
मुख्यमंत्री की इस बात को पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर आईएएस और आईपीएस संवर्ग के बीच चले शीतयुद्ध से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने अफसरों को हिदायत दी कि अहंकार नहीं आना चाहिए और एकला चलो रे की नीति भी ठीक नहीं है। टीम भावना होनी चाहिए।
प्रशासन अकादमी में शुक्रवार को सिविल सर्विस डे पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों पर गर्व है। ये नौकरी सुबह 10 से शाम पांच बजे वाली नहीं है। प्रतिभा है तभी आए हैं। निजी क्षेत्र में बड़े पैकेज वाली नौकरी आसानी से मिल सकती थी पर ये रास्ता चुना है तो सीधी बात है कि देश के विकास और लोगों की भलाई के लिए चुना है। लक्ष्य तय करके उसे हासिल करने की तड़प होनी चाहिए। कई ऐसे जुनूनी अफसर हैं, जिन्हें जब भी जो टास्क दिया, उन्होंने उसे पूरा किया। एक कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और विभाग का प्रमुख अच्छा हो तो पूरी तस्वीर बदल सकता है। बदलाव महसूस भी होता है। कुछ अधिकारी होते हैं, जिनकी शुरुआत ही नकारात्मकता से होती है। नियम जनता के लिए होते हैं। यदि कोई कठिनाई आ रही है तो उन्हें बदला या सुारा भी जा सकता है पर कोई-कोई लकीर के फकीर भी होते हैं।
योजना बनाएं और लाभ भी न मिले तो क्या मतलब
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम योजना बना लें और उसमें नियमों का ऐसा पेंच फंसा दें कि लोगों को फायदा ही नहीं मिले तो क्या मतलब। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी की मृत्यु हो गई और अंत्येष्टि के लिए हम राशि देते हैं पर यह शर्त लगा दें कि आत्महत्या के प्रकरण में नहीं देंगे। हमारा माइंड सेट ऐसा होना चाहिए कि लोगों को फायदा मिले। चना खरीदी चल रही है। शिकायत आई कि इतना बड़ा छन्ना लगा दिया कि पूरा चना ही नीचे गिर गया। हालांकि इसमें हमने सुधार किया है। हमारी कई योजनाएं सुपरहिट हैं।
असफलता अफसर की नहीं सरकार की होती है
मुख्यमंत्री ने अफसरों को सकारात्मक सोच के साथ काम करने की हिदायत देते हुए कहा कि सरकार की सफलता परिणामों पर निर्भर करती है। असफलता अफसर की नहीं, बल्कि सरकार की होती है। सफलता के लिए समन्वय बहुत जरूरी है। चुने हुए जनप्रतिनिधियों का सम्मान होता है। उनका हक है कि वे लोगों की बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाएं। उनके पास अच्छा फीडबैक होता है। दोनों में तालमेल होना चाहिए।
जांचों से प्रभावित होती है कार्यक्षमता
अच्छा काम करने वाले अफसर तेजी से फैसले लेते हैं। फैसलों को लेकर शिकवा-शिकायतें भी होती हैें। जांच करने वाली कई एजेंसियां बन गई हैं। मीडिया भी पीछे लगा रहता है। खबर छप गई या दिखा दी और बाद में कुछ नहीं निकला पर अधिकारी की इज्जत का पंचनामा तो बन ही जाता है। लोकायुक्त में पांच साल जांच चली और कुछ नहीं निकला। इन पर विचार करना चाहिए। इससे कार्यक्षमता प्रभावित होती है। वहीं, सूचना का अधिकारी कार्यकर्ताओं को लेकर भी उन्होंने कहा कि सूचनाएं बाहर आनी चाहिए पर ये सिर्फ तंग करने के लिए नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियोंं से कहा कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री नीतियां बनाते हैं। लोकतंत्र में सरकार कोई भी हो, जनभावना के अनुरूप शासन चलना चाहिए। मप्र में तीनों सर्विस बेहतर काम कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने सामान्य बात कही थी, राई का पहाड़ न बनाएं : मुख्य सचिव
इधर, मुख्य सचिव बीपी सिंह ने सीएम के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने सर्विसेज के बारे में एक सामान्य बात बोली थी। उनके बयान को आईएएस और आईपीएस के संदर्भ में नहीं लेना चाहिए। दोनों सर्विसेज के बीच भारत-पाकिस्तान जैसी स्थिति नहीं है। राई का पहाड़ नहीं बनाना चाहिए। हम अभी आईपीएस अफसरों के साथ बैठकर गाड़ी में आए तो भारत-पाकिस्तान जैसी स्थिति कैसे हो सकती है।
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