विधानसभा चुनाव 2018 पर हावी होगी चेहरों की राजनीति, दिग्गजों को घर में घेरेगी भाजपा
मंथन न्युज भोपाल. कमलनाथ और उनकी टीम एक मई को मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान संभालेगी। उधर, चार मई को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनावी बिगुल बजाने भोपाल आ रहे हैं। अब दोनों दल एक-दूसरे की सियासी चाल देखकर अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
भाजपा ने कमलनाथ को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस भी आने वाले दिनों में सरकार से ज्यादा शिवराज सिंह चौहान पर हमले करने की तैयारी में है। इस तरह चुनाव व्यक्तियों पर केंद्रित हो सकते हैं।
दिग्गजों को घर में घेरेगी भाजपा
कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं की मध्यप्रदेश में अहम भूमिका ने भाजपा को एक्शन प्लान बदलने पर मजबूर कर दिया है। भाजपा कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही इलाके में घेरने की रणनीति के साथ सामने आएगी। भाजपा ने 90 एंसी लोकसभा सीटें चिह्नित की हैं, जहां पार्टी हारी है, लेकिन दूसरे नंबर पर रही है।
इसमें कमलनाथ और सिंधिया की सीट भी शामिल है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे भोपाल और कर्नाटक चुनाव के बाद पार्टी इन दो सीटों पर दूसरे राज्यों के तीन केंद्रीय मंत्रियों की ड्यूटी लगाएगी। ये धर्मेंद्र प्रधान, प्रकाश जावड़ेकर और एमजे अकबर हो सकते हैं।
शाह के दौरे में कमलनाथ-सिंधिया को घेरने की रणनीति पर भी चर्चा होगी। पार्टी ‘चलो पंचायत’ और ‘विकास यात्रा अभियान’ में भी नेताओं से इस पर फोकस करने के लिए कहेगी।
पान की दुकान से कैसी इकोनॉमिक एक्टिविटी
भाजपा ने कमलनाथ के पान की दुकान को इकोनॉमिक एक्टिविटी बताने वाले बयान पर सवाल उठाए हैं। पार्टी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का आरोप है कि पकौड़े तलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले कांग्रेसी क्या कमलनाथ के बयान में पान की दुकान लगाकर प्रदर्शन करेंगे।
कमलनाथ ने दिल्ली में मीडिया से चर्चा में प्रदेश की रोजगार व्यवस्था पर यह बयान दिया था। अग्रवाल ने केंद्र की ओर से प्रदेश में कमजोर वर्ग को बांटे गए ऋण का हवाला देते हुए कहा है कि कमलनाथ बताएं कि कांग्रेस सरकार ने कितने छोटे व्यापारियों की मदद की थी।
कांग्रेस भी बदलेगी अपना प्लान
कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलने के साथ ही पार्टी रणनीति में बदलेगी। अब उसके निशाने पर शिवराज रहेंगे। सरकार के खिलाफ आमजन की नाराजगी को भी भुनाने का प्रयास होगा। एक मई को कमलनाथ और सिंधिया के साथ चारों कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण करेंगे।
आगे की रणनीति पर भी विचार विमर्श होगा। वर्ष २०१३ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति अगल थी। उस समय शिवराज की लोकप्रियता अधिक थी, इसलिए पार्टी ने सीधे तौर पर शिवराज को निशाना नहीं बनाया था। अब बदले हालात में पार्टी सीधे शिवराज पर अटैक की तैयारी में है। इसके पीछे प्रदेश में किसानों का मुद्दा, एससी-सवर्ण विवाद और बढ़ते अपराध भी अहम कारण है।
नेताओं को मिलेगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
दिग्विजय सिंह को समन्वय और सांसद विवेक तनखा को घोषणा पत्र समिति की जिम्मेदारी मिल सकती है। अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और सुरेश पचौरी भी भूमिका में रहेंगे। कांग्रेस में कई समितियां बनना है। चुनाव घोषणा पत्र समिति, चुनाव प्रचार समिति, समन्वय समिति शामिल हैं।
बडे़ नेता उनमें एडजस्ट किए जाएंगे। उधर, निजाम बदलते ही कांगे्रस मुख्यालय का नजारा बदल गया। मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा सहित अन्य पदाधिकारियों के चेम्बर में ताला लगा रहा। वहीं, मानक अग्रवाल चार साल बाद पीसीसी पहुंचे। उन्होंने अरुण यादव के अध्यक्ष रहते हुए यहां कदम न रखने की कसम खाई थी।
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