चीनियों से मिलते चेहरे वाले ये लोग खास हैं क्योंकि जहां ये रहते हैं वो दुर्गम स्थान है। चीन भारत के जिस हिस्से पर अपना दावा करता है। उसके सबसे नजदीक बसा एक गांव है काहू। अरुणाचल प्रदेश में स्थित ये गांव मेयर जनजाति के लोगों का घर है। चीन और भारत के लाइन ऑफ एक्चुअल सीमा के करीब रहने वाले ये 12 परिवारों का गांव है, जहां कुल 76 से 80 लोग रहते हैं।
गांव की खराब हालत के पीछे चीन का दबाव है। ऐसे में जिस हिस्से पर चीन अपना हक जताता है, वहां खुद लोग उसके खिलाफ बोलते हैं। वैसे तो ये गांव भारत की सीमा में आता है लेकिन चीन की दादागिरी कोई इनसे पूछे। भारत सरकार की तरफ से इन 12 असाधारण परिवारों के लिए कुछ मदद जरूर होती है लेकिन अपना हक जताने वाला चीन यहां अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझता बल्कि सीमा पर उत्पात मचा कर इन लोगों में डर पैदा करता रहता है।
भारत द्वारा विकास के प्रयासों को यहां चीन दबाता है। वहीं इंसानियत की तो कोई परवाह ही नहीं दिखती। अगर ऐसा होता तो लोगों की खुशहाली पर दोनों देश विचार करते, और चीन भारतीय प्रयासों में उसका साथ देता ना कि अपने दबाव के चलते लोगों का जीना मुश्किल करता।
इन लोगों ने बताया है कि- हम सात पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। यहां कुल 12 परिवार हैं और 76 से 80 लोग यहां रहते हैं। इस गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, विशेषकर सड़कों की स्थिति खराब है, यहां तक कि मोबाइल नेटवर्क भी बहुत बुरा है। ना केवल बुनियादी ढांचा, गांव में शिक्षा की मूल सुविधा का भी अभाव है, क्योंकि केवल एक प्राथमिक विद्यालय है जिसके लिए उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।
सबसे नजदीक मोबाइल नेटवर्क हवाई में है जिसकी दूरी इस गांव से 65 कि.मी. है। लोगों ने बताया कि हमें भारतीय सेना से बहुत मदद मिलती है क्योंकि ये हमें कॉल और अन्य सेवाएं देने में मदद करते हैं। गांव के मेयर ने कहा कि हम अनुरोध करते हैं कि बेहतर पलायन और यात्रा के लिए पुल होना चाहिए।
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