
केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी विभागों के गठन की प्रक्रिया लंबित है। नीति आयोग के निर्देश पर 87 विभागों को समेटकर 37 विभाग किये जाने की योजना है। योगी सरकार के एक वर्ष पूरे हो गए हैं। बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच कुछ नए चेहरों के शामिल किये जाने के संकेत मिलने लगे हैं। देर-सवेर जब भी बदलाव होगा तो उसका पूरा स्वरूप 2019 के लोकसभा चुनाव पर केंद्रित रहेगा।
करीब तीन माह पहले जब नीति आयोग के निर्देशों के मुताबिक विभागों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई तभी कयास लगने लगे कि मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा, क्योंकि कई मंत्रियों का विभाग एक-दूसरे में मर्ज होना है। पर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए सिरे से खारिज किया।
उनका दो टूक कहना था कि अभी तक सरकार के एक वर्ष भी पूरे नहीं हुए, ऐसे में मंत्रिमंडल में फेरबदल की कोई गुंजायश नहीं। अब जबकि योगी सरकार के एक वर्ष पूरे हो गये और कार्य संस्कृति में बदलाव पर जोर है तो कुछ लोगों को महत्व मिलने की उम्मीद जगी है।
सुधांशु, नरेश और आशीष की चर्चा-
सपा सांसद नरेश अग्रवाल का कार्यकाल दो अप्रैल को पूरा हो रहा है। वह इस समय भाजपा में हैं और उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल के भाजपा खेमे में आने से विपक्षी गठजोड़ को झटका लगा। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा नरेश को इसका रिटर्न गिफ्ट देगी। संभव है कि नरेश अग्रवाल को एमएलसी बनाकर सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाई जाए।
इसके अलावा सुधांशु त्रिवेदी का नाम भी मंत्री पद की दौड़ में तेजी से उभरा है। केंद्र की कार्यसंस्कृति को विकसित करने की गरज से भी सुधांशु को विधान परिषद में भेजकर मंत्री बनाये जाने की चर्चा चल पड़ी है। उधर, अपना दल (एस) ने भी पूरी ईमानदारी से अपना गठबंधन धर्म निभाया।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है जिस तरह अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने विधायकों को नियंत्रित करने में सक्रियता दिखाई उसका इनाम उन्हें एमएलसी बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया जा सकता है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के दो विधायकों की भूमिका पर भले सवाल उठे हों, लेकिन पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण ओहदा मिल सकता है।
पांच मई को विधान परिषद की 13 सीटें होंगी रिक्त-
विधान परिषद में पांच मई को अखिलेश यादव, उमर अली खान, नरेश चंद्र उत्तम, मधु गुप्ता, महेंद्र सिंह, चौधरी मुश्ताक, राजेंद्र चौधरी, राम सकल गुर्जर, विजय यादव, विजय प्रताप, सुनील कुमार चित्तौड़ और मोहसिन रजा और अंबिका चौधरी (चौधरी बसपा में जाने के बाद इस्तीफा दे चुके), का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
इन 13 सीटों पर इस अवधि से पहले यानि निकट भविष्य में ही चुनाव होने हैं। छह वर्ष पूर्व इनमें आठ सीटें सपा, तीन बसपा और एक भाजपा तथा एक रालोद ने जीती थी। अब इन सीटों पर सर्वाधिक दबदबा भाजपा का होना है। विधानसभा में भाजपा के पास विधायकों की संख्या अधिक है इसलिए अब उसका दबदबा रहेगा।
भाजपा में दावेदारों की बड़ी कतार-
विधान परिषद की 13 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में संख्या बल की वजह से भाजपा और सहयोगी दलों को 11 सीटें मिलेंगी। इन सीटों के लिए सर्वाधिक बड़ी दावेदारी एमएलसी पद से इस्तीफा देने वाले यशवंत सिंह, सरोजिनी अग्रवाल, भुक्कल नवाब और जयवीर सिंह की है।
इनके अलावा भाजपा संगठन से अशोक कटारिया, विजय बहादुर पाठक, जेपीएस राठौर, सलिल विश्नोई, विद्यासागर सोनकर, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव समेत कई नाम प्रमुख हैं। उधर, योगी सरकार में शामिल मंत्री महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है। कई और भी प्रमुख दावेदार विधान परिषद में जाने के लिए हैं।
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