पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ -इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 की 34,716 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती पर लगी रोक हटा ली है। कोर्ट ने कहा कि लिखित परीक्षा कराए बगैर मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने में कोई अवैधानिकता नहीं है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने रणविजय सिंह व अन्य की कई याचिकाओं पर दिया है। याचिकाओं में कहा गया था कि सूबे में 2008 से पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर की जा रही है। 2008 का नियम था कि पहले प्रारंभिक फिर मुख्य लिखित परीक्षा कराई जाएगी। 2015 में 2008 के रूल को बदलकर लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त कर दिया गया और मेरिट के आधार पर चयन करने का निर्णय लिया गया। तय हुआ कि दसवीं व 12वीं के अंकों के गुणांक के मेरिट के आधार पर चयन और फिर शारीरिक दक्षता परीक्षा कराई जाएगी।

साथ ही 28 हजार 916 पुरुष व 5800 महिला कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। याचियों का कहना था कि मेरिट के आधार पर चयन अवैधानिक व गैरकानूनी है। याचिकाओं पर जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सूबे में पुलिस कांस्टेबलों की काफी कमी है। इस समय लगभग डेढ़ लाख पुलिस कांस्टेबलों की जरूरत है। लिखित परीक्षा की प्रक्रिया लंबी होती है। इसके माध्यम से चयन में काफी समय लग जाता है। पूर्व में हुई भर्तियों में पहले मेडिकल फिर लिखित व उसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा के माध्यम से चयन होता था। इसमें कई वर्ष लग जाते थे।
कांस्टेबल के चयन के लिए जितनी अहर्ता होनी चाहिए, उतनी 2015 की इस व्यवस्था से पूरी होती है। इस चयन प्रक्रिया के बाद 2017 की भर्ती में फिर लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया है लेकिन यह परीक्षा साधारण प्रकार की है। शारीरिक दक्षता परीक्षा में किसी प्रकार समझौता नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि पुलिस भर्ती में मेरिट के आधार पर चयन में कोई त्रुटि नहीं है।
2013 की 41 हजार सिपाहियों की भर्ती पर फैसला है सुरक्षित
2013 में 41,610 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर रखा है। इसमें क्षैतिज आरक्षण के बचे 2312 पदों को कैरी फारवर्ड करने को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में 1993 एक्ट के नियम 3(5) को चुनौती दी गई है, जिसमें यह व्यवस्था है कि क्षैतिज आरक्षण के तहत उपयुक्त अभ्यर्थी न होने पर उन पदों को दो वर्षों तक कैरी फारवर्ड किया जाएगा। याचिकाएं दाखिल होने के बाद शासन ने यह रूल संशोधित करते हुए नियम 3(5) को समाप्त कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद 27 मई 2016 को 2015 की इस भर्ती पर स्थगनादेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकार चाहे तो भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है लेकिन अंतिम परिणाम नहीं जारी किया जाएगा।
-सीमांत सिंह, अधिवक्ता
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