बुन्देलखण्ड अंचल में होगी नौ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई

भोपाल :

प्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल में आगामी सात वर्ष में वर्तमान सिंचाई क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य है। बुन्देलखण्ड में सिंचाई क्षेत्र में 34 हजार 670 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव है। राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि की रणनीति को अमली जामा पहनाया है।

वर्तमान में प्रदेश का सिंचाई रकबा लगभग 40 लाख हेक्टेयर है। आने वाले तीन साल में जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं से 54 लाख, नर्मदा घाटी विकास विभाग की परियोजनाओं से 20 लाख और कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग की परियोजनाओं से 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाएगी। इस प्रकार करीब 84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी।

उपलब्ध क्षमता के पूर्ण उपयोग के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन की गति बढ़ाई गई है। प्रदेश में वर्ष 2025 तक एक लाख 10 हजार 500 करोड़ रुपए की राशि का निवेश प्रस्तावित है। जल संसाधन विभाग के बजट में 7030 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। बुन्देलखण्ड अंचल में सिर्फ केन-बेतवा परियोजना से 4 लाख 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का लाभ मिलेगा। इसके अलावा कोठा परियोजना से 60 हजार, मिढवासा से 10 हजार और कोपरा परियोजना से 8 हजार क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। बुन्देलखण्ड अंचल में वर्तमान में जो सिंचाई परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं, उनमें साजली, पंचमनगर, बानसुजारा, बीना, सूरजपुरा, सोनपुर, परकुल, पवई, मझगाय, बरियापुर और तरपेड़ प्रमुख हैं। स्वीकृत परियोजनाओं में जुड़ी, रूंज, कडान और सतधारू परियोजनाएँ शामिल हैं।

मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'पर ड्राप-मोर क्राप' के आव्हान के अनुरूप पानी की एक-एक बूँद सहेजने और सिंचाई परियोजनाओं से किसानों के खेतों तक पर्याप्त पानी पहुँचाने के लिये तेजी से कार्य किया जा रहा है। नहरों की मरम्मत के कार्य भी अभियान के स्तर पर किए जा रहे हैं। सीपेज क्षति को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर करवाए गए नहरों के लाइनिंग कार्य के फलस्वरूप करीब 21 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता पुन: हासिल करने में सफलता मिली है।