहां खुद लोग उसके खिलाफ बोलते हैं। वैसे तो ये गांव भारत की सीमा में आता है लेकिन चीन की दादागिरी कोई इनसे पूछे। भारत सरकार की तरफ से इन 12 असाधारण परिवारों के लिए कुछ मदद जरूर होती है लेकिन अपना हक जताने वाला चीन यहां अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझता बल्कि सीमा पर उत्पात मचा कर इन लोगों में डर पैदा करता रहता है।
भारत द्वारा विकास के प्रयासों को यहां चीन दबाता है। वहीं इंसानियत की तो कोई परवाह ही नहीं दिखती। अगर ऐसा होता तो लोगों की खुशहाली पर दोनों देश विचार करते, और चीन भारतीय प्रयासों में उसका साथ देता ना कि अपने दबाव के चलते लोगों का जीना मुश्किल करता।
इन लोगों ने बताया है कि- हम सात पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। यहां कुल 12 परिवार हैं और 76 से 80 लोग यहां रहते हैं। इस गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, विशेषकर सड़कों की स्थिति खराब है, यहां तक कि मोबाइल नेटवर्क भी बहुत बुरा है। ना केवल बुनियादी ढांचा, गांव में शिक्षा की मूल सुविधा का भी अभाव है, क्योंकि केवल एक प्राथमिक विद्यालय है जिसके लिए उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।
सबसे नजदीक मोबाइल नेटवर्क हवाई में है जिसकी दूरी इस गांव से 65 कि.मी. है। लोगों ने बताया कि हमें भारतीय सेना से बहुत मदद मिलती है क्योंकि ये हमें कॉल और अन्य सेवाएं देने में मदद करते हैं। गांव के मेयर ने कहा कि हम अनुरोध करते हैं कि बेहतर पलायन और यात्रा के लिए पुल होना चाहिए।