
पहले 1 फरवरी से ई-वे बिल लागू होना था। इसे लागू किया भी गया लेकिन पहले दिन पोर्टल ठप होने से सरकार को कदम पीछे खींचना पड़े। इसे लागू करने से पहले नियमों में तमाम संशोधन किए गए हैं। फिलहाल सबसे बड़ी राहत देते हुए राज्य के भीतर (इंट्रास्टेट) ई-वे बिल लागू नहीं किया गया है। इसकी अवधि से लेकर अन्य कई बातों में संशोधन कर राहत दी गई है। कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष केदार हेड़ा के अनुसार ई-वे बिल की व्यवस्था पोर्टल पर ही निर्भर करेगी। सरकार पोर्टल में परिवर्तन और सर्वर की क्षमता बढ़ाने का भरोसा जता रही है। दावा है कि किसी भी समय एक साथ 50 हजार लोग लॉग इन करें यानी दिनभर में करीब 40 से 50 लाख लोग ई-वे बिल जनरेट करें तो भी पोर्टल में परेशानी नहीं आएगी।
ऐसे करें जनरेट
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सीए जेपी सर्राफ के मुताबिक ई-वे बिल www.ewaybillgst.gov.in से जारी हो सकेगा। पहले कारोबारी को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। जीएसटीएन डालते ही पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी दिखेगी। सही होने पर ओटीपी भेजने का विकल्प चुनना होगा। मोबाइल पर ओटीपी आएगा। इसके बाद यूजरनेम व पासवर्ड बना सकेंगे। इस यूजरनेम पासवर्ड से हर बार माल भेजने के लिए ई-वे बिल जनरेट होगा।
सिस्टम धीमा तो परेशानी
कर सलाहकार आरएस गोयल के मुताबिक ई-वे बिल न केवल शासन के पोर्टल बल्कि कारोबारी के निजी कम्प्यूटर सिस्टम पर भी निर्भर करेगा। ई-वे बिल के लिए जरूरी होगा कि अपने सिस्टम की फाइलों को ठीक से अरेंज करें और फालतू फाइलें हटा लें। ई-वे बिल की फाइलों के ठीक संचालन के लिए कम्प्यूटर से कैशे, कुकीज, टेम्प और बग्स भी हटाना जरूरी हैं।
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