भोपाल: छात्रों की मांग, फिर से हो MPPSC-2018 की परीक्षा

भोपाल: छात्रों की मांग, फिर से हो MPPSC-2018 की परीक्षामंथन न्यूज़ भोपाल - मध्य प्रदेश लोक सेवा  परीक्षा 2018 (MPPSC -2018 ) को दोबारा कराने की मांग को लेकर छात्रों ने भोपाल में विरोध प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या में छात्र बोर्ड ऑफिस चौराहे पर एकजुट हुए और दोबारा परीक्षा कराने की मांग की. प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि इस साल कई गलत सवाल पूछे गए थे, इसलिए दोबारा परीक्षा कराई जाए. MPPSC-2018 में लगातार पूछे जा रहे गलत सवालों और अनियमितताओं को लेकर ये छात्र लंबे समय से प्रदर्शन करते आ रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिलने की कोशिश की लेकिन, शिवराज सिंह चौहान ने छात्रों को मिलने का समय नहीं दिया. छात्रों ने सरकार के खिलाफ कोर्ट में जाने की चेतावनी भी दी है.

असिस्टेंट प्रोफेसर्स भर्ती परीक्षा को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
पिछले दिनों MPPSC की तरफ से आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर्स भर्ती परीक्षा को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका देते हुए वह आदेश रद्द कर दिया, जिसके तहत परीक्षा में मध्यप्रदेश के मूल निवासी उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में 12 साल की छूट दी गई थी. बता दें कि MPPSC ने प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती के लिए 12 दिसम्बर 2017  को एक विज्ञापन जारी किया था. उस विज्ञापन के तहत देश भर के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 28 साल जबकि, प्रदेश के मूल निवासियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 साल रखी गई थी. राज्य सरकार के इस प्रावधान को उत्तर प्रदेश निवासी मुकेश उमर और रीता सिंह ने जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार का आदेश संविधान से मिले समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

मूल निवासियों को अधिकतम उम्र सीमा में छूट नहीं
याचिका में कहा गया कि परीक्षा में सभी उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा का प्रावधान एक जैसा होना चाहिए. हाईकोर्ट में मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में 1993 से असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्तियां नहीं हुई है. प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए मूल निवासी उम्मीदवारों को अधिकतम आयुसीमा में 12 साल की छूट दी गई है. सरकार और याचिकाकर्ता की लंबी जिरह को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. हाईकोर्ट ने साफ किया कि किसी उम्मीदवार के निवास स्थान के आधार पर उसकी आयुसीमा में भेदभाव करना असंवैधानिक होगा. लिहाजा, हाईकोर्ट ने परीक्षा में देश भर के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 28 साल रखने के आदेश जारी कर दिए हैं.